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यूपी का नाम रोशन करने वाली 12 हस्तियां होंगी सम्मानित...

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(Special Story) देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 2024 के लिए 'पद्म पुरस्कारों' का ऐलान किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश की 12 हस्तियों ने प्रदेश का नाम रोशन किया। इनमें से 4 लोग तो लखनऊ के ही रहने वाले हैं जिनको पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। इनमें कला के क्षेत्र में 6, साहित्य में 2, विज्ञान में 1, खेल में 1 और मेडिकल में 2 नाम शामिल किए गए हैं। आपको बता दें कि इस बार कुल 132 हस्तियों को पद्म पुरस्कार दिए जाएंगे। ये अवॉर्ड इसी साल मार्च/अप्रैल में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में दिए जाएंगे। आइए आपको विस्तार से बताते हैं उन 12 हस्तियों के बारे में जिन्होंने उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाया है।  

1- नसीम बानो ने 5000 से ज्यादा कारीगरों को किया प्रशिक्षित- 

राज्य की राजधानी लखनऊ की रहने वाली नसीम बानो को पद्मश्री से पुरस्कृत किया जाएगा। नसीम बानो चिकनकारी कारीगर हैं। बारीक हस्तकला और कढ़ाई में 45 सालों की विशेषज्ञता रखती हैं। लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके की मकामी नसीम बानो ने बहुत कम उम्र में ही चिनककारी का काम शुरू कर दिया था। वह प्रदेश के अवध इलाके में बढ़िया चिकन कढ़ाई के काम को लोकप्रिय बनाने के लिए जानी जाती हैं। बानो के मुताबिक उन्होंने चिकनकारी की कला अपने फादर हजान मिर्जा से सीखी है।


उन्होंने कहा कि "आज मैं जो कुछ भी हूं, अपने परिवार के समर्थन और अपने फादर के जरिए दी गई शिक्षा की वजह से हूं। उन्होंने बढ़िया चिकनकारी की परंपरा को जीवित रखने की कोशिश की है और इस परंपरा को नौजवान कारीगरों तक पहुंचाने को भी अपना लक्ष्य बनाया है। बानो ने बताया कि उन्होंने 5000 से ज्यादा चिकनकारी कारीगरों को इस कला में प्रशिक्षित किया है। आपको बता दें कि बानो को साल 1985 में राज्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

2- स्वर्गीय सुरेंद्र मोहन मिश्रा को पद्मश्री-

वाराणसी घराने से जुड़े शास्त्रीय संगीत के जाने-माने गायक स्वर्गीय सुरेंद्र मोहन मिश्रा को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान प्रदान किया जाएगा। गायक सुरेंद्र मोहन मिश्रा वाराणसी के रामापुरा क्षेत्र के रहने वाले थे। सुरेंद्र मोहन बनारस घराने के प्रसिद्ध हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक थे, जिन्होंने 6 दशकों से अधिक समय तक शास्त्रीय संगीत को जनजन तक पहुंचाया। बेटे पूर्णेन्द्र मिश्रा के मुताबिक पूरे परिवार में 13 सदस्य हैं और हम सभी एक साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि पिताजी के पांच पुत्र हैं और बीते वर्ष नवंबर 2023 में उनका 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके योगदान को कभी बुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि पिताजी का राजन सजन मिश्रा, बिस्मिल्लाह खान छन्नूलाल मिश्र सहित अनेक दिग्गजों से संबंध रहा है।

3- गोदावरी सिंह-

वाराणसी के ही गोदावरी सिंह को भी कला के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। 84 वर्षीय गोदावरी सिंह वाराणसी के लकड़ी खिलौना निर्माता हैं। लकड़ी के लैकरवेयर  और खिलौने का प्रचार और संरक्षण भी करते हैं। आज भी वाराणसी के काशमीरीगंज स्थित गोदाम में वो लकड़ी से नए-नए तरह के खिलौनों को तैयार करते हैं। इसलिए इन्हें खिलौनों का मास्टर किंग भी कहा जाता है। आपको बता दें कि गोदावरी सिंह 2005 में गणतंत्र दिवस परेड में यूपी को प्रेजेंट कर चुके हैं।

4- उर्मिला श्रीवास्तव-

उत्तर प्रदेश के मीरजापुर के वासलीगंज में रहने वाली कजरी गायिका उर्मिला श्रीवास्तव को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उर्मिला श्रीवास्तव के बारे में कहते हैं कि 12 साल की उम्र से मोहल्ले के नाग पंचमी के मेले में मीरजापुरी कजरी सुनकर बड़ी हुईं। उर्मिला की कजरी ने खाड़ी देशों में भी खासी पहचान बनाई है। लोकगीत, भोजपुरी, मुख्यत: मीरजापुर कजरी, देवी गीत, दादरा, कहरवां, पूर्वी, चैती, होली, कजरी, झूमर, खेमटा, बन्नी, सोहर विधा में उन्हें महारत हासिल है।

5- ब्रास बाबू  को पद्मश्री-

यूपी की पीतलनगरी मुरादाबाद के रहने वाले 74 वर्षीय बाबू राम यादव को पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके जटिल पीतल की कलाकृतियां बनाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। इन्हें 6 दशकों से अधिक का अनुभव है। विश्व स्तर पर उन्होंने 40 से अधिक प्रदर्शनियों में अपने कार्य का प्रदर्शन किया है। बाबू राम ने नए कारीगरों खासतौर से कुष्ठ रोगियों को प्रशिक्षण दिया है। करीब 1000 लोगों को वह अब तक प्रशिक्षण दे चुके हैं। आर्टिसन लाइट संस्था के नाम से वह कारीगर समुदाय की आर्थिक सहायता भी करते रहे हैं। उन्हे ब्रास बाबू भी कहा जाता है।

6-खलील अहमद-

हैंडमेड दरी यानि हाथ से बनाई जाने वाली दरी के काम में लगे खलील अहमद को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा। इन्हें इससे पहले भी शिल्प कला के क्षेत्र में पुरस्कार मिल चुका है। मिर्जापुर नगर के इमामबाड़ा के मौलाना खलील अहमद बाघ कुंजल गीर बगीचा मोहल्ला के रहने वाले हैं। दरी का व्यवसाय इनका पुश्तैनी धंधा है। आपको बता दें कि यहां दरी मशीनों से नहीं हाथ से बुनी जाती हैं। 

7-राजाराम जैन -

प्राचीन भारतीय साहित्य के क्षेत्र में प्रोफेसर राजाराम जैन को पद्मश्री पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाएगा। प्रोफेसर राजाराम जैन ने प्राचीन भारत से जुड़ी कई किताबें भी लिखी हैं। नोएडा शहर के सेक्टर 34 में राजाराम जैन अपनी बेटी के साथ रहते हैं। इनकी अब तक 36 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। राजाराम जैन की बेटी रश्मि जैन ने बताया कि उनके पिता राजाराम जैन को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। यह उनके परिवार के लिए बड़ी उपलब्धि है। उनके पिता ने जटिल प्राचीन भारतीय और मध्यकालीन पांडुलिपियों को समझा और प्रकाशित किया है। उनकी करीब 36 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें से कई ज्ञानपीठ से प्रकाशित हैं।

8-नवजीवन रस्तोगी-

लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के रिटायर प्रोफेसर नवजीवन रस्तोगी को 85 वर्ष की आयु में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। प्रोफेसर नवजीवन रस्तोगी ने शिक्षा के क्षेत्र में कई किताबें भी लिखी हैं। नवजीवन रस्तोगी का विशेष कार्य क्षेत्र अभिनव विचार और कश्मीर शैव मत है।

9- लिवर स्पेशलिस्ट, आरके धीमन-

देश के टॉप लिवर स्पेशलिस्ट और लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान यानि (SGPGI) के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन को साल 2024 के पद्मश्री अवार्ड्स के लिए चुना गया हैं। प्रोफेसर आके धीमन को यह सम्मान मेडिसिन के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए दिया जाएगा। प्रोफेसर आरके धीमन ने हेपेटाइटिस, विशेष कर पंजाब में हेपेटाइटिस सी के कंट्रोल के लिए विशेष काम किया है।

10-राधेश्याम पारीक-

उत्तर प्रदेश के आगरा के डॉ राधे श्याम पारीक को होम्योपैथी के क्षेत्र में किए गए उनके शोध कार्य के लिए शोध कार्य और लोगों के बीच में होम्योपैथी पद्धति को स्थापित करते के लिए पद्मश्री सम्मान मिला है। 91 साल के डॉ राधेश्याम पारीक का जन्म मार्च 1933 में नवलगढ़ राजस्थान में हुआ था। वहां से आगरा आ गए थे। यहां होम्योपैथी से इलाज कराना शुरू किया। इसके बाद इंग्लैंड से होम्योपैथी में ग्रेजुएशन करने चले गए। होम्योपैथी के साथ-साथ समाजसेवा के क्षेत्र में भी डॉ. आरएस पारीक ने बहुत काम किया है। 

11-राम चेत चौधरी

काला नमक धान को नवजीवन देने वाले कृषि वैज्ञानिक राम चेत चौधरी ने पद्म सम्मान से गोरखपुर का मान बढ़ाया है। 79 साल के डॉ. रामचेत ने महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद को संरक्षित करने के लिए तकरीबन 30 साल तक संघर्ष किया है। उनके प्रयास से आज पूर्वांचल के 11 जनपदों में 80 हजार हेक्टेयर में कालानमक धान की पैदावार हो रही है। आपको बता दें कि इन्होंने कृषि पर 50 से अधिक पुस्तकें भी  लिखी हैं।

12-गौरव खन्ना​​​​​​​ को पद्मश्री -

भारतीय पैरा बैडमिंटन के कोच व लखनऊ के रहने वाले गौरव खन्ना को पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा। इससे पहले उन्हें प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य अवार्ड मिल चुका है। यह शहर के लिए गौरव की बात है। पुरस्कार मिलने की घोषणा के बाद गौरव ने कहा कि यह उनके लिए बड़ी उपलब्धि है। वर्ष 2000 में एक सड़क हादसे में गौरव आंशिक रूप से दिव्यांग हो गए थे, लेकिन उन्होंने अपनी ट्रेनिंग जारी रखी। इसमें उनकी पत्नी ने पूरा साथ दिया। अपनी ट्रेनिंग और हिम्मत के चलते उन्होंने वर्ष 2004 में स्पेशल बच्चों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया। वर्ष 2011 एशिया मूक बधिर चैंपियनशिप में वह एशियन टीम के कोच चुने गए। वर्ष 2014 में वह भारतीय पैरालंपिक कमेटी की ओर से टीम इंडिया के कोच चुने गए। उनके मार्गदर्शन में भारतीय खिलाड़ियों ने वर्ष 2014 से अब तक करीब 400 पदक जीते हैं। इसमें 100 के करीब स्वर्ण पदक शामिल हैं। गौरव खन्ना ऐसे द्रोणाचार्य हैं, जिनके शिष्य राजकुमार, मनोज सोनकर, प्रमोद भगत ने अर्जुन अवार्ड जीते हैं।

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