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भारतीय सिनेमा के इन 5 दिग्गजों के नाम पर जारी किए गए 'डाक टिकट', WAVES Summit में दी गई श्रद्धांजलि

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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (1 मई) को मुंबई के जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित WAVES Summit 2025 का भव्य उद्घाटन किया। यह सम्मेलन विश्व ऑडियो-विजुअल और मनोरंजन जगत के दिग्गजों को एक मंच पर लाने का प्रयास है। इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री ने भारतीय सिनेमा की पांच महान हस्तियों-गुरु दत्त, पी. भानुमति, राज खोसला, ऋत्विक घटक और सलिल चौधरी-के सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी किए। ये दिग्गज न केवल फिल्म इतिहास के चमकते सितारे हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति के शिल्पकार भी हैं। आइए इन रत्नों की सिनेमाई यात्रा को देखें...

1-गुरु दत्त – 'भारत का ऑर्सन वेल्स'

वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण, जिन्हें दुनिया गुरु दत्त के नाम से जानती है, 1950-60 के दशक के उस दौर के निर्माता थे जब सिनेमा महज़ मनोरंजन नहीं, बल्कि कला और संवेदना की अभिव्यक्ति बन चुका था। ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’, ‘साहिब बीबी और गुलाम’ जैसी फिल्मों से उन्होंने न केवल प्रेम, दर्द और अकेलेपन को पर्दे पर उतारा, बल्कि अपने कैमरे के लेंस से सिनेमा की आत्मा को छू लिया। उनके सृजन को देख, विश्व सिनेमा ने उन्हें 'भारत का ऑर्सन वेल्स' कहा — एक निर्देशक, जो समय से आगे चला।

2-पी. भानुमति – बहुआयामी प्रतिभा की मिसाल

तेलुगू सिनेमा की पहली सुपरस्टार और पहली महिला निर्देशक — पी. भानुमति सिर्फ एक अदाकारा नहीं, बल्कि एक संपूर्ण कला संस्था थीं। 1953 में बनाई उनकी फिल्म ‘चंदीरानी’ आज भी भारतीय महिला फिल्मकारों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने अभिनय, निर्देशन, लेखन, गायन और संगीत हर क्षेत्र में अपने नाम की चमक बिखेरी। 100 से अधिक फिल्मों में काम करने वाली भानुमति को 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। वे नारी शक्ति और सृजन का अनूठा संगम थीं।

3-राज खोसला – रहस्य, रोमांच और रिश्तों का जादूगर

हिंदी सिनेमा को स्टाइलिश थ्रिलर और भावनात्मक गहराई देने वाले राज खोसला वो निर्देशक थे, जिन्होंने अभिनेत्रियों को नए सशक्त किरदार दिए। ‘सीआईडी’, ‘वो कौन थी?’, ‘मेरा साया’, ‘दो रास्ते’, ‘दोस्ताना’ जैसी फिल्मों से उन्होंने मनोरंजन को स्तर और संवेदना दी। उनके निर्देशन में सस्पेंस एक कला बन गया और रोमांस एक अनुभव।

4-ऋत्विक घटक – सिनेमा का चिंतक, समाज का दार्शनिक

ऋत्विक घटक का सिनेमा केवल दृश्य नहीं, विचार था। ‘मेघे ढाका तारा’, ‘सुवर्णरेखा’, ‘अजांत्रिक’ जैसी फिल्मों में उन्होंने विभाजन, विस्थापन और मानवीय पीड़ा को ऐसे प्रस्तुत किया, जैसे दर्शक स्वयं उन पात्रों की पीड़ा महसूस कर रहा हो। उनके शब्दों में, "फिल्म बनाना एक सामाजिक जिम्मेदारी है।" शेक्सपियर के मैकबेथ से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर फिल्म तक, उन्होंने हर कथा को विचारशीलता से पिरोया।

5-सलिल चौधरी – संगीत, जो आत्मा से निकलता था

सलिल दा का संगीत बहुभाषी था — भावों की भाषा में। उन्होंने 13 भाषाओं में फिल्मों के लिए संगीत रचा और बांसुरी, पियानो, इसराज जैसे वाद्ययंत्रों को आत्मा की तरह निभाया। ‘दो बीघा जमीन’, ‘मधुमती’ जैसी फिल्मों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक उन्होंने भारतीय धुनों को वैश्विक पहचान दी। उन्हें न सिर्फ फिल्मफेयर, बल्कि कान फिल्म फेस्टिवल और राष्ट्रीय पुरस्कार जैसी वैश्विक और राष्ट्रीय मान्यताओं ने सम्मानित किया।

हर कलाकार का मंच है वेव्स: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “वेव्स एक ऐसा वैश्विक मंच है, जो हर कलाकार और निर्माता का है। यह सम्मेलन नई रचनात्मकता और वैश्विक सहयोग के लिए एक अवसर है।” उन्होंने बताया कि 3 मई, 1913 को भारत की पहली फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ रिलीज हुई थी, जिसका निर्माण दादा साहब फाल्के ने किया था। उन्होंने भारतीय सिनेमा के 112 वर्षों की यात्रा को एक प्रेरणादायक कहानी बताया।

भारतीय सिनेमा की वैश्विक गूंज

पीएम मोदी ने भारतीय सिनेमा की सराहना करते हुए कहा, “बीते एक सदी में भारतीय फिल्मों ने न सिर्फ देश की संस्कृति को संजोया है, बल्कि उसे विश्वभर में पहुंचाया भी है। राज कपूर ने रूस में, सत्यजीत रे ने कान फिल्म फेस्टिवल में और आरआरआर ने ऑस्कर में भारत की प्रतिभा का लोहा मनवाया है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि हर कहानी भारतीय संस्कृति की आवाज बनकर दुनियाभर के करोड़ों लोगों के दिलों तक पहुंच रही है।

बॉलीवुड की प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी

समिट में फिल्म उद्योग की लगभग सभी बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं। सभी ने प्रधानमंत्री के उद्बोधन को गंभीरता से सुना और भारतीय मनोरंजन उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की प्रतिबद्धता दोहराई।

1 से 4 मई तक चलेगा समिट

WAVES Summit 2025 का आयोजन 1 से 4 मई तक मुंबई के जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारत के मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र की वैश्विक क्षमता को प्रदर्शित करना और उसे नई संभावनाओं से जोड़ना है।

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