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उत्तरप्रदेश की कला और संस्कृति पर चल रही संस्कृति के रंग नामक इस कड़ी में हम उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर और सोनभद्र के लोकनृत्यों के बारे में चर्चा करेंगे।
कर्मां नृत्य
इसमें सबसे पहला नाम आता है कर्मां नृत्य का। करमा एक जनजातीय नृत्य है इसे सोनभद्र जिले में गोंड बैगा कोरकू और खरवार जनजाति के लोगों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में नर्तक फुदकते हुए पेड़ की टहनियां काटकर पुजारी को भेंट करते हैं और पुजारी उन्हें देवताओं को भेंट करते हैं ।
थडिया नृत्य
इसी कड़ी में अगला नाम आता है थडिया नृत्य का। थड़िया नृत्य देवी सरस्वती से संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
चौलर नृत्य
चौलर नृत्य मिर्जापुर क्षेत्र में अच्छी फसल और वर्षा की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
धरकहरी
मिर्जापुर क्षेत्र का ही एक और नृत्य है धरकहरी। धारकहरी नृत्य में जानवर के सींघों से बने वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाता है । यह नृत्य भी जनजातियों द्वारा ही किया जाता है।
कजरी
मिर्जापुर क्षेत्र का ही एक अन्य नृत्य है कजरी। कजरी नृत्य मानसून की शुरुआत से पहले ही किया जाता है। इस नृत्य में कजरी गीतों को गाया जाता है। अधिकांश कजरी नृत्यों में माता विंध्यवासिनी की उपासना ही की जाती है या फिर वर्षा ऋतु से संबंधित गीतों को ही गाया जाता है।
छपेली और छोलिया
इन लोकनृत्यों के अलावा छपेली और छोलिया नाम के लोकनृत्य भी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में किए जाते हैं। छापेली नृत्य को एक हाथ में रूमाल तथा दूसरे में दर्पण लेकर किया जाता है। वहीं छोलिया नृत्य एक योद्धा नृत्य है जिसे राजपूत समुदाय के लोगों द्वारा हाथों में तलवार और ढाल लेकर किया जाता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 3 June, 2023, 3:35 pm
Author Info : Baten UP Ki