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यूपी के स्वास्थ्य विभाग ने हीटवेव के लिए जारी की एडवाइजरी, जाने कैसे करें- हीट स्ट्रोक और वेट बल्ब टेम्प्रेचर से बचाव

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देश में बढ़ते तापमान के साथ ही मौसम खतरनाक रूप से करवट ले रहा है। कई राज्यों में लोगों का भीषण गर्मी से बुरा हाल है। मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में हीट वेव (Heat Wave) अलर्ट जारी कर दिया गया है। राज्यों के कई शहरों में तापमान 43 डिग्री के पास पहुंच गया है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दो दिनों तक प्रदेश में अधिकतम तापमान 40 के पार होने की आशंका है.

स्वास्थ्य विभाग ने जारी की हीट वेव की एडवाइजरी
वहीं उत्तर प्रदेश के कई शहरों में तेजी से बढ़ रहे तापमान के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने हीट वेव की गाइडलाइन जारी कर दी है। हीट वेव की एडवाइजरी जारी कर लोगों को बढ़ते तापमान, और इससे होने वाली बिमारियों के प्रति अलर्ट किया जा रहा है। इसी के साथ स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड रिस्पांस टीम का गठन भी कर दिया है। आगरा सहित यूपी के कई अन्य शहरों में तापमान में इजाफा होने से स्वास्थ्य विभाग एक्टिव हो गया है। हीट वेव को ध्यान में रखते हुए यहां ब्लॉक स्तर पर इलाज की व्यवस्था के साथ ही ओआरएस और आइवी फ्लूड को स्टॉक में रखा गया है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में ज़रूरी दवाइयों की आपूर्ति भी कराई गई है.

क्या है हीट वेव

मौसम विभाग के अनुसार, हीट वेव सबसे ज्यादा मार्च से जून महीने के बीच, और ख़ास तौर से मई महीने में चलती है। दरअसल हीटवेव का सीधा मतलब है लू। यानी गर्मी के मौसम में जब मैदानी तापमान 40 के आसपास या उससे ऊपर पहुँच जाये और पहाड़ी तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाएँ और गर्म हवाएं चलने लगे तो इसे हीटवेव कहा जाता है। सामान्यतः हीटवेव में अगर बचाव किया जाये तो यह बहुत खतरनाक नहीं होता है क्योंकि यह भारत में गर्मी के मौसम में सामान्य घटना होती है लेकिन हीटवेव तब ज्यादा खतरनाक हो जाता है जब वातावरण में हाई टेम्प्रेचर के साथ हाई  ह्यूमिडिटी यानी नमी भी जाये हो। इसी मिलीजुली स्थिति को "वेट बल्ब तापमान" कहा जाता है, यह हीटवेव को खतरनाक बनाता है। जिससे लोगों के शरीर में हीटस्ट्रोक की स्थिति बन जाती है यानी शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हो जाता है और शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता है। 

"वेट बल्ब तापमान" का शरीर पर प्रभाव क्या होता है
दरअसल हमारे शरीर में हाइपोथेलेमस शरीर के तापमान को रेगुलेट करता है। इस रेगुलेशन में ब्लड वेसल्स, मसल्स, स्वेद ग्रंथियां और त्वचा मिलकर पसीने को बाहर निकालते हैं। जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित होता है पर जब मौसम में नमी होती है है तो यह पसीना  बाहर नहीं निकल पाता है। जिससे लू से लगने वाली गर्मी शरीर पर बुरा प्रभाव डालने में कायम हो जाती है और लोगो को नुकसान पहुंचाती है। हीटस्ट्रोक की समस्या होने से शरीर का तापमान बढ़ने के साथ-साथ सिरदर्द, चक्कर आना और भ्रम  होना, तेज़ दिल की धड़कन तेज होना, मिचली और उल्टी आना, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, दौरे पड़ने के साथ ऑर्गन फेलियर और कोमा जैसी स्थिति भी बन जाती है और लोगो की मौत हो सकती है।

हीट वेव से कैसे करें बचाव
इससे बचने के लिए विशेषज्ञ कई तरह की सलाह देते हैं। जैसे-लोगो को हाइड्रेटेड रहना चाहिए यानी शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए, सीधे  धूप के कांटेक्ट में आने से बचना चाहिए, ढीले-ढाले और हल्के कलर के कपड़े पहनना चाहिए, त्वचा में सनस्क्रीन का प्रयोग जरूर करना चाहिए साथ ही शराब और कैफीन से बचना चाहिए और अगर कोई दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिये।

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