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दक्षिण से उभर रहा भाजपा का नया नेतृत्व ?

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नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा की कमान उत्तर से दक्षिण की ओर चली जाएगी !
आरएसएस की दक्षिण में विस्तार और नेतृत्व सौंपने की नीति पूरी होगी !

लखनऊ 

राजनीतिक बयार को समझने वाले अनुमान लगा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी का नया नेतृत्व दक्षिण से उभर रहा है। राजनीतिक दूरदर्शियों का मानना है कि नेतृत्व का सूर्य अभी ऊषाकाल में है लेकिन उसका राजनीतिक ताप व प्रकाश महसूस होने लगा है। माना तो यह भी जा रहा है कि इस उभरते नेतृत्व से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दक्षिण में विस्तार और देश की कमान दक्षिण को देने की नीति भी पूरी हो जाएगी। इस नए उभरते नेतृत्व का नाम है के अन्नामलाई। पूर्व आईपीएस अधिकारी अन्नामलाई बीजेपी के तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष हैं। यह नाम अब राजनीतिक व्योम में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।

कई बार राजनीतिक चर्चाओं में यह बातें उभरती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा? राजनीतिक विश्लेषक अब मानने लगे हैं कि दूरदर्शी नेता नरेंद्र मोदी ने खुद अपने उत्तराधिकारी को चुन लिया है और उसे अर्जुन की तरह प्रशिक्षित कर रहे हैं। 

 

मोदी के खांचे में फिट

मोदी जिस तरह के उत्तराधिकारी को चाहते हैं अन्नामलाई उसमें फिट बैठते हैं। वह ब्यूरोक्रेसी से अनुभव प्राप्त राजनेताओं को अधिक तरजीह देते हैं। अन्नमलाई आईपीएस सेवा छोड़कर राजनीति में आए हैं। अन्नामलाई मोदी की तरह कठोर मेहनती हैं। मात्र 5-6 घंटे की नींद या आराम बाकी काम। संगठनात्मक तौर पर कुशल और कुशाग्र बुद्धि वाले हैं। उनमें जुझारूपन है। शुरुआती मोदी की तरह ही अभी अन्नामलाई भी मीडिया में हाईलाइट नहीं होते हैं। खासकर दिल्ली मीडिया की नजर अभी अन्ना पर नहीं पड़ी है। वह बहुत सुनियोजित तरीके से संगठन के काम में लगे हैं। सार्वजनिक जीवन में शुचिता का पालन करते हैं। बहुत साधारण वस्त्र व जीवन जीते हैं। अभी तक किसी तरह के आरोप नहीं लगे हैं। कई मीडिया में उन्हें सिंघम और अगला मोदी-अन्नामलाई जैसे विश्लेषणों से नवाजा जा रहा है। 

मोदी का आशीर्वाद

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें मोदी अन्नामलाई की पीठ थपथपा रहे हैं यह बिल्कुल वैसे ही था जैसे कभी अटल बिहारी बाजपेयी ने नरेंद्र मोदी की थपथपाई थी। इसे लेकर लोगों की टिप्पणियां आईं थीं कि भविष्य का पीएम तय हो गया है। हालांकि अभी यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। इधर, देखा जाए तो पीएम मोदी के तमिलनाडु के राजनीतिक दौरे भी बढ़े हैं। रोडशो, मंदिरों में दर्शन और अन्य कार्यक्रम लेकिन इन कार्यक्रमों के मुख्य आयोजक व कर्ताधर्ता अन्नामलाई अभी मीडिया के फोकस से बचे हुए हैं। मीडिया उन पर बहुत ध्यान नहीं दे रही है। यही उनकी सफलता का बड़ा कारण भी है।

 

संघ की "दक्षिण की ओर देखो" पॉलिसी

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की बहुत पुरानी दक्षिण की ओर देखो पॉलिसी है। आरएसएस के गठन के बाद से ही संघ का विस्तार उत्तर भारत में अपेक्षाकृत अधिक हुआ लेकिन संघ के थिंकटैंक दक्षिण में विस्तार को लेकर हमेशा प्रयासरत रहे। मत यह था कि दक्षिण को भी उत्तर की तरह ही देश का केंद्रीय नेतृत्व या प्रतिनिधित्व दिया जाए। उत्तर भारत से ही देश का नेतृत्व निकलता है इससे संघ की समग्र भारतवर्ष की अवधारणा पूर्ण नहीं हो पाती है। अन्नामलाई में संघ की यह अपेक्षा व उम्मीद पूरी करने की भी क्षमता नजर आ रही है। दक्षिण की राजनीति करने के बाद भी अन्नामलाई उत्तर व हिन्दी को लेकर बहुत कठोर रूख नहीं रखते हैं। इससे वह संघ की नरम दक्षिणपंथी की कसौटी पर खरे उतर रहे हैं। 

उत्तर प्रदेश से सीख

आईआईएम लखनऊ में प्रबंधन की शिक्षा के दौरान उन्होंने यूपी के बारे में जाना कि कैसे यहां पांच-पांच रुपये के लिए हत्या हो जाती है। यहां से सिविल सेवा में जाने की प्रेरणा मिली। कर्नाटक में तैनाती हुई तो उडुप्पी में एक बच्ची के रेप की बाद हत्या से उपजे विवाद से जूझना पड़ा। बच्ची की मां ने बतौर एएसपी अन्नामलाई का कॉलर पकड़ लिया और पूछा, मेरी बेटी वापस ला दोगे। यह घटना भी उनके जीवन में बदलाव वाली थी। उन्होंने एक सुरक्षा ऐप बनाया और बच्ची के नाम पर छात्रवृत्ति शुरू कराई। यह आज भी संचालित है। पब्लिक में छवि अच्छी बनी तो ट्रांसफर होने पर लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। हालांकि प्रबंधन की पढ़ाई फिर सिविल सेवा से आगे बढ़कर उनका मन और कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित हुआ। 

 


अन्नमलाई कौन हैं

तमिलनाडु के करुर जिले के थोटामपट्टी गांव में एक किसान परिवार में अन्नामलाई कुप्पुस्वामी का जन्म 1984 में हुआ था। इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने आईआईएम लखनऊ से मैनेजमेंट में पोस्टग्रेजुएशन किया। 2011 में वह यूपीएससी परीक्षा के माध्यम से आईपीएस सेवा के लिए चयनित हुए। 2011 से 2013 तक नेशलन पुलिस अकादमी, हैदराबाद में ट्रेनिंग के बाद कर्नाटक के उडुप्पी में उन्हें बतौर एएसपी तैनाती मिली। चिकमंगलुरू में पुलिस अधीक्षक बने। हालांकि मई 2019 में उन्होंने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया। 

राजनीतिक जीवन की शुरुआत

उसी वर्ष 2019 में राजनीति में प्रवेश किया और तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा पर सफलता नहीं मिली लेकिन तमिलनाडु में पार्टी को संगठनात्मक तौर पर इतना मजबूत कर दिया कि सत्तारूढ़ दल को खतरा महसूस होने लगा। उनके राजनीतिक कौशल, संगठनात्मक कुशलता और जबरदस्त नेतृत्व क्षमता के चलते जिला, तालुका स्तर पर भी संगठन खड़ा हो गया है। अब बीजेपी वहां अपने बूते पर लोकसभा चुनाव लड़ने की स्थिति में आ चुकी है।
उन्होंने ने केवल विरोधी नेताओं की चिंताएं बढ़ाई हैं बल्कि जनता में अपनी विश्वसनीयता को मजबूती से स्थापित किया है।

 

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