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यूपी के लोकगीत - भाग 3

लोक संगीत ऐसे पारंपरिक संगीत को संदर्भित करता है जो किसी विशेष क्षेत्र, संस्कृति या समुदाय से उत्पन्न होता है। यह आम तौर पर पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से ही हस्तांतरित होता है लेकिन अब  इसे लिखित रूप में भी संरक्षित और रिकॉर्ड किया जा रहा है। लोक संगीत अक्सर इसे बनाने और प्रदर्शन करने वाले लोगों के सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अनुभवों को दर्शाता है। इसी तरह यूपी के कुछ लोकगीत हैं जिन्हे हम फाग, नकटा और रसिया के नाम से जानते हैं।

नकटा
नकता अवध क्षेत्र का लोक गीत है और इसे पूर्वांचल के क्षेत्रों में भी गाया जाता है। नकटा गीतों को मजाकिया अंदाज में गाया जाता है। यह प्रायः महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला लोकगीत है और इसे विवाह जन्मसंस्कार आदि के समय पर गाया जाता है जिसमे देवर, भाभी, समधी और समधन आदि के रिश्तों को मजाकिया अंदाज में बयान किया जाता है।

रसिया 
रसिया ब्रज क्षेत्र का लोक संगीत है। इसका विषय राधा कृष्ण का प्रेम प्रसंग होता है। ब्रज क्षेत्र में रसिया गीत त्योहारों के समय गाया जाता है। होली के त्योहार के समय इन गीतों को प्रमुखता से गाया जाता है। रसिया गीत गाते समय बम्प नामक एक बड़े नगाड़े का प्रयोग किया जाता है जिसे डंडों से बजाया जाता है। रसिया का प्रयोग रासलीलाओं में भी कलाकारों के द्वारा किया जाता है।

फाग 
फाग एक त्योहार विशेष के समय गाया जाने वाला लोकगीत है। फाग को होली के त्योहार में ही बुंदेलखंड क्षेत्र तथा इससे जुड़े क्षेत्रों में गाया जाता है। फाग के मुख्य वाद्ययंत्रों में ढोलक, खंजरी ,ताशे, झांझ, आदि का प्रयोग किया जाता है। फाग एक समूह में गाया जाने वाला लोकगीत है और मुख्यतायः पुरुष लोग ही फाग को गाते हैं । फाग का विषय राम से लेकर कृष्ण और लोक संबंधों के बारे में होता है। इन सब के अलावा चैती नाम का एक और लोकगीत है जिसे पूर्वी उत्तरप्रदेश में गाया जाता है। चैती हिंदू पंचांग के चैत्र माह में गाया जाने वाला लोकगीत है। दरअसल चैत्र भगवान राम के जन्म का महीना होता है इसीलिए चैती की हर पंक्ति के अंत में राम या रामा शब्द का प्रयोग किया जाता है।

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