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भारतीय पूंजी बाजार में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। शेयर बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही एक विनियमित प्री-आईपीओ ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म शुरू किया जा सकता है। यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब निवेशकों और कंपनियों दोनों के लिए आईपीओ (IPO) से पहले के लेन-देन को लेकर पारदर्शिता और भरोसे की मांग बढ़ी है।
ग्रे मार्केट से पारदर्शी व्यवस्था की ओर
अब तक आईपीओ से पहले शेयरों की खरीद-फरोख्त मुख्य रूप से अनियमित ग्रे मार्केट में होती रही है। इस बाजार में न तो निवेशकों को पूरी जानकारी मिलती है, और न ही कंपनियों की वास्तविक स्थिति का खुलासा होता है। सेबी के नए प्लेटफॉर्म से यह स्थिति बदल सकती है। कंपनियों को यहां कुछ अनिवार्य खुलासे (Disclosures) करने होंगे और निवेशक भी विनियमित तरीके से इन शेयरों का व्यापार कर पाएंगे। इससे निवेशकों को पारदर्शी सूचनाएं मिलेंगी और कंपनियों को भी वैध चैनल के ज़रिए पूंजी जुटाने का मौका मिलेगा।
निवेशकों के लिए नया अवसर
प्री-आईपीओ ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म उन निवेशकों के लिए खास होगा जो किसी कंपनी में लिस्टिंग से पहले निवेश करना चाहते हैं। अभी तक आम निवेशकों के पास यह विकल्प सीमित था, क्योंकि ग्रे मार्केट मुख्यतः संस्थागत खिलाड़ियों और ब्रोकरों तक ही सीमित था। लेकिन अगर सेबी का यह प्रयोग सफल होता है, तो यह रिटेल निवेशकों के लिए भी एक नया रास्ता खोल सकता है। इसके अलावा, यह प्लेटफॉर्म आईपीओ अलॉटमेंट और लिस्टिंग के बीच मौजूद तीन दिनों की खाई को भी भर सकता है। यानी निवेशक इस दौरान अपने शेयर खरीद-बेच पाएंगे, जिससे तरलता (Liquidity) बढ़ेगी और निवेशकों का भरोसा भी मजबूत होगा।
कंपनियों और बाजार पर असर
कंपनियों के लिए यह प्लेटफॉर्म एक बड़ा लाभ लेकर आएगा। स्टार्टअप्स और उभरते सेक्टर की कंपनियां यहां अपने शेयरों का कारोबार करवा सकती हैं और इससे उन्हें बाज़ार से रियल-टाइम वैल्यूएशन मिलेगा। इससे न केवल कंपनियों को निवेशकों की धारणा समझने का मौका मिलेगा बल्कि उनकी पूंजी जुटाने की क्षमता भी मजबूत होगी। हालांकि, एक बड़ा सवाल यह है कि क्या यह प्लेटफॉर्म ग्रे मार्केट को पूरी तरह खत्म कर पाएगा? ग्रे मार्केट तेज़ और लचीला है, जबकि नियामित प्लेटफॉर्म पर नियम-कायदों की वजह से ट्रेडिंग अपेक्षाकृत धीमी हो सकती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि निवेशक कौन सा रास्ता चुनते हैं।
इक्विटी डेरिवेटिव्स में सुधार की तैयारी
सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडे ने यह भी स्पष्ट किया कि नियामक इक्विटी डेरिवेटिव उत्पादों की अवधि और परिपक्वता में सुधार लाने पर विचार कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कैश इक्विटी मार्केट का दैनिक कारोबार दोगुना हुआ है, लेकिन डेरिवेटिव्स में अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग का दबदबा बढ़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड बाजार की सेहत के लिए खतरा है। अगर लंबी अवधि के उत्पाद लाए जाते हैं, तो यह हेजिंग और दीर्घकालिक निवेशकों के लिए बेहतर साबित होगा।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारतीय पूंजी बाजार को बढ़ावा
कुल मिलाकर, सेबी का यह कदम भारतीय पूंजी बाजार को अधिक पारदर्शी, गहरा और मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। प्री-आईपीओ प्लेटफॉर्म न सिर्फ निवेशकों को नए अवसर देगा बल्कि कंपनियों के लिए भी पूंजी जुटाने के रास्ते खोलेगा। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह प्लेटफॉर्म निवेशकों और कंपनियों दोनों का कितना भरोसा जीत पाता है। भारत का पूंजी बाजार जिस तेज़ी से विकसित हो रहा है, उसमें ऐसे सुधार ही इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना सकते हैं।
Baten UP Ki Desk
Published : 21 August, 2025, 6:01 pm
Author Info : Baten UP Ki