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"विश्व यह तय करे कि भारत कौन है? भारत ने किसी के बारे में सोचना छोड़ दिया है।"
भारतीय विदेशमंत्री द्वारा रायसीना डायलॉग में कहा गया यह वक्तव्य भारत की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रारम्भ स्वतंत्र विदेशनीति का सिद्धांत वर्तमान में अपनी पूर्णता के साथ प्रदर्शित हो रहा है। अब विश्व बहुध्रुवीय बन रहा है, जिसमें भारत का उदय महाशक्तियों के बीच एक उभरती शक्ति के रूप में हो रहा है। विश्व में भारत 'वर्ल्डस् फार्मेसी', सबसे बड़े लोकतंत्र, विशाल बाजार, आर्थिक शाक्ति तथा तीसरी बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है। स्वतंत्रता के बाद से भारत के वर्तमान उदय तक की यात्रा विभिन्न उतार चढावों से भरी हुई है।
महाशक्तियों के साथ भारत के संबंध-
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व में दो महाशक्तियाँ उभरी यूएसए और सोवियत संघ। सैन्य और आर्थिक दृष्टि से दोनो ही राष्ट्र इतने अधिक शक्तिशाली थे कि वे विश्व के किसी भी कोने में अपनी शक्ति को प्रक्षेपित कर सकते थे। जब 1947 में भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की तब दोनों ही देशों से अपने संबंध अच्छे बनाना चाहता था। जहाँ भारत और अमेरिका के बीच लोकतांत्रित मूल्यों की समानता थी तो वहीं सोवियत संघ का आर्थिक माडल भारत की आवयकताओं के अधिक अनुरूप था।
शीतयुद्ध के काल में भारत अमेरिका संबंधो में विभिन्न कारणों से कटुता आई जिनमें भारत द्वारा गुट निरपेक्षता की नीति, अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को संरक्षण एवं भारत सोवियत संघ की नजदीकी प्रमुख कारण थे। 1991 में सोवियत संघ के विघटन और भारत की आर्थिक बदहाली ने संबंधों में नए आयाम जोड़े।
चीन के उदय ने अमेरिकी आवश्यकताओं में परिवर्तन कर दिया, भारत के विशाल बाजार, सशक्त लोकतंत्र, जनसंख्यिकी लाभांश तथा सामरिक स्थिति आदि को देखते हुए न केवल अमेरिका बल्कि पश्चिमी यूरोप की अन्य शाक्तियों का भारत की ओर आकर्षण बढ़ने लगा ।
वर्तमान वैश्विक व्यवस्था-
1991 के बाद के अगले दो दशकों तक विश्व अमेरिकी वर्चस्व व रूस की सीमित प्रतिस्पर्धा का साक्षी रहा किंतु वर्तमान में वैश्विक स्तर पर शक्ति के विभिन्न केंद्रों का उदय हो रहा है विश्व (बाइपोलर ) द्विध्रुवीय से (मल्टीपोलर ) बहुध्रुवीय बन रहा है। अमेरिका और रूस के अलावा चीन और उभरता भारत नवीन शक्ति के केंद्र है। चीन आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी तथा प्रभाव की दृष्टि से अमेरिका को सीधी टक्कर दे रहा है, रूस आज भी एक महत्वपूर्ण सैन्य शक्ति है अपने सुपरसोनिक विमानों और नाभिकीय क्षमताओं के कारण रूस शक्ति का एक मजबूत ध्रुव बना हुआ है। इन शक्तियों के अलावा भारत वैश्विक मंच पर एक नवीन शक्ति के रूप में उदित हुआ है। भारत न केवल आर्थिक विकास के पथपर तीव्रता से आगे बढ़ रहा है बल्कि सैन्य क्षमता में भी महाशक्तियों में तीव्रता से उभर रहा है। अपने "साफ्ट पावर" और नैतिक मूलयों के कारण भारत की वैश्विक स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है।
एक उभरती शक्ति के रूप में भारत-
हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती स्वीकार्यता भारत के लिए विभिन्न संभावनाएँ उत्पन्न करती हैं जैसे- विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत विश्व के लिए एक प्रेरणा है अल्पविकसित तथा तृतीय विश्व के देशों के लिए भारतीय पद्धति एक आदर्श के रूप में देखी जा रही है जो भारत की बढ़ती स्वीकार्यता का कारण है। भारत विश्व के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। लगभग सभी देश भारत से अपने आर्थिक संबंध बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं। यह भारत के लिए भी व्यापार व आर्थिक विकास के मार्ग प्रशस्त करता है। भारत में जनसंख्यिकी लाभांश की स्थिति और प्रशिक्षित श्रमबल के अन्य देशों (खाड़ी, यूरोप, USA) में प्रवास कारण भारत के संबंध मजबूत हो रहे हैं।
हाल की कोरोना आपदा में भारत ने दवाइयों, चिकित्सा उपकरणों और वैक्सीन की अवाधित एवं विश्वसनीय उपलब्धता सुनिश्चित कर वर्ड्स फार्मसी के दावे को सही सिद्ध कर रहा है। वैक्सीन डिप्लोमेसी ने भारत की वैश्विक छवि को बेहतर बनाने में मदद की है।
कृषि उत्पादों के निर्यातक के रूप में भारत की महत्ता बढ़ती जा रही है वर्तमान यूक्रेन संकट में भारत पड़ोसी देशों समेत विश्व के विभिन्न देशों के लिए खाद्य प्रदायक बना है । भारत का बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार एवं आर्थिक शक्ति श्रीलंका व बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों को आर्थिक संकट में सहायता देने में सक्षम बना रहा है जो न केवल भारत के प्रति विश्वास में वृद्धि करेगा बल्कि चीन को संतुलित करने में भी सहायक होगा। भारत की एक महाशक्ति के रूप में उदय की कहानी का महत्वपूर्ण आयाम भारत की सामारिक स्थिति तथा बढ़ती सैन्य क्षमता है। हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीनी दबाव करने के लिए भारत सबसे अहम देश है। डीआरडीओ और इसरो की सफलता ने भारतीय रक्षा क्षेत्र को नए आयाम दिए हैं। तेजस, ब्रहमोस आईएनएस विक्रांत जैसे सैन्य विनिर्माण भारत को महत्वपूर्ण सैन्य उत्पादक के रूप में स्थापित करते हैं। इसरो द्वारा नित नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं नाविक, चन्द्रयान, मंगलयान आदि भारत की महाशक्ति के रूप में स्थापना का आधार निर्मित कर रहे हैं।
भारत की स्वीकार्यता का सबसे बड़ा कारण भारतीय 'साफ्ट पावर' है भारत का इतिहास, संस्कृति एवं नैतिक मूल्य वैश्विक स्तर पर भारत को अद्वितीय बनाते है। पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता भारत को एक जिम्मेदार देश की छवि प्रदान करती है।
चुनौतियाँ -
हांलाकि भारत के समक्ष विभिन्न चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं। भारत की सबसे बड़ी चुनौती चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता है। हाल के वर्षो में भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक वारदातें, चीन द्वारा भारत को घेरने की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स की नीति और चीन-पाकिस्तान गठजोड़ आदि वे प्रमुख घटनाएँ हैं जो भारत-चीन संबंधों को जटिल बनाती हैं। पड़ोसी देशों की अस्थिरता (जैसे पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान आदि) भारत की आंतरिक सुरक्षा तथा विकास को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा यूक्रेन संकट जैसी स्थिति में महाशक्तियों के मध्य एक का चयन भारत के लिए संकट उत्पन्न करता हैं।
भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता के लिए आयात पर निर्भर है वैश्विक उथल-पुथल के कारण भारत की ऊर्जा सुरक्षा चिंता की विषय बनी हुई है। एक महाशक्ति के रूप भारत के उदय में यह एक बड़ी चुनौती है। हालाँकि भारत द्वारा हाल के वर्षों में चीन को दिए प्रतिउत्तर, वैश्विक घटनाओं के प्रति संतुलित नीति तथा नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करके उपरोक्त चुनौतियों का समाधान कर रहा है। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता हैं कि भारत निश्चित तौर पर महाशक्तियों के बीच उभरती शक्ति है जिसमें अपार संभावनाएँ निहित हैं।
Baten UP Ki Desk
Published : 30 June, 2023, 6:30 pm
Author Info : Baten UP Ki