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थोक महंगाई दर चौथे महीने बढ़कर 3 फीसदी से पार, खाने- पीने की चीजों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी

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भारत में महंगाई दर में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है। रिटेल महंगाई दर में वृद्धि के बाद अब थोक मूल्य सूचकांक यानी होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) में भी महत्वपूर्ण उछाल देखा गया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने जून महीने के लिए थोक महंगाई दर जारी कर दी हैं। आंकड़ों के मुताबिक, WPI महंगाई दर 3 फीसदी के पार पहुंच गई है। जून में सब्जियों और मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट की कीमतों में तेजी की वजह से महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है।

आंकड़ों पर एक नजर-

ताजा जारी आंकड़ों के अनुसार, जून में थोक महंगाई दर चौथे महीने बढ़कर 3.36 फीसदी पर पहुंच गई। यह मई में 2.61 फीसदी दी। वहीं पिछले साल जून 2023 में थोक महंगाई दर (-) 4.18 फीसदी थी। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में वृद्धि बताया जा रहा है। खासकर सब्जियों, अनाज और डेयरी उत्पादों की कीमतों में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का बयान-

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘ जून 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही।’’

खाने- पीने की चीजों पर हुई बढ़ोतरी 

आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी। सब्जियों की महंगाई दर जून में 38.76 प्रतिशत रही, जो मई में 32.42 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 93.35 प्रतिशत रही, जबकि आलू की महंगाई दर 66.37 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर जून में 21.64 प्रतिशत रही। ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.03 प्रतिशत रही, जो मई में 1.35 प्रतिशत से थोड़ी कम है।

इन सब्जियों के बढ़े दाम-

  • जून के दौरान सब्जियों की महंगाई दर 38.76 फीसदी थी, जो मई में 32.42 फीसदी थी।
  • जून में प्याज की महंगाई दर 93.35 फीसदी रही।
  • आलू की महंगाई दर 66.37 फीसदी रही।

दालों पर महंगाई-

जून में दालों की महंगाई दर 21.64 फीसदी बढ़ी।

ईंधन और बिजली पर महंगाई-

ईंधन और बिजली बास्केट में महंगाई दर 1.03 फीसदी रही, जो मई के 1.35 फीसदी से मामूली कम है।

मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट में महंगाई-

मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट में महंगाई जून में 1.43 प्रतिशत थी, जो मई के 0.78 प्रतिशत से ज्यादा है।

रिटेल महंगाई दर के आंकड़े-

रिटेल महंगाई दर के आंकड़ों के अनुरूप ही थोक महंगाई दर रहा है। 12 जुलाई 2024 को रिटेल महंगाई दर जारी हुए थे। रिटेल महंगाई दर जून में चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है।

औद्योगिक उत्पादों की कीमतें-

औद्योगिक उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि देखी गई है। धातु, रसायन और निर्माण सामग्री की कीमतों में वृद्धि के कारण औद्योगिक क्षेत्र पर भी महंगाई का प्रभाव पड़ा है। इससे निर्माण और अन्य औद्योगिक गतिविधियों की लागत में वृद्धि हुई है।

सरकार की चुनौतियां-

महंगाई दर में इस वृद्धि के साथ ही सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। आम जनता को राहत देने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि महंगाई दर में इसी तरह की वृद्धि जारी रहती है, तो इससे आर्थिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

आम जनता पर असर-

महंगाई दर में वृद्धि का सीधा असर आम जनता पर पड़ा है। रोजमर्रा की आवश्यकताओं की वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से घरेलू बजट प्रभावित हो रहा है। इसके चलते लोगों की क्रय शक्ति कम हो रही है और उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। भारत में थोक महंगाई दर में वृद्धि से आम जनता को राहत मिलती नहीं दिख रही है। सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे ताकि आर्थिक स्थिरता बनी रहे और आम जनता को राहत मिल सके। महंगाई दर में इस वृद्धि का व्यापक असर आर्थिक गतिविधियों और आम लोगों की जीवनशैली पर पड़ सकता है।

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