कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मोहाली के गुरिंदर सिंह और अन्य द्वारा हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका (PIL) पर आज सुनवाई हुई, जिसमें फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि फिल्म में सिख समुदाय को गलत तरीके से दिखाया गया है, जिससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।
सेंसर बोर्ड की प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान सेंसर बोर्ड ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि 'इमरजेंसी' को अभी तक सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। बोर्ड के अनुसार, जब तक सेंसर सर्टिफिकेट नहीं मिलता, तब तक फिल्म को रिलीज नहीं किया जा सकता। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि वे सभी समुदायों और धर्मों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सर्टिफिकेट जारी करते हैं।
शिकायतों पर विचार
सेंसर बोर्ड के प्रतिनिधि ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की शिकायतें बोर्ड तक पहुंच चुकी हैं और उन पर गहनता से विचार किया जाएगा। सभी पहलुओं की जांच के बाद ही फिल्म को सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड का पक्ष सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को आश्वासन दिया कि अगर उनकी शिकायत पर उचित कार्रवाई नहीं होती है, तो वे दोबारा अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया, जिससे फिल्म की रिलीज़ फिलहाल अधर में लटक गई है।
फिल्म की विवादास्पद पृष्ठभूमि
फिल्म 'इमरजेंसी' देश के इतिहास के एक संवेदनशील दौर पर आधारित है और इसे लेकर पहले से ही विवाद उठ खड़े हुए हैं। अब यह देखना बाकी है कि सेंसर बोर्ड की प्रक्रिया के बाद फिल्म को दर्शकों के सामने आने की अनुमति मिलती है या नहीं।