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संस्कृति के रंग एपिसोड-3: सावन में कजरी, उत्सव में सोहर

लोकगीत, जिसे आम लोगों द्वारा गाया जाने वाले गीत हैं, यह न तो कड़े नियमों में बंधे होते हैं न ही इन्हे गाने में अधिक प्रयासों का सामना करना पड़ता है। इनमें अपनी मधुरता के साथ-साथ प्रादेशिक भाषा का आकर्षण भी होता है, एक अपनापन भी होता है। यह अलग-अलग समारोहों पर गाया जाता है। इन्हीं लोकगीतों से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं को छूने का प्रयास किया गया है। घुलिये इस आनंद भरे संगीत के रंग में, बातें यूपी के संग में............

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