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जबसे AI टूल्स पॉपुलर हुए हैं तबसे न्यूज़ कंपनियों में इस बात पर लगातार चर्चा जारी है कि एआई से समाचार लिखना शुरू किया जाए या नहीं। टाइम्स, एनपीआर और इनसाइडर सहित कई भारतीय कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों से समाचार लिखने के लिए एआई का यूज करने का फरमान जारी किया है। जिससे यह पता लगाया जा सके कि यह कैसे काम कर रहा है और क्या इसमें कोई खामियां हैं। अब इसके मद्देनजर टेक कंपनियां भी जागरूक हो गयी हैं और वह किसी विशेष तरह के काम के लिए AI टूल्स डेवेलप करने पर फोकस कर रही हैं।
अभी हाल ही में न्यूयार्क टाइम्स में छपी एक रिपोट ने खुलासा किया है कि Google एक ऐसे टूल की टेस्टिंग कर रहा है जो न्यूज़ स्टोरीज तैयार करने के लिए AI तकनीक का उपयोग करता है। अभी यह टूल द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वाशिंगटन पोस्ट और द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मालिक और न्यूज कॉर्प सहित दूसरे आर्गेनाईजेशन को सबसे पहले प्रोवाइड किया जायेगा। इसकी उपयोगिता को आसानी से समझने के लिए इस तरह से सोचिये कि अगर कहीं कोई घटना घटी हो और पत्रकार दूसरी न्यूज लिखने में व्यस्त हो तो उस घटना को लिखने का काम गूगल का यह नया AI टूल करेगा। इस टूल को अभी इंटरनली तौर पर जेनेसिस के नाम से जाना जा रहा है। यह टूल वर्तमान घटनाओं का विवरण और उससे जुड़े न्यूज़ कंटेंट या आर्टिकल पर काम कर सकता है।
दरअसल यह जानकारी नाम न छापने की कंडीशन पर इंटरनली शेयर की गयी है। इस टूल को जानने वाले तीन लोगों में से एक ने NYT को बताया कि "Google का मानना है कि ये टूल पत्रकारों और कंपनियों की न्यूज लिखने में मदद करेगा और एक प्रकार से पर्सनल अस्सिटेंट के तौर पर असिस्ट करेगा। जिसका फायदा यह होगा कि न्यूज़ राइटर को दूसरे इम्पोर्टेन्ट काम करने के लिए समय मिल सकेगा। असल में कंपनी इसे एक रेस्पॉन्सिबल टेक्नीक के नजरिये से देख रही है। जिसके जरिये किसी भी प्रकाशन को चलाने में मदद मिलेगी”।
फायदे और नुकसान
क्रेग न्यूमार्क ग्रेजुएट स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के निदेशक, पत्रकारिता के प्रोफेसर और मीडिया टिप्पणीकार जेफ जार्विस ने जानकारी देते हुए कहा कि Google के AI टूल के फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं। उनके मुताबिक अगर यह टूल किसी भी तरह की रिलाएबल और फैक्चुअल इनफार्मेशन दे सकता है तो निश्चित तौर पर इसे पत्रकारों को समय बचाने के लिए यूज करना चाहिए। दूसरी तरफ अगर इसका यूज उन विषयों के कंटेंट के लिए किया जाता है जिनके लिए बारीकियों और सांस्कृतिक समझ की आवश्यकता होती है, तो न्यूज़ ऑर्गनाइज़शन की विश्वसनीयता और विशेषज्ञता पर प्रश्नवाचक चिन्ह लग सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 20 July, 2023, 1:57 pm
Author Info : Baten UP Ki