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क्या मरा हुआ व्यक्ति अनलॉक कर सकता है आपका स्मार्टफोन? जानिए कैसे काम करता है फेस अनलॉक सिस्टम...

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स्मार्टफोन तकनीक जितनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है, उतने ही तेज़ सवाल भी लोगों के दिमाग में उठते रहते हैं। इन दिनों एक सवाल चर्चा में है—क्या किसी मृत व्यक्ति का चेहरा उनके फोन को फेस अनलॉक से खोल सकता है? यह सवाल केवल तकनीकी जिज्ञासा नहीं, बल्कि डिजिटल प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिहाज से भी अहम है।

कैसे काम करता है फेस अनलॉक सिस्टम?

आजकल अधिकांश स्मार्टफोन्स में फेस अनलॉक एक प्रमुख सुरक्षा फीचर बन चुका है। यह फीचर फोन के फ्रंट कैमरे या स्पेशल 3D स्कैनर के ज़रिए व्यक्ति के चेहरे की बनावट, गहराई, आंखों की स्थिति और एक्सप्रेशन्स को स्कैन करता है। एडवांस फोन, जैसे कि Apple iPhones (Face ID), Samsung और Google Pixel, अब "लाइवनेस डिटेक्शन" तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। यह तकनीक केवल चेहरे को पहचानने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह भी जांचती है कि सामने जो व्यक्ति है, वह जीवित है या नहीं।

क्या मरा हुआ व्यक्ति फोन अनलॉक कर सकता है?

विशेषज्ञों के अनुसार, आधुनिक स्मार्टफोन में यह संभव नहीं है। फेस अनलॉक फीचर तभी काम करता है जब व्यक्ति की आंखें खुली हों, पलकें झपकें और हल्का सा मूवमेंट हो। "लाइवनेस डिटेक्शन" तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि किसी मृत व्यक्ति या फोटो से फोन अनलॉक न हो सके। इसके अलावा, कई डिवाइसेज़ व्यक्ति की एनर्जी या माइक्रो-मोवमेंट को भी पहचानते हैं, जो मृत शरीर में नहीं पाए जाते।

पुराने या सस्ते फोन में हो सकती है सेंध

हालांकि, पुराने या सस्ते स्मार्टफोन जिनमें केवल 2D इमेज स्कैनिंग होती है और लाइवनेस डिटेक्शन मौजूद नहीं होता, उनमें किसी व्यक्ति की तस्वीर या मृत व्यक्ति का चेहरा अनलॉकिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यही कारण है कि ऐसे डिवाइसेज़ को आज के समय में सुरक्षा के लिहाज से कमज़ोर माना जाता है।

एडवांस फेस अनलॉक तकनीक सुरक्षित, लेकिन पासकोड बैकअप ज़रूरी

मॉडर्न स्मार्टफोन यूज़र्स को घबराने की ज़रूरत नहीं है। यदि आप iPhone, Samsung या Pixel जैसे एडवांस डिवाइसेज़ का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपका डेटा फेस अनलॉक के ज़रिए सुरक्षित है और मरे हुए व्यक्ति से फोन खोलना लगभग असंभव है। फिर भी, बायोमेट्रिक अनलॉकिंग के साथ-साथ पासकोड जैसी सेकेंडरी सिक्योरिटी का इस्तेमाल करना हमेशा बेहतर होता है।

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