बड़ी खबरें

जैमी स्मिथ बने सबसे तेज 1000 टेस्ट रन बनाने वाले विकेटकीपर 14 घंटे पहले जापान ने 10.20 लाख Gbps इंटरनेट स्पीड का वर्ल्ड-रिकॉर्ड बनाया 14 घंटे पहले दिल्ली-NCR में फिर से भूकम्प, 3.7 तीव्रता: दो दिन में दूसरी बार झटके महसूस हुए 12 घंटे पहले

बच्चों की हंसी में घुला ज़हर? टॉयज़ में मिले हार्मोन बिगाड़ने वाले ये केमिकल्स!

Blog Image

अगर आप अपने बच्चे के लिए प्लास्टिक से बना कोई खिलौना खरीदने जा रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। पर्यावरणीय संगठन ‘टॉक्सिक्स लिंक’ की ताज़ा रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है — बाजार में बिकने वाले कई रीसाइकल प्लास्टिक से बने खिलौनों में ज़हरीले रसायनों की मौजूदगी पाई गई है, जो बच्चों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं।

क्या मिला जांच में?

रिपोर्ट के अनुसार, 10 अलग-अलग ब्रांडेड खिलौनों की जांच की गई, जिनमें से 2 में अत्यधिक खतरनाक रसायनों की मौजूदगी पाई गई:

  • एक खिलौने में एससीसीपी (Short Chain Chlorinated Paraffin)

  • और दूसरे में बीपीए (Bisphenol A) पाया गया।

ये रसायन बच्चों के हार्मोनल संतुलन, तंत्रिका तंत्र और प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर जैसे खतरों से भी जुड़े हुए हैं।

बच्चों में बढ़ रहा जोखिम

बच्चे अक्सर खिलौनों को मुंह में डालते हैं या लंबे समय तक उनके संपर्क में रहते हैं, जिससे इन खतरनाक रसायनों का शरीर में प्रवेश आसान हो जाता है। बीपीए जैसे तत्व तो भ्रूण विकास में भी बाधा डाल सकते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना सकते हैं।

भारत में अब तक नहीं हैं सख्त नियम

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत में खिलौनों की सुरक्षा को लेकर BIS (Bureau of Indian Standards) द्वारा तय मानकों में इन रसायनों के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। यानी ये ज़हरीले तत्व बच्चों के खिलौनों में खुलेआम इस्तेमाल हो सकते हैं और उपभोक्ता अनजान ही रहते हैं।

अन्य देशों में क्या हो रहा है?

  • यूरोपियन यूनियन में REACH (Registration, Evaluation, Authorisation and Restriction of Chemicals) जैसे कड़े नियम हैं।

  • अमेरिका और जापान जैसे देश खिलौनों की कई स्तरों पर जांच करते हैं और ज़रा सा खतरा सामने आने पर उत्पाद को बाजार से वापस बुला लिया जाता है।

उपभोक्ताओं के लिए जरूरी सलाह

  • खिलौना खरीदते समय लेबल ज़रूर जांचें।

  • अनोखी गंध, रंग या बनावट वाले खिलौनों से बचें।

  • अनब्रांडेड या बेहद सस्ते खिलौनों का प्रयोग न करें।

  • 'सुरक्षा' को 'सस्ता' पर प्राथमिकता दें।

सरकार और निर्माताओं से उम्मीद

रिपोर्ट के बाद अब सरकार को चाहिए कि BIS के मानकों में बदलाव लाकर इन रसायनों पर रोक लगाए और खिलौनों के लिए रसायन-नियंत्रण प्रणाली लागू करे। साथ ही, निर्माताओं को भी अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए सुरक्षित और प्रमाणित सामग्री का ही उपयोग करना चाहिए।

रीसाइकल प्लास्टिक की अंधाधुंध दौड़ बच्चों की सेहत पर भारी

बच्चों की हंसी और खेल से भरी दुनिया में ज़हर की मिलावट किसी भी समाज के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकती। अब वक्त आ गया है कि रीसाइकल प्लास्टिक की अंधाधुंध खपत पर रोक लगे और 'टिकाऊ' के साथ-साथ 'सुरक्षित' खिलौनों की मांग बढ़े। वरना सस्ती कीमत पर मिलने वाला खिलौना, बच्चों की सेहत के लिए बहुत महंगा सौदा साबित हो सकता है।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें