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नृत्य मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है..

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(Special Story) कला हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारी जिंदगी में आनंद का भाव प्रदान करती है। एक ऐसी ही सार्वभौम कला जो मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है जिसे नृत्य के नाम से जाता है। इसकी उत्पत्ति भी मानव जीवन के साथ ही हुई है क्योंकि जन्म के समय शिशु अपनी शारिरिक क्रियाकलापों के माध्यम से अपने भाव की अभिव्यक्ति करता है। इन्हीं आंगिक -क्रियाओं से नृत्य का जन्म हुआ है। नृत्य न सिर्फ़ एक प्रदर्शन कला है, बल्कि यह एक परंपरागत संस्कृति का प्रतिबिंब भी है। नृत्य हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। नृत्य एक ऐसी बेहतरीन कला है जिसके जरिए हम भावनाओं के साथ अपनी संस्कृति को प्रदर्शित कर सकते हैं और इसका अभ्यास करके सेहतमंद भी रहा जा सकता है। इसीलिए हर साल 29 अप्रैल का दिन दुनियाभर में 'अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन को मनाने का उद्देश्य नृत्य की शिक्षा और उसके आयोजनों में भागीदारी के लिए प्रहोत्सान बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. इस दिवस को दुनिया भर में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है जिसका मकसद लोगों को नृत्य का महत्व बताना है। साथ ही इसके जरिए दुनियाभर के डांसर्स को प्रोत्साहित भी करना है। इस दिन विभिन्न नृत्य संबंधित कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। कथक, भरतनाट्यम, हिप हॉप, बैले, साल्सा, लावणी जैसे कई डांस फॉर्म हैं, जो दुनियाभर में लोकप्रिय हैं। आइए अब जानते हैं अंतरराष्‍ट्रीय नृत्य दिवस मनाने की शुरूआत कैसे हुई?

अंतरराष्‍ट्रीय नृत्य दिवस मनाने की शुरुआत-

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस, नृत्य के जादूगर जीन जॉर्जेस नोवेरे को समर्पित है। जॉर्जेस नोवेरे एक मशहूर बैले मास्टर थे, जिन्हें फादर ऑफ बैले के नाम से भी जाना जाता है। 29 अप्रैल 1727 को ही जॉर्जेस नोवरे का जन्म हुआ था। साल 1982 में आईटीआई की नृत्य समिति ने जॉर्जेस नोवरे के जन्मदिन 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मना कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी। जिसके बाद से हर साल 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाने लगा। उन्होंने नृत्य पर ‘लेटर्स ऑन द डांस’ नाम की एक किताब भी लिखी थी, जिसमें नृत्य से जुड़ी एक-एक चीज़ मौजूद हैं। कहते हैं इसे पढ़कर कोई भी नृत्य करना सीख सकता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाने की शुरुआत 1982 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) की अंतरराष्ट्रीय नृत्य समिति की ओर से की गई थी। 

दुनिया भर में भेजा जाता है संदेश-

हर साल आईटीआई की इंटरनेशनल डांस कमेटी और आईटीआई की एक्जीक्यूटिव काउंसिल बेहतरीन कोरियोग्राफर या नृतक को चुनते हैं दुनिया भर में संदेश भेजते हैं। संदेश के लेखक का चयन यही समिति और काउंसिल करती है। इसके बाद संदेश का दुनिया की तमाम भाषाओं में अनुवाद होता है और इसे पूरी दुनिया में प्रसारित किया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाने का उद्देश्य-

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का एक उद्देश्य ना केवल दुनिया के सभी नृत्यों का प्रोत्साहन बढ़ाना है बल्कि लोगो में इन सभी नृत्य स्वरूपों के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना भी है जिसमें दुनिया के बड़े नेतृत्व और सरकारें तक शामिल हैं. इसमें नृत्य का स्वयं के लिए आनंद लेना और उसे दूसरों से साझा करना भी शामिल है। और साथ ही इस दिन को दुनिया में सांस्कृतिक, राजनैतिक और भौगोलिक सीमाओं से परे जाकर नृत्य कला का प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है और नृत्य को एक साझा भाषा की तरह लोगों जोड़ना है। 

भारतीय शास्त्रीय नृत्य-

भारतीय शास्त्रीय नृत्य सदियों से चली आ रही एक सुंदर और सुंदर कला है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य एक समृद्ध और विविध कला रूप है जिसका भारत में एक लंबा इतिहास और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक महत्व है। यह कलात्मक अभिव्यक्ति का एक रूप है और एक माध्यम है जिसके माध्यम से विभिन्न कहानियों, मिथकों और धार्मिक विषयों को व्यक्त किया जाता है।  भारतीय नृत्य शैलियों के प्राकर-

भरतनाट्यम- तमिलनाडु का भरतनाट्यम सबसे पुराने डांस में से एक है।

कथक- कथक उत्तरी भारत का एक विशेष डांस है। इसमें पौराणिक कथाओं, इतिहास और रोजमर्रा की जिंदगी की कहानियों को दिखाया जाता है।

कथकली- कथकली केरल का एक अनोखा भारतीय नृत्य-नाटक है। यह शास्त्रीय नृत्य अपने बोल्ड मेकअप और विस्तृत वेशभूषा के लिए जाना जाता है जिसका वजन 12 किलोग्राम तक हो सकता है. "कथकली" शब्द का अनुवाद "कहानी-नाटक" है।

ओडिसी- ओडिसी प्रमुख शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक है जिसकी उत्पत्ति ओडिशा के मंदिरों में हुई थी।

कुचिपुड़ी- आंध्र प्रदेश से उत्पन्न, कुचिपुड़ी एक शास्त्रीय नृत्य शैली है जो नृत्य, नाटक और संगीत को जोड़ती है. इसकी जड़ें नाट्य शास्त्र जैसे प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में हैं।

मणिपुरी- मणिपुरी रास लीला के रूप में भी जाना जाता है, मणिपुरी एक शास्त्रीय नृत्य शैली है जो अपनी कृपा, तरल गति और भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण के लिए जानी जाती है।

मोहिनीअट्टम- मोहिनीअट्टम केरल का एक शास्त्रीय नृत्य है। मोहिनीअट्टम नाम का अर्थ है "मोहिनी का नृत्य", जो भगवान विष्णु की महिला जादूगरनी अवतार है।

सत्त्रिया नृत्य- सत्त्रिया की उत्पत्ति 16वीं शताब्दी में असम के वैष्णव मठों में हुई थी. प्रारंभ में, यह नृत्य शैली केवल वैष्णव मठों में रहने वाले लोगों द्वारा ही की जाती थी, लेकिन बाद में इसे अन्य गैर-मठवासी कलाकारों द्वारा भी अपनाया गया।

छाऊ- छऊ एक अर्ध-शास्त्रीय भारतीय लोक नृत्य है. इसमें मार्शल आर्ट और कहानी कहने का मिश्रण शामिल है. छाऊ केवल पुरुष नर्तकों को सिखाया जाता है, लेकिन अब महिला मंडलों में महिलाएं भी इसे सीख रही हैं।

शास्त्रीय नृत्य के फायदे -

शास्त्रीय नृत्य कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक लाभ भी प्रदान करता है। शारीरिक रूप से, शास्त्रीय नृत्य संतुलन, समन्वय, लचीलेपन और ताकत को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। मानसिक रूप से, यह फोकस, अनुशासन, रचनात्मकता और आत्मविश्वास को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

नृत्य को जिंदगी में करें शामिल 

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का मकसद लोगों को डांस से होने वाले फायदे को बताया है। डांस से कई तरह की बीमारियां दूर होती है। इससे आप तरोताजा और फिट रहते हैं। इसलिए डांस को अपनी जिंदगी में जरूर शामिल करना चाहिए।

  • हर दिन 30 मिनट के डांस से आप 534 कैलोरी बर्न कर सकते हैं।
  • डांस एक तरह का थेरेपी है, इससे डिप्रेशन से छुटकारा मिलता है, और आप कई बीमारियों से बच जाते हैं।
  • डांस करने से आप पार्किंसंस जैसी खतरनाक बीमारी से भी बच सकते हैं।
  • डांस करने से हार्ट फेलियर, सेरेब्रल पाल्सी जैसी बीमारियों का खतरा नहीं होता है। 

 

 

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