लखनऊ से गुजरने वाली 75 ट्रेनों के समय में बदलाव, आज से नए समय पर चलेगी ट्रेनें21 hours ago आज से कानपुर रोड पर भारी वाहनों का डायवर्सन, कानपुर से लखनऊ आने वाले मोहनलालगंज होते हुए आएंगे, सुबह 6:00 से रात 11:00 तक नो एंट्री21 hours ago टिकटोक से हुआ प्यार, बांग्लादेश से तीन बच्चों के साथ श्रावस्ती पहुंची महिला, प्रेमी निकला 8 साल के बच्चे का बाप21 hours ago मेरठ मैं आज अंतरराष्ट्रीय जाट सांसद का आयोजन, सुभारती विश्वविद्यालय के मांगल्य कन्वेंशन सेंटर में आयोजित होगा कार्यक्रम21 hours ago लखनऊ मैं पेप्पर मनी ड्रीमिड कार्ड लांच, लोकल खरीदारी पर मिलेगी छूट21 hours ago अब 7 अक्टूबर तक बदले जा सकेंगे ₹2000 के नोट सरकुलेशन में 96 फीस दी नोट बैंकों में वापस आए21 hours ago एशियन गेम्स- हॉकी में भारत ने पाकिस्तान पर सबसे बड़ी जीत हासिल की, इंडिया ने पूल ए के लीग मुकाबले में पाकिस्तान को 10-2 से हराया, भारत ने पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ 10 गोल किए21 hours ago देश में कारों की सेफ्टी रेटिंग तय करने के लिए भारत न्यू कर असेसमेंट प्रोग्राम की शुरुआत, इसमें कारों को टेस्टिंग पास करने पर सेफ्टी रेटिंग दी जाएगी21 hours ago पीएम मोदी की स्वच्छता ही सेवा अभियान की शुरुआत, सफाई के लिए श्रमदान करने की अपील की21 hours ago यूपी में आज रविवार होने के बावजूद खुलेंगे सभी परिषदीय स्कूल व सरकारी माध्यमिक विद्यालय, स्वच्छांजलि कार्यक्रम के तहत एक घंटे का किया जाएगा श्रमदान21 hours ago

उत्तरप्रदेश की नाट्यकला: भाग 3 - रासलीला और नौटंकी

Baten UP Ki Desk

3 June, 2023, 4:31 pm

रासलीला

रासलीला की उत्पत्ति बृज क्षेत्र से हुई और इसका संबंध कृष्ण के जीवन से होता है। इसमें श्री कृष्ण राधा रानी और गोपियों के प्रसंगों को नाटक के माध्यम से दिखाया जाता है । रासलीला में मुख्य रूप से बृज भाषा का प्रयोग होता है और इसे जन्माष्टमी के अवसर पर किया जाता है। रासलीला लोकनाट्य का प्रमुख तत्व है- कि इसमें राधा-कृष्ण की प्रेम-क्रीड़ाओं का प्रदर्शन होता था, जिनमें आध्यात्मिकता की प्रधानता रहती थी। इनका मूलाधार सूरदास तथा अष्टछाप के कवियों के पद और भजन होते थे। उनमें संगीत और काव्य का रस तथा आनंद, दोनों रहता था। लीलाओं में जनता धर्मोपदेश तथा मनोरंजन साथ-साथ होते थे । इनके पात्रों- कृष्ण, राधा, गोपियों के संवादों में गंभीरता का अभाव और प्रेमालाप का अधिक्य रहता था। इन लीलाओं में रंगमंच भी होता था, किंतु वह स्थिर और साधारण कोटि का होता था। प्रायः रासलीला करने वाले इसे किसी मंदिर में अथवा किसी पवित्र स्थान या ऊँचे चबूतरे पर शुरू कर सकते थे। रास करने वालों की मण्डलियाँ भी होती थीं, जो पुणे, पंजाब और पूर्वी बंगाल तक घूमा करती थीं। 

नौटंकी

इसी कड़ी में अगला नाम आता है नौटंकी का। नौटंकी उत्तरप्रदेश का एक बहुत लोकप्रिय नृत्य है। नौटंकी दरअसल स्वांग की ही एक शाखा है जिसका वर्णन आईन ए अकबरी में भी मिलता है। नौटंकी में सामाजिक और लोक कथाओं को नाट्य रूप में रूपांतरित करके कलाकारों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसमें संवाद का स्वरूप काव्यात्मक होता है। नौटंकी में नगाड़े और हारमोनियम का प्रयोग किया जाता है। नौटंकी की मुख्य रूप से दो शैलियां उत्तर प्रदेश में हैं। एक है-कानपुरी शैली और दूसरी-हाथरसी शैली। हाथरसी शैली जहां प्राचीन स्वरूप पे जोर देती हैं और काव्यात्मक होती है तो वही कनपुरिया शैली थोड़ी नई है और इसमें अभिनय पर ज्यादा जोर दिया जाता है।

 

अन्य ख़बरें