बड़ी खबरें

अमेठी से राहुल, रायबरेली से प्रियंका का चुनाव लड़ना तय, कांग्रेस ने इंटरनल सर्वे के बाद लिया फैसला 5 घंटे पहले दूसरे चरण के लिए आज शाम से थम जाएगा प्रचार, यूपी की 8 सीटों पर 26 को होगा मतदान 5 घंटे पहले गंगा प्रदूषण मामले में NGT सख्त, कहा- यूपी के 12 जिलों में गंगा में सीवेज डिस्चार्ज के लिए कोई उपचार सुविधा नहीं 5 घंटे पहले आंध्रप्रदेश के TDP कैंडिडेट के पास 5785 करोड़ की संपत्ति, इस चुनाव में बन सकते हैं सबसे अमीर उम्मीदवार 5 घंटे पहले नगालैंड के 6 जिलों में नए राज्य की मांग, दो महीने से स्कूल-सरकारी कामकाज बंद, 4 लाख से ज्यादा वोटरों ने लोकसभा का बहिष्कार किया 5 घंटे पहले UPSSSC की ओर से जूनियर एनालिस्ट (ड्रग्स) के 361 रिक्त पदों पर निकली भर्ती, 18 मई तक कर सकते हैं अप्लाई 5 घंटे पहले NIT कुरुक्षेत्र में प्रोफेसर सहित 77 वैकेंसी, nitkkr.ac.in पर ऑनलाइन और फिर ऑफलाइन माध्यम से करना होगा आवेदन 5 घंटे पहले हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड में ऑफिसर के पदों पर निकली भर्ती, 70 हजार से 2 लाख 40 हजार रुपए प्रतिमाह मिलेगा वेतन 5 घंटे पहले

लम्बी जुबान पे एहतियात कहां ?

Blog Image

मनुष्य ने करोड़ों वर्ष पूर्व भाषा के महत्व को समझते हुए उसका निरन्तर विकास किया है। हमारी भावनाएँ, राज्य, वर्ग, जातीयता और प्रांतीयता सभी भाषा में ही परिलक्षित होती हैं। भाषा व्यक्ति की मानवीय संवेदना और मानवीयता को भी दिखाता है। किसी की भाषा उसकी मानसिकता बताती है। ये तो हुई वो बात जो दुनिया के वैज्ञानिक और मानवशास्त्री मानते आये हैं। 

इसका एक दूसरा पहलू भी है जिसे भारत के माननीय मानते हैं और उसका पालन भी करते हैं। ये सामान्य सिद्धांत के ठीक उलट व्यवहार करते हैं। इन्हे लगता है कि ये जितना अभद्र बोलेंगे उतना ही ये लोकप्रिय होंगे। मामला यहां तक पहुंच गया है कि न्यायालय और कानून इन्हे बताता है कि  महोदय जरा सभ्यता से बात करें लेकिन माननीय तो माननीय हैं। ये तो उनकी भी नहीं सुनते जो इन्हे चुन कर लाते हैं।  एक बार आप इन्हे चुन लीजिये फिर ये बोलते हुए किसी की भी धज्जियाँ उड़ा सकते हैं। नहीं विश्वास है तो हम आपको कुछ उदाहरण बताते है -

 
"महिला आरक्षण बिल से सिर्फ़ पर-कटी औरतों को फ़ायदा पहुंचेगा। परकटी शहरी महिलाएँ हमारी ग्रामीण महिलाओं का प्रतिनिधित्व कैसे करेंगी।"

अरे एक ही नहीं है और भी हैं सुनते जाइये

"वोट की इज़्ज़त आपकी बेटी की इज़्ज़त से ज़्यादा बड़ी होती है। अगर बेटी की इज़्ज़त गई तो सिर्फ़ गांव और मोहल्ले की इज़्ज़त जाएगी लेकिन अगर वोट एक बार बिक गया तो देश और सूबे की इज़्ज़त चली जाएगी।

 
"वाह महोदय , रुकिए एक-दो और -

"अरविंद केजरीवाल और राखी सावंत जितना एक्सपोज करने का वादा करते हैं उतना करते नहीं हैं। " 
"महिलाओं को ऐसा श्रृंगार करना चाहिए, जिससे श्रद्धा पैदा हो, न कि उत्तेजना। कभी-कभी महिलाएं ऐसा श्रृंगार करती हैं, जिससे पुरुष उत्तेजित हो जाते हैं।"

नेत्री किसी जिले में आती है और लटके झटके दिखा कर चली जाती हैं।

 
''वाह क्या गर्लफ़्रेंड है. आपने कभी देखी है 50 करोड़ की गर्लफ़्रेंड।"

"सभापति जी रेणुका जी को आप कुछ मत कहिए रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का आज सौभाग्य मिला है। "

ये तो वो उदाहरण हैं जिसे हमने शालीनता से चुनने का प्रयास किया है। अभी तो कुछ ऐसे भी जिन्हे बोलना किसी के लिए शर्मनाक हो सकता है अगर आपको और भी देखना है तो आप नेट पर टाइप करें पुरुष नेताओं ने कब-कब दिए महिलाओं पर विवादित बयान, महिलाओं पर बिगड़ें नेताओं के बोल और ऐसे और भी सम्बंधित वक्तव्य।

 
माननीय लोगो से जनता का ये सवाल है कि आप किस स्कूल या कॉलेज से ऐसी अभद्र भाषा सीख कर आते हैं - नहीं - हमे भी बताएं कम से कम बोलना न सही भारत की जनता सुनना ही सीख जाये क्योंकि आप पर तो मुकदमा होना भी प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाला ही लगता है और महिला आयोग भी हर समय सक्रिय रहे जरूरी तो नहीं तो कम से कम जनता आपकी बेशर्मी का ठीकरा खुद ही अपने सर फोड़ ले।

लेखिका- कोमल 

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें