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देशभर के युवाओं के लिए एक नई आर्थिक तस्वीर सामने आई है। अब वो दौर नहीं रहा जब मोटी सैलरी के लिए दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों का रुख करना पड़ता था। Indeed website की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद, चेन्नई और अहमदाबाद जैसे शहर अब सैलरी ग्रोथ के नए हब बनकर उभर रहे हैं।
सैलरी ग्रोथ की रेस में चेन्नई-हैदराबाद सबसे आगे
Indeed के इस व्यापक सर्वे में 1300 से अधिक नियोक्ता और 2500 से अधिक नौकरीपेशा लोगों को शामिल किया गया। रिपोर्ट बताती है कि चेन्नई में फ्रेशर्स को मिलने वाली औसत सैलरी ₹30,100 प्रति माह है, जो देश में सबसे ज्यादा है। वहीं 5 से 8 साल के अनुभवी कर्मचारियों के लिए हैदराबाद में औसत सैलरी ₹69,700 है, जो अन्य शहरों से कहीं बेहतर मानी जा रही है।
भारत के प्रमुख शहरों में फ्रेशर्स और मिड-लेवल प्रोफेशनल्स की औसत सैलरी (रुपये/माह)
शहर | 0–2 साल अनुभव | 2–5 साल अनुभव | 5–8 साल अनुभव |
---|---|---|---|
अहमदाबाद | ₹27,300 | ₹46,200 | ₹69,000 |
बेंगलुरू | ₹28,400 | ₹46,000 | ₹67,100 |
चंडीगढ़ | ₹26,300 | ₹45,500 | ₹68,400 |
चेन्नई | ₹30,100 | ₹46,600 | ₹66,400 |
दिल्ली | ₹26,300 | ₹43,600 | ₹64,400 |
हैदराबाद | ₹28,500 | ₹47,200 | ₹69,700 |
कॉस्ट ऑफ लिविंग बनी सबसे बड़ी चुनौती
रिपोर्ट में एक और बड़ी चिंता सामने आई है— कॉस्ट ऑफ लिविंग। भले ही सैलरी आकर्षक हो, लेकिन 69% लोगों का कहना है कि उनकी कमाई उनके शहर की महंगाई के हिसाब से पर्याप्त नहीं है।
दिल्ली में 96%
मुंबई में 95%
पुणे में 94%
बेंगलुरु में 93%
लोगों ने कहा कि इन मेट्रो शहरों में किराया, यात्रा, खाना और अन्य खर्चे इतने ज्यादा हैं कि सैलरी टिकती ही नहीं।
बदल रही है सोच, लौट रहे हैं लोग
बढ़ती महंगाई और वर्क-लाइफ बैलेंस की तलाश ने युवाओं को अपने गृहनगरों या टियर-2 शहरों में ही करियर बनाने की प्रेरणा दी है। कई लोग अब बेहतर सैलरी के साथ कम तनाव और खर्च वाले शहरों को प्राथमिकता दे रहे हैं। Indeed के सर्वे में यह भी सामने आया कि लोग अब सिर्फ पैकेज नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल और मेंटल वेलनेस को भी तवज्जो देने लगे हैं।
आखिर क्यों अहम है यह बदलाव?
भारत की वर्कफोर्स तेजी से डाइवरसिफाई हो रही है। जब छोटे शहर सही अवसर, प्रतिस्पर्धी सैलरी और संतुलित जीवन देने लगते हैं, तो मेट्रो शहरों की एकाधिकार स्थिति पर सवाल उठने लगते हैं। यह ट्रेंड देश के इकॉनॉमिक डीसेंट्रलाइजेशन और स्थानीय रोजगार निर्माण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
Baten UP Ki Desk
Published : 8 July, 2025, 1:49 pm
Author Info : Baten UP Ki