बड़ी खबरें

दूसरे चरण में यूपी-बिहार में सबसे कम वोटिंग, नॉर्थ ईस्ट में पड़े बंपर वोट 16 घंटे पहले लखनऊ में शहीद पथ पर आज शाम चार से रात नौ बजे तक नहीं चलेंगी बसें, रहेगा ट्रैफिक डायवर्जन 16 घंटे पहले आईपीएल 2024 के 42वें मुकाबले में पंजाब ने किया ऐतिहासिक रन चेज, कोलकाता नाइट राइडर्स को 8 विकेट से हराया 16 घंटे पहले आईपीएल 2024 में लखनऊ सुपर जायंट्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच आज होगा 44वां मुकाबला, शाम 7.30 बजे से लखनऊ के इकाना स्टेडियम में खेला जाएगा मैच 16 घंटे पहले ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) ने जूनियर/एसोसिएट कंसल्टेंट के 28 पदों पर निकाली भर्तियां, 10 मई 2024 तक कर सकते हैं आवेदन 16 घंटे पहले सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने विभिन्न कैटेगरी में कंसल्टेंट के पदों पर निकाली भर्तियां, 8 मई 2024 है फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 16 घंटे पहले पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग (WBPSC) ने मत्स्य विस्तार अधिकारी, सहायक मत्स्य अधिकारी सहित अन्य पदों पर निकाली भर्ती, 13 मई 2024 है फॉर्म भरने की लास्ट डेट 16 घंटे पहले ममता बनर्जी हेलिकॉप्टर में चढ़ते समय लड़खड़ाकर गिरीं: दुर्गापुर में हुई घटना 11 घंटे पहले

उत्तरप्रदेश के नाट्यकला: भाग 1

नाटक हमेशा से ही उत्तर प्रदेश की कला का भाग रहे हैं फिर चाहे बृज क्षेत्र में हो रही रास लीला हो या अवध क्षेत्र की रामलीला। नाट्य कला में आइए सबसे पहले जान लेते हैं शास्त्रीय नाटकों के बारे में-

उत्तर प्रदेश में शास्त्रीय नाटक
ऐसा माना जाता है की उत्तरप्रदेश में शास्त्रीय नाटकों की शुरुआत भारतेंदु युग से हुई और भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपने लिखे हुए नाटकों जैसे वैदिक हिंसा हिंसा न भवति, सत्य हरिश्चंद्र, अंधेर नगरी, भारत दुर्दशा के माध्यम से समाज के तत्कालीन विषयों पर चुटीले प्रहार किए। इतिहास में थोड़ा और पीछे जाए तो लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह जो की एक लेखक भी थे उनके द्वारा लिखा गया एक नाटक राधा कन्हैया का किस्सा और सैय्यद आगाहसन का लिखा हुआ इंद्रसभा नाटक भारतेंदु हरिश्चंद्र के युग के पहले से विद्यमान थे। उत्तर प्रदेश के अन्य प्रसिद्ध नाटककारों में भारतेंदु जी के पिता बाबू गोपाल चंद्र जी ने नहुष नाम का नाटक लिखा था जिसे विशुद्ध नाटक रीति में लिखा गया पहला नाटक माना जाता है। वही शीतला प्रसाद त्रिपाठी द्वारा लिखें गए जानकी मंगल को आधुनिक शैली में प्रदर्शित पहला नाटक माना जाता है ।

उत्तर प्रदेश में लोक नाटक
ये तो थी शास्त्रीय नाटकों की बात पर उत्तर प्रदेश में शास्त्रीय नाटकों से ज्यादा प्रसिद्ध यहां के लोक नाटक हुए। लोक नाटकों की उत्पत्ति का कोई निश्चित समय नहीं है क्योंकि ये समय के साथ धीरे-धीरे ऐतिहासिक रूप से आम लोगों द्वारा विकसित किए गए। रामलीला और रास लीला जैसे लोक नाट्य तो हजारों साल से उत्तर प्रदेश में किए जा रहे हैं हां समय के साथ उनके प्रदर्शन में बदलाव जरूर आया है। जिनमे बड़ी-बड़ी लाइट्स आधुनिक मंचों और म्यूजिक सिस्टम ने बड़ी भूमिका निभाई है। उत्तर प्रदेश के लोक नाट्यों में नौटंकी, रामलीला , रासलीला, गुलाबो सिताबो, स्वांग, बिदेसिया और भगत जैसे नाट्य शामिल हैं।

 

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें