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दुनिया भर में इंटरनेट की पहुँच को लेकर कई तकनीकी इनोवेशन हो रहे हैं। अब यह रेस सिर्फ ऑप्टिकल फाइबर तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब सैटेलाइट्स और लेज़र बीम जैसी उन्नत तकनीकों तक पहुँच चुकी है। इस रेस में सबसे आगे हैं Elon Musk की SpaceX का प्रोजेक्ट Starlink और Google का नया प्रयोग TARA। दिलचस्प बात यह है कि ये दोनों ही हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए बिल्कुल अलग रास्तों पर चल रहे हैं।
Starlink: जब इंटरनेट आता है आसमान से-
SpaceX का Starlink प्रोजेक्ट अब दुनिया के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा दे रहा है। इसका सिद्धांत सीधा है—Low Earth Orbit (LEO) में तैनात हजारों छोटे सैटेलाइट्स धरती पर इंटरनेट सिग्नल भेजते हैं। यूज़र के पास एक खास डिश एंटीना होता है जो इन सैटेलाइट्स से सिग्नल कैच करता है।
फायदे:
दूरदराज़ इलाकों तक इंटरनेट पहुंचाना—जैसे पहाड़, जंगल, रेगिस्तान।
मोबाइल और फाइबर-रहित इलाकों में भी कनेक्टिविटी संभव।
चुनौतियाँ:
मौसम की मार—बारिश, बर्फ या तूफान के समय सिग्नल कमजोर हो सकते हैं।
स्पीड फाइबर जैसी नहीं होती।
हजारों सैटेलाइट्स लॉन्च करना बेहद महंगा है।
Google TARA: जब इंटरनेट धरती से दौड़ता है-
दूसरी ओर, Google का प्रोजेक्ट TARA एक Free-Space Optical Communication (FSOC) सिस्टम पर आधारित है। इसमें दो टावरों के बीच लेज़र बीम के ज़रिए डेटा ट्रांसमिट किया जाता है। इसे ऐसे समझिए जैसे दो पॉइंट्स के बीच टॉर्च की रौशनी में डेटा भेजा जा रहा हो।
फायदे:
फाइबर जैसी स्पीड, लेकिन बिना केबल बिछाए।
लागत कम, क्योंकि सैटेलाइट्स की जरूरत नहीं।
ज़मीन पर आधारित सिस्टम, आसान मेंटेनेंस।
चुनौतियाँ:
कोहरा, धुंध या बारिश लेज़र बीम को प्रभावित कर सकते हैं।
काम करने के लिए Line of Sight जरूरी—बीच में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए।
कौन जीतेगा इंटरनेट की ये रेस?
Starlink और TARA दोनों ही अपनी-अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं। जहाँ Starlink दुनिया के किसी भी कोने में इंटरनेट देना चाहता है, वहीं TARA उन इलाकों को जोड़ने का प्रयास कर रहा है जहाँ फाइबर नेटवर्क पहुंचाना मुश्किल है।
Starlink और TARA की जुगलबंदी से बनेगा नया दौर-
Starlink: अंतरिक्ष से आने वाला इंटरनेट—मोबाइल, लचीला लेकिन महंगा।
TARA: धरती से चलने वाला लेज़र इंटरनेट—सस्ता, तेज़ लेकिन मौसम के भरोसे।
भविष्य में शायद इन दोनों टेक्नोलॉजी का सम्मिलन भी हो, जहाँ Starlink जैसे सिस्टम रिमोट एरिया में काम करें और TARA जैसे सिस्टम शहरों और कस्बों में फाइबर का विकल्प बनें। एक बात तय है—इंटरनेट की दुनिया में क्रांति अभी शुरू ही हुई है।
Baten UP Ki Desk
Published : 15 April, 2025, 7:38 pm
Author Info : Baten UP Ki