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ISRO ने पास की सुरक्षा की सबसे बड़ी परीक्षा, अब इंसान भेजने को तैयार भारत!

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भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान को लेकर एक और बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को घोषणा की कि गगनयान के लिए तैयार किया गया सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (SMPS) का सभी जरूरी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इस कामयाबी के साथ भारत के बहुप्रतीक्षित मानव मिशन की उड़ान अब और नजदीक आ गई है।

350 सेकंड का हॉट टेस्ट: मिशन एबॉर्ट सिस्टम भी सफल

ISRO ने शुक्रवार को इस सिस्टम का 350 सेकंड तक एक बड़ा हॉट परीक्षण किया, जिसका उद्देश्य यह जांचना था कि अगर उड़ान के दौरान कोई तकनीकी समस्या आए और मिशन को बीच में रोका जाए (जिसे मिशन एबॉर्ट कहते हैं), तो यह सिस्टम यात्रियों को सुरक्षित वापस लाने में सक्षम है या नहीं। ISRO के मुताबिक, यह परीक्षण पूर्वानुमानों के अनुसार सफल और सामान्य रहा।

क्या है सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम?

गगनयान मिशन के सर्विस मॉड्यूल में यह प्रोपल्शन सिस्टम दो प्रकार के ईंधन से चलता है और मिशन के दौरान कई अहम भूमिकाएं निभाता है:

  • अंतरिक्षयान को सही कक्षा (Orbit) में पहुंचाना

  • उड़ान के दौरान दिशा और गति नियंत्रित करना

  • मिशन में बाधा आने पर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित वापस लाना

दो इंजन, एक लक्ष्य – सुरक्षा और सटीकता

इस सिस्टम में दो मुख्य प्रकार के इंजन काम करते हैं:

  • Liquid Apogee Motor (LAM): जो रॉकेट को उसकी निर्धारित कक्षा में लाने और वापस लाने में मदद करता है।

  • Reaction Control System (RCS): जो उड़ान के दौरान दिशा को अत्यंत सटीकता से नियंत्रित करता है।

इनके साथ हेलियम दबाव प्रणाली, थ्रस्टर और नियंत्रण उपकरण भी लगाए गए हैं, ताकि हर स्थिति में रॉकेट का संतुलन बना रहे।

25 बार परीक्षण, 14,331 सेकंड की परख

ISRO ने इस सिस्टम के System Demonstration Model (SDM) को बनाकर उस पर 25 अलग-अलग पर scénarios में परीक्षण किए — सामान्य और संकट की स्थिति दोनों में। ये परीक्षण कुल 14,331 सेकंड (लगभग 4 घंटे) तक चले और सभी में सिस्टम की विश्वसनीयता और क्षमता साबित हुई।

कहां और कैसे हुआ यह विकास?

इस पूरे सिस्टम को ISRO के Liquid Propulsion System Centre (LPSC) में डिजाइन और निर्मित किया गया, जबकि तमिलनाडु के महेंद्रगिरी स्थित ISRO Propulsion Complex (IPRC) में परीक्षण किए गए। यह वही स्थान है जहां ISRO के सभी इंजन और प्रोपल्शन सिस्टम की अंतिम जांच होती है।

अब अगला पड़ाव: गगनयान की वास्तविक उड़ान

ISRO का यह कदम न केवल तकनीकी रूप से अहम है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में गगनयान के अनक्रूड मिशन (बिना मानव के परीक्षण उड़ान) को लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद 2025 तक पहली मानवयुक्त उड़ान संभव है।

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