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36 फिल्मों में 32 को नेशनल अवॉर्ड, ऐसे थे ‘सत्यजीत रे’

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भारतीय सिनेमा के महान डायरेक्टर माने जाने वाले सत्यजीत रे की आज 102 वीं वर्ष एनिवर्सरी है। सत्यजीत रे ने 36 फिल्में बनाई हैं जिनमें से 32 को नेशनल अवॉर्ड मिलें हैं। उनकी हर फिल्म को दुनिया भर में सराहना मिली है। पद्मश्री से लेकर भारत रत्न तक ऐसा कोई सम्मान नहीं है जो उनको न मिला हो। आइए इस महान कलाकर के जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं को जानने की कोशिश करते हैं..

सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1912 को कोलकाता में सुकुमार रे और सुभ्रा रे के घर हुआ था। 2 साल की उम्र में ही उनके सिर से पिता का साया छिन गया था। जिसके बाद उनकी परवरिश उनके दादा उपेद्रकिशोर चौधरी के घर हुई। दादा प्रिंटिंग प्रेस चलाते थे जिस वजह से बचपन से ही इनका झुकाव मशीन और प्रिंटिंग प्रेस की तरफ हो गया। स्कूल के दिनों में ही उन्होंने हॉलीवुड के कई प्रोडक्शन देखे थे। चार्ली चैपलिन,बस्टर कीटन जैसे कलाकारों की फिल्मों ने उन पर गहरी छाप छोड़ी इसकी वजह से उनका झुकाव वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक की तरफ हो गया। सत्यजीत रे की मां चाहती थीं कि वो रविंद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन में पढ़ाई करें, न चाहते हुए भी उन्होंने शान्तिनिकेतन में फाइन आर्ट में दाखिला ले लिया।

कवर डिजाइन से आया फिल्म मेकिंग का आईडिया- सत्यजीत रे एक दिन पाथेर पंचाली बंगाली नॉवेल का कवर डिजाइन कर रहे थे तभी उनको फिल्म बनाने का आईडिया आया। उन्होंने डिसाइड किया कि वो इसी पर अपनी पहली फिल्म बनाएंगे। 1947 में सत्यजीत रे ने चिदानंद दास गुप्ता और कई लोगों के साथ मिलकर कोलकाता फिल्म सोसाइटी बनाई यहां पर उन्होंने कई हॉलीवुड फिल्मों की स्क्रीनिंग रखी थी जिनमें से कई फिल्में सत्यजीत रे खुद देख चुके थे।

1949 में सत्यजीत रे ने अपनी चचेरी बहन बिजॉय दास से शादी कर ली जिसके बाद बेटे संदीप रे का जन्म हुआ। शादी के बाद वो अपनी पत्नी के साथ इग्लैंड चले गए। जहां पर उन्होंन फेमस फिल्म बाइसकिल थीव्ज देखी। इसके साथ ही इस पूरे टूर के दौरान उन्होंन 99 फिल्में देखीं जिन्होंने उनको बहुत प्रभावित किया।

कैसे शुरू हुई पाथेर पांचाली की मेकिंग- इग्लैंड यात्रा से लौटने के बाद सत्यजीत रे ने पाथेर पांचाली की मेकिंग शुरू कर दी इस फिल्म की कोई स्क्रिप्ट नहीं थी इसको उन्हीं की ड्राइंग और नोट्स से तैयार किया गया था। हालांकि बाद में उन्होंने एक स्टोरी बोर्ड तैयार किया था। इस फिल्म की शूटिंग 1952 में शुरू हुई थी। लेकिन शुरुआत में फिल्म को कोई फाइनेंस करने को कोई तैयार नहीं था इसलिए रे ने बीमा पॉलीसी और दोस्तों से पैसे उधार लेकर फिल्म शुरू की। सत्यजीत रे रविवार को फिल्म शूट करते थे और बाकी दिन काम पर जाते थे फिल्म के लिए उनको पत्नी के गहने भी गिरवी रखने पड़े। किशोर कुमार ने उनकी मदद की और फिल्म के लिए 5 हजार रुपये दिए थे। ये फिल्म बड़ी कठिनाइयों से होते हुए 3 साल में बनकर तैयार हुई जिसके बाद 26 अगस्त 1955 को फिल्म रिलीज हुई थी जिसके बाद नेहरू जी ने फिल्म की सराहना की थी। सत्यजीत रे के जीवन से जुड़ी इतनी कहानियां हैं सभी को बता पाना मुश्किल है। 

 

 

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