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कांच और कंक्रीट के बढ़ते जंगल बन रहे हैं सूरज के तपिश की वजह, लखनऊ में 45℃ के पार पहुंचा पारा

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इंसानी निर्माण जब कुदरती निर्माण को नुकसान पहुंचाने लगे तो उसका खामियाजा भी इंसानों को ही उठाना पड़ता है। इस समय तापमन अपनी चरम सीमा पर है। भीषम गर्मी से लोग बेहद परेशान हैं। आलम यह  है कि अस्पतालों में लंबी-लंबी कतारें लगनी शुरू हे गई हैं और कई मौतें हो चुकी हैं। इसकी बड़ी वजह है बढ़ता औद्योगीकरण और हमारे कई शहरों का कंक्रीट के शहर में बदलते जाना और प्राकृतिक चीजों को  नष्ट करना। उत्तर प्रदेश में भीषण लू के चलते दिन और रात के तापमान ने पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। लखनऊ में गुरुवार को 45.1℃ तापमान दर्ज किया गया, जो मई महीने का 9वां सर्वकालिक अधिकतम तापमान  है।

शहरी इलाकों में  कंक्रीट का जाल 

प्राकृतिक संपदा को नष्ट किए जाने के कारण अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट बढ़ रहा है। शहरी इलाकों में ईंट, सीमेंट, कंक्रीट, का जाल बिछ चुका है। सीमेंट, तारकोल की सड़कें बन गई हैं। ये तमाम पक्का निर्माण, कुदरती निर्माण जैसे जंगल, तालाब, झील, घास के मैदानों के मुकाबले सूरज की गर्मी को ज्यादा अवशोषित करता है और फिर उसे वापस छोड़ता है, जो इलाके इस पक्के निर्माण के आसपास होते हैं वहां तापमान बाहरी इलाकों के मुकाबले ज्यादा होता है और रात में भी यही स्थिति होती है. उन तमाम इलाकों में जहां पक्का निर्माण बेतहाशा हो चुका है और हरियाली सिमटती जा रही है, वहां हम इस अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट को अधिक महसूस करते हैं और गर्मी से बेचैन होते हैं।

यूपी के शहरो में बरस रहे आग के गोले -

प्रयागराज में बुधवार रात इतिहास की सबसे गर्म रात रही। वहीं वाराणसी में गुरुवार को मई महीने का दिन का सर्वकालिक उच्चतम तापमान दर्ज किया गया, वहीं रात मई के इतिहास में 1985 (33.8˚C) के बाद दूसरी सबसे गर्म रात रही है। उधर लखनऊ में 1982 (34.2˚C) के बाद बुधवार रात मई की सबसे गर्म रात रही है। वहीं लखनऊ में 1995 के बाद मई महीने में पहली बार दिन में पारा 45 डिग्री सेल्सियस पार हुआ है।

बुलंदशहर 48˚C तापमान के साथ प्रदेश में सबसे गर्म रहा है। यह इसके इतिहास में 1978 (48.2˚C) के बाद यह सर्वकालिक अधिकतम तापमान रहा है। आगामी 4-5 दिनों के दौरान प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से आने वाली आर्द्र पुरवा हवाओं की सक्रियता बढ़ने और पश्चिमी विक्षोभ से प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप प्रदेश में बादलों की आवाजाही से कहीं-कहीं तेज झोंकेदार हवाओं/ आंधी के साथ संभावित बारिश के कारण तापमान में संभावित क्रमिक गिरावट के परिणामस्वरूप, पिछले कई दिनों से जारी भीषण लू की परिस्थितयों में 31 मई से क्रमिक सुधार होने से फ़िलहाल 1 जून से प्रदेश को लू से निजात मिलने की सम्भावना है।

क्या हैं इतनी तपिश के कारण?

  • वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मी की एक वजह है अल नीनो इफेक्ट, ये नाम आपने कई बार सुना होगा, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर मौसम का मिजाज बदल रहा है। अल नीनो का मतलब आसान शब्दों में समझा जाए तो, जब दुनिया के सबसे बड़े महासागर प्रशांत महासागर के कई इलाकों में समुद्र का तापमान बढ़ता है, तो इससे गर्म होने वाली हवा पूरी दुनिया के मौसम को गर्म करती है। 

 

  • शहरी इलाकों में ईंट सीमेंट कंक्रीट का जाल बिछ चुका है। सीमेंट, तारकोल की सड़कें बन गई हैं। ये तमाम पक्का निर्माण, कुदरती निर्माण जैसे जंगल, तालाब, झील, घास के मैदानों के मुकाबले सूरज की गर्मी को ज्यादा अवशोषित करता है और फिर उसे वापस छोड़ता है, जो इलाके इस पक्के निर्माण के आसपास होते हैं वहां तापमान बाहरी इलाकों के मुकाबले ज्यादा होता है और रात में भी यही स्थिति होती है।

 

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