बड़ी खबरें

Covid Drugs Case: गौतम गंभीर को राहत नहीं, ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार एक घंटा पहले शुभांशु शुक्ला के नाम पर स्कॉलरशिप शुरू करेगी सरकार, सीएम योगी की घोषणा एक घंटा पहले

10 साल में बदल जाएगी सेविंग्स की तस्वीर ! जानिए क्या कहती है भारतियों की आदतों पर 'Goldman Sachs' की रिपोर्ट

Blog Image

भारत की घरेलू बचत पर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स ने बड़ा अनुमान जारी किया है। बैंक का कहना है कि आने वाले 10 वर्षों में भारत की घरेलू वित्तीय बचत से करीब 9.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश प्रवाह देखने को मिलेगा। यह अनुमान भारत के बदलते वित्तीय परिदृश्य और परिवारों की बचत की प्राथमिकताओं में हो रहे बदलाव को दर्शाता है।

क्या कहती है रिपोर्ट?

गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, अगले दशक में भारत की घरेलू वित्तीय बचत औसतन जीडीपी का 13% रहने की उम्मीद है। यह स्तर पिछले 10 वर्षों के औसत 11.6% से काफी अधिक होगा। रिपोर्ट का कहना है कि धीरे-धीरे भारतीय परिवार सोने और अचल संपत्ति जैसी पारंपरिक भौतिक संपत्तियों से हटकर वित्तीय संपत्तियों में निवेश बढ़ा रहे हैं।

कहां होगा सबसे बड़ा निवेश?

रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 9.5 ट्रिलियन डॉलर के प्रवाह में से:

  • 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक दीर्घकालिक बचत उत्पादों (बीमा, पेंशन और रिटायरमेंट फंड) में जाएगा।

  • करीब 3.5 ट्रिलियन डॉलर बैंक डिपॉजिट में आएगा।

  • जबकि 0.8 ट्रिलियन डॉलर इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स में निवेश होगा।

इससे साफ है कि भारतीय निवेशक अब अपनी बचत को अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित साधनों में लगाने के इच्छुक हैं।

भारत के लिए क्या होंगे बड़े फायदे?

गोल्डमैन सैक्स ने रिपोर्ट में इस बढ़ती बचत और निवेश प्रवाह के तीन बड़े फायदे बताए हैं:

  1. कॉर्पोरेट सेक्टर को स्थिर फंडिंग
    उच्च घरेलू वित्तीय बचत से भारत की कंपनियों को दीर्घकालिक और स्थिर पूंजी मिलेगी। इससे कैपेक्स (Capital Expenditure) चक्र को बढ़ावा मिलेगा और चालू खाता घाटे (Current Account Deficit) पर दबाव नहीं बढ़ेगा।

  2. बॉन्ड मार्केट को मजबूती
    बढ़ते निवेश से भारत के लॉन्ग-टर्म बॉन्ड मार्केट को सहारा मिलेगा। इससे सरकारी और कॉर्पोरेट दोनों तरह के बॉन्ड्स की लागत कम होगी और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग को नई गति मिलेगी।

  3. कैपिटल मार्केट में खुदरा निवेशकों की भागीदारी

वित्तीय बचत में वृद्धि से पूंजी बाजारों में खुदरा निवेशकों का दायरा और व्यापक होगा। साथ ही, प्रोफेशनल वेल्थ मैनेजमेंट सर्विसेज की मांग भी तेजी से बढ़ेगी।

क्यों बढ़ रहा है वित्तीयकरण?

भारतीय परिवारों के बचत पैटर्न में यह बदलाव कई कारकों से जुड़ा है –

  • आय स्तर में वृद्धि

  • महंगाई और ब्याज दरों का असर

  • वित्तीय बाजारों तक आसान पहुँच

  • जोखिम उठाने की क्षमता में सुधार

विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तरह भारत में भी परिवार अब पेंशन फंड, बीमा और पूंजी बाजार में निवेश बढ़ा रहे हैं। हालांकि, अभी भी कई उभरते देशों की तरह भारत में बड़ी बचत अचल संपत्ति और सोने में फंसी रहती है।

निवेश-आधारित विकास मॉडल को मिलेगा बढ़ावा

गोल्डमैन सैक्स की यह रिपोर्ट संकेत देती है कि भारत में बचत का वित्तीयकरण (Financialisation of Savings) अगले दशक में तेजी से गहराएगा। इससे न केवल भारतीय परिवारों को अधिक रिटर्न का अवसर मिलेगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी दीर्घकालिक और स्थिर निवेश आधार मिलेगा। कुल मिलाकर, यह प्रवृत्ति भारत को निवेश-प्रेरित विकास मॉडल की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें