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भारत में आलू उत्पादन को नया आयाम देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के सींगना में अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (CSARC) की स्थापना को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से न केवल आलू की खेती से जुड़े किसानों को लाभ होगा, बल्कि भारत इस क्षेत्र में वैश्विक शोध और नवाचार का केंद्र भी बन सकेगा।
आगरा, जिसे लंबे समय से देश का आलू हब माना जाता है, अब आलू अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाएगा। वर्तमान में देश में आलू अनुसंधान का प्रमुख केंद्र हिमाचल प्रदेश के शिमला में है, लेकिन दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना से उत्तर भारत को भी बड़ा वैज्ञानिक मंच मिलेगा।
क्या होगा केंद्र का उद्देश्य?
इस केंद्र का लक्ष्य आलू की उत्पादकता बढ़ाना, कटाई के बाद के नुकसान को कम करना और वैल्यू एडिशन यानी मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना है। साथ ही, यह केंद्र किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार के नए अवसर पैदा करने और खाद्य व पोषण सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में काम करेगा।
आगरा को क्यों चुना गया?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में भारत में कुल 595 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ, जिसमें उत्तर प्रदेश का योगदान 202 लाख टन रहा। आगरा को ‘बेंचमार्क मंडी’ कहा जाता है जहां से देशभर में आलू की कीमतें तय होती हैं। यहां कोल्ड स्टोरेज की सबसे अधिक सुविधा और व्यापक वितरण नेटवर्क मौजूद है, जो केंद्र की सफलता के लिए आदर्श स्थिति बनाता है।
वैश्विक स्तर पर असर
कृषि मंत्रालय का मानना है कि यह केंद्र न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में आलू आधारित कृषि प्रणाली को सशक्त बनाएगा। यहां से विकसित की गई उच्च उपज और जलवायु-अनुकूल किस्में पूरे क्षेत्र में अपनाई जा सकेंगी। यह निर्णय प्रधानमंत्री के Viksit Bharat@2047 विज़न की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे भारत कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और नवाचार की ओर अग्रसर होगा। आगरा को अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र मिलने से क्षेत्रीय किसानों, व्यापारियों और वैज्ञानिकों को एक नई दिशा मिलेगी।
Baten UP Ki Desk
Published : 26 June, 2025, 7:51 pm
Author Info : Baten UP Ki