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अब यूपी का होगा अपना सैटेलाइट, अब नहीं होंगी हर साल 300 मौतें!

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उत्तर प्रदेश को जल्द ही अपना स्वदेशी सैटेलाइट मिलने जा रहा है, जो राज्य को आकाशीय बिजली (वज्रपात), बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच इस ऐतिहासिक सहयोग की शुरुआत लखनऊ में हुई, जहां ISRO के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की।

वज्रपात से होती हैं हर साल 300 मौतें

मुख्यमंत्री योगी ने इस मुलाकात में प्रदेश के लिए विशेष सैटेलाइट विकसित करने का प्रस्ताव रखा, ताकि हर साल वज्रपात से होने वाली औसतन 300 मौतों को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि अगर बिजली गिरने से पहले मोबाइल पर अलर्ट मिल जाए, तो कई जानें बचाई जा सकती हैं।

ISRO देगा तकनीकी सहयोग, जल्द शुरू होगा प्रोजेक्ट

डॉ. नारायणन ने मुख्यमंत्री के सुझाव का स्वागत करते हुए भरोसा दिलाया कि ISRO इस दिशा में जल्द ही मॉडल प्रोजेक्ट शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि मौसम पूर्वानुमान, जंगलों और भूजल की निगरानी, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जैसे कई क्षेत्रों में ISRO पहले से ही तकनीकी सहायता दे रहा है, और अब यूपी को इससे पूरा लाभ दिलाया जाएगा।

रिमोट सेंसिंग से बढ़ेगी विकास की रफ्तार

बैठक में रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग कर खेती, शहरी नियोजन, बाढ़ प्रबंधन, जल संसाधन और वन क्षेत्र निगरानी जैसे अहम विषयों पर भी चर्चा हुई। सीएम योगी ने कहा कि अगर अंतरिक्ष तकनीक का योजनाबद्ध उपयोग किया जाए, तो नीति निर्माण से लेकर जमीनी क्रियान्वयन तक बड़ा बदलाव आ सकता है।

कुशीनगर में हुआ था पहला रॉकेट लॉन्च टेस्ट

गौरतलब है कि ISRO ने हाल ही में 14 जून को कुशीनगर जिले के तमकुहीराज में पहला रॉकेट लॉन्च टेस्ट भी किया था। इस लॉन्चिंग में 15 किलो वजनी रॉकेट से एक छोटा उपग्रह छोड़ा गया, जो सफलतापूर्वक पैराशूट के ज़रिए वापस धरती पर उतर आया। यह यूपी में ISRO की पहली रॉकेट टेस्टिंग थी और इसे भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए अहम माना जा रहा है।

ISRO के साथ मिलकर यूपी लगाएगा टेक्नोलॉजी की छलांग

उत्तर प्रदेश अब न सिर्फ देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है, बल्कि अब वह अंतरिक्ष विज्ञान की ताकत को भी अपनी सुरक्षा और विकास के लिए इस्तेमाल करने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी और ISRO के बीच हुई यह साझेदारी आने वाले समय में प्रदेश को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति और अधिक सतर्क, सुरक्षित और तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगी।

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