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निबंधात्मक मुद्दे भाग 11: नवीकरणीय ऊर्जा - भारत का भविष्य

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भारत विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। विकास की आव‍ ताओं में ऊर्जा सबसे प्रमुख आवश्यकता है जो विकास के अन्य कारकों को आधार प्रदान करती है। आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न ऊर्जा आत्मनिर्भरता के बिना अधूरा है क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए वर्तमान में आयात पर अत्यधिक निर्भर है। वैश्विक उथल-पुथल के कारण ऊर्जा की अनिश्चिता भारतीय अर्थव्यवस्था व विकास के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा पर्यावरण के समक्ष उत्पन्न संकट के कारण भी जीवाश्म ऊर्जा अब व्यवहार्य ऊर्जा पर निर्भर है। उसे ध्यान में रखते हुए हाल ही COPवकल्प नहीं है। भविष्य में ऊर्जा सुरक्षा नवीकरणीय भारत ने 2030 तक 450 गीगा वॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा आवश्यकताओं, संभावनाओं, चुनौतियों तथा सरकार के प्रयासों पर विश्लेषण निम्नलिखित है-
भारत का वर्तमान ऊर्जा परिदृश्य:- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट एनर्जी आउटलुक (IEO-2021) के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत यूरोपीय संघ (EU) को पीछे छोड़ते हुए तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता बन जायेगा भारत का ऊर्जा बास्केट लगभग 60% जीवाश्म ऊर्जा का धारण करता है। जीवाश्म ऊर्जा मुख्यतः आयात पर निर्भर है। वैश्विक उतार चढ़ाव एवं हलचलों से प्रभावित होने के कारण वर्तमान में भारत की ऊर्जा सुरक्षा चिन्ता का विषय है। बढ़ती आबादी एवं विकास की गति देखते हुए तेल की मांग में 2019 की तुलना में 2040 तथा 74% वृद्धि होने का अनुमान है। (IEO-2021) तेल के अलावा 2040 तक गैस की मांग में तीन गुना और कोयले की मांग वर्तमान 590 मिट्रिक टन से बढ़कर 2040 तक 772 मिट्रिक टन होने का अनुमान है। उन सभी के परिणामस्वरूप भारत का ऊर्जा आयात व्यय 2030 तक दोगुना हो जाएगा।

भविष्य की आवश्यकताएँ और नवीकरणीय ऊर्जा का महत्व:-

आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने और भारत को ऊर्जा सुरक्षा के लिए आयात पर निर्भरता घटाना अत्यंत आवश्यक है। नवीकरणीय ऊर्जा भारत की ऊर्जा माँग के लिए सतत व विश्वसनीय विकल्प है। यह न केवल पर्यावरण अनुकूल है बल्कि यह भारत में उपलब्ध भी है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक देश है। भारत अपनी कुल ऊर्जा आवश्यकता का लगभग 40% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करता है।

नवीकरणीय ऊर्जा भारत का भविष्य क्यों है?

प्रश्न का उत्तर भविष्य की आवश्यकताओं के संदर्भ में समझा जा सकता है- एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण आत्मनिर्भर ऊर्जा उत्पादन द्वारा ही किया जा सकता है। भारत में जीवाश्म ऊर्जा की सीमित उपलब्धता एवं उसके पर्यावरणीय दुष्परिणामों को देखते हुए भारत की ऊर्जा सुरक्षा नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर है।

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के अपने लक्ष्य तथा सतत विकास की प्राप्ति भी नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा प्राप्त की जा सकती है। नवीकरणीय ऊर्जा के उच्च लाभों में कम प्रदूषण और हरित पर्यावरण स्वास्थ्य और सम्पत्ति पर इसकेसकारात्मक लाभ, सुरक्षित और सतत संसाधन होने तथा निर्यात संभावना जैसे लाभ जुड़े हैं। नवीकरणीय ऊर्जा विकास परियोजनाएँ एवं संबंधित उद्योग रोजगार के महत्वपूर्ण साधन हो सकते है साथ ही भारत उभरते वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा बाजार में निर्यातक के रूप में उभर सकता है। इस प्रकार भारत का भविष्य बहुत हद तक नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर करता है। COP 26 में भारत द्वारा 2030 तक 450 गीगा वाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के महत्वकांक्षी लक्ष्य को इसी संदर्भ में समझा सकता है।

नवीकरणीय ऊर्जा भारत में संभावनाएँ-

भारत ऊष्णकटिबंधीय अवस्थिति तथा भौगोलिक विशिषताओं के कारण नवीकरणीय ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं। वर्तमान में भारत की कुल विद्युत का 40% नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त हो रहा है। भारत की नवीकरणीय ऊर्जा संभावनाओं को देखते हुए 2030 तक 450 गीगा वॉट उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है वर्तमान में भारत में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन 151 गीगावॉट है (नवम्बर 2021 ) हालांकि भारत की कुल क्षमता 1000 गीगा वॉट से अधिक की है। भारत के अग्रणी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान आदि है। 30 नवम्बर 2021 तक भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में (150 गीगा वॉट) सौर ऊर्जा 48.5 गीगा वॉट पवन ऊर्जा 40 गीगी वॉट लघु जल परियोजनाओं से 4.8 गीगा वॉट जैव ऊर्जा से 10.6 गीगा वॉट विद्युत परियोजनाओं से 46.5 गीगा वॉट, का उत्पादन किया जा रहा है। वर्ष 2014 से 2021 तक भारत के नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में 250% की वृद्धि हुई है जो कि इस क्षेत्र की महत्ता को सिद्ध करती है।

सरकार के प्रयास:-
नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन बढ़ने के लिए सरकार विभिन्न प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय सौर मिशन के अंतर्गत सौर ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि की जा रही है। पीएम कुसुम योजना के द्वारा किसानों को सौर ऊर्जा उत्पादन से जोड़ा जा रहा है यह न केवल किसानों की आय वृद्धि में सहायक के अपितु नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन वृद्धि में भी सहायक है। सरकार रूफ टॉप सौर ऊर्जा उत्पादन हेतु राज्य सरकारों के साथ हाइब्रिड परियोजनाओं पर कार्य कर रही है कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं में जैसलमेर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना, जलाशयों पर तैरते संयंत्र आदि हैं। नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य विकल्पों यथा पवन ऊर्जा जल विद्युत तथ अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन के संयंत्रों के आलावा हाइड्रोजन ऊर्जा की बढ़ावा दिया जा रहा है।

हालांकि नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में विभिन्न हैं। किसी भी परियोजना के लिए वित्त के स्रोत अत्यंत आवश्यक हैं नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में सार्वज निजी भागीदारी (PPP) और निजी निवेश बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है हांलाकि पर्याप्त वित्त की अनुपलब्धता एक बड़ी समस्या बनी हुई है। नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होती है यह अगली बड़ी चुनौती है। इसके अलावा मशीनरी व तकनीक का आयात तथा गुणवत्तापूर्ण सामग्री के लिए आयात पर निर्भरता, ग्रिड की सुरक्षा व सतत प्रबंधन संबंधी चुनौतियाँ नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के समक्ष सबसे बड़ी अड़चनें हैं।

अतः उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भविष्य का भारत नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित आत्मनिर्भर भारत होगा इसके लिए सरकार ने हाल ही में उत्पादन आधारित सब्सिडी योजना प्रारंभ की है। निजी निवेश में वृद्धि वैश्विक सहयोग एवं आम जनता को जोड़कर भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का दोहन किया जा सकता है।

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