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'भारतीय रक्षा बलों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। रक्षा विनिर्माण में नवाचार व तकनीकी उन्नयन भी आवश्यक है जो स्वदेशी होना चाहिए।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
रक्षा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से टेक आब्जर्वर मैगजीन ने नई दिल्ली में नेशनल डेफटेक समिट 2023 के दूसरे संस्करण का आयोजन किया। शिखर सम्मेलन में 10 बड़े उद्यमों और 50 से अधिक डीटेक (Defence Technology) स्टार्टअप के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस चर्चा का केन्द्रीय बिंदु हमारे रक्षा बलों की रीढ़ के रूप में एक मजबूत, लचीले और सुरक्षित डिजिटल ढांचे की स्थापना के महत्त्व पर केंद्रित था ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका दौरा मुख्य रूप से रक्षा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर केंद्रित रहा है। सेमीकंडक्टर, साइबरस्पेस एयरोस्पेस रणनीतिक बुनियादी ढांचे तथा संचार, वाणिज्यिक अंतरिक्ष परियोजनाओं, क्वांटम कंप्यूटिंग और रक्षा क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग में सहयोग फोकस के क्षेत्र हैं। रक्षा प्रौद्योगिकी में गहन सहयोग के साथ इस यात्रा के दौरान हुए प्रतिरक्षा समझौतों से भारत को महत्त्वपूर्ण अमेरिकी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच मिलेगी जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका शायद ही कभी अन्य सहयोगियों के साथ साझा करता रहा है। साथ ही रक्षा औद्योगिक सहयोग को महत्त्वपूर्ण बनाने, प्रौद्योगिकी और विनिर्माण में नए नवाचारों को खोलने के लिए भारत तथा संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत-अमेरिका रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र (INDUS-X) लॉन्च किया। क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी पर भारत-अमेरिका पहल के हिस्से के रूप में भारतीय और अमेरिकी रक्षा स्टार्ट-अप को जोड़ने हेतु एक 'इनोवेशन ब्रिज' भी लॉन्च किया गया।
रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोगः
ये घटनाक्रम इस बात के प्रमाण हैं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति के साथ युद्ध की प्रकृति भी बदल गई है। सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में प्रगति डिजिटलीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से डेटा का निर्माण तथा सिस्टम एकीकरण ने युद्ध लड़ने के तरीके को बदल दिया है। इन तीन प्रक्रियाओं ने मिलकर कई नई प्रौद्योगिकियों का निर्माण किया है जिन्हें सामूहिक रूप से महत्त्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकियां (ICET) कहा जाता है।
युद्धक्षेत्र में उभरती हुयी और खतरनाक प्रौद्योगिकी के अंतर्गत कई पेलोड के साथ उन्नत मानव रहित सिस्टम इन्फ्रारेड एण्ड लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LIDAR ) सेंसर, कॉम्बैट क्लाउड एज (Edge ) कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ मिलिट्री थिंग्स (IOMT), अंतरिक्ष आधारित आईएसआर इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और सैन्य प्रणालियों के खिलाफ साइबर युद्ध भी शामिल हैं। साथ ही, चौथी औद्योगिक क्रांति - उद्योग 4.0 ने रक्षा विनिर्माण और संचालन में तकनीकी परिवर्तन किए हैं।
निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियाँ रक्षा क्षेत्र का अभिन्न अंग बन गई हैं:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स- एआई सिस्टम में दुश्मन के व्यवहार की भविष्यवाणी करने, उसकी कमजोरियों, मौसम और पर्यावरण की स्थिति का अनुमान लगाने, रणनीतियों का आंकलन करने तथा योजनाओं का सुझाव देने की क्षमता है। इससे समय और मानव संसाधन की बचत हो सकती है तथा सैनिक अपने लक्ष्य से एक कदम आगे रह सकते हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग रक्षा एजेंसियां खुफिया जानकारी एकत्र करने और युद्धक्षेत्र संचालन से लेकर कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। इन परिचालनों की सफलता समय पर सटीक और सुरक्षित डेटा तक पहुंच पर निर्भर करती है। क्लाउड कंप्यूटिंग सेनाओं और सहयोगियों के बीच सूचना के सुरक्षित हस्तांतरण की सुविधा प्रदान कर सकती है जिससे दक्षता, अंतरसंचालनीयता और सहयोग को बढ़ाते हुए त्वरित व प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने की क्षमता बढ़ जाती है।
ड्रोन प्रौद्योगिकी इसे मानव रहित हवाई वाहन भी कहा जाता है। ड्रोन किसी क्षेत्र में लंबे समय तक हवाई क्षेत्र में रहकर निगरानी कर सकते हैं। ड्रोन दुश्मन की गतिविधियों, स्थानों और रणनीतिक लक्ष्यों की स्थिति के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रसारित कर सकते हैं।
रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार की पहलः
सरकार ने देश में रक्षा विनिर्माण और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत पहलें की हैं।नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित पहली 'एआई इन डिफेंस' संगोष्ठी और प्रदर्शनी के दौरान 75 नव विकसित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित उत्पादों / प्रौद्योगिकियों को लॉन्च किया गया। उत्पाद विभिन्न डोमेन जैसे-एआई प्लेटफॉर्म ऑटोमेशन, रोबोटिक्स सिस्टम, ब्लॉक चेन-आधारित ऑटोमेशन, निगरानी, साइबर सुरक्षा, मानव व्यवहार विश्लेषण इंटेलिजेंट मानिटर सिस्टम घातक ऑटोमेटिक हथियार प्रणाली ऑपरेशनल डेटा एनालिटिक्स आदि के अंतर्गत आते हैं।
आत्मनिर्भर भारत की घोषणा को क्रियान्वित करते हुए रक्षा उत्पादन विभाग ने एक स्वदेशी पोर्टल 'सृजन' विकसित किया है जो उन वस्तुओं के बारे में जानकारी देगा जिन्हें एमएसएमई सहित भारतीय उद्योग द्वारा स्वदेशीकरण के लिए अपनाया जा सकता है।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) का गठन 2001 में कारगिल युद्ध के बाद 'राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार पर मंत्रियों के समूह द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किया गया था। डीएसी रक्षा मंत्रालय में तीनों सेनाओं थलसेना, नौसेना, वायुसेना और भारतीय तटरक्षक बल के लिए नई नीतियों तथा पूंजी अधिग्रहण पर निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है। रक्षा अधिग्रहण परिषद का नेतृत्व रक्षा मंत्री करते हैं।
मिशन डेफ स्पेस को अक्टूबर 2022 में डेफ एक्सपो के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। मिशन डेफ स्पेस के तहत अंतरिक्ष क्षेत्र में रक्षा आवश्यकताओं के आधार पर नवीन समाधान प्राप्त करने के लिए 75 चुनौतियाँ खोजी गयी हैं। इन चुनौतियों को पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है लॉन्च सिस्टम, सैटेलाइट सिस्टम, संचार और पेलोड सिस्टम, ग्राउंड सिस्टम व सॉफ्टवेयर सिस्टम, अंतरिक्ष का समग्र 360 डिग्री अवलोकन प्रदान करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जुलाई, 2022 को नई दिल्ली में नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO) सेमिनार 'स्वावलंबन' के दौरान भारतीय नौसेना में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'स्प्रिंट चैलेंज' का अनावरण किया गया था।
एमएसएमई स्टार्ट-अप, व्यक्तिगत इनोवेटर्स, आर एंड डी संस्थानों और अकादमिक सहित उद्योगों को शामिल करके रक्षा तथा एयरोस्पेस में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (IDEX) नामक रक्षा के लिए एक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र अप्रैल 2018 में लॉन्च किया गया था। आईडेक्स नवाचारों / अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाने के लिए अनुदान/धन और अन्य सहायता प्रदान करता है जिसमें भविष्य में भारतीय रक्षा तथा एयरोस्पेस आवश्यकताओं को अपनाने की क्षमता है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा विकसित और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा क्रियान्वित प्रौद्योगिकी विकास कोष (TDF). एमएसएमई तथा स्टार्ट-अप द्वारा घटकों, उत्पादों प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास का समर्थन करता है। टीडीएफ योजना का उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भरता पथ पर लाने के लिए उद्योग को रक्षा प्रौद्योगिकियों के नवाचार और विकास के लिए प्रोत्साहित करके रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करना है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने अनुसंधान के लिए नौ प्रमुख क्षेत्रों अर्थात् प्लेटफार्म, हथियार प्रणाली, रणनीतिक प्रणाली, सेंसर और संचार प्रणाली अंतरिक्ष, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता रोबोटिक्स उपकरण तथा सैनिक सहायता की पहचान की है।
सरकार ने एयरोस्पेस तथा रक्षा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारे भी स्थापित किए हैं जो देश में एक व्यापक रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करेगा।प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति का उदारीकरण, स्वचालित मार्ग के तहत 74% एफडीआई और सरकारी मार्ग के माध्यम से 100% तक की अनुमति प्रदान की गयी है। इससे आधुनिक तकनीक तक पहुंच में मदद मिलेगी। इसके साथ ही रक्षा विनिर्माण के लिए निवेश आकर्षित करने और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर जोर देते हुए ऑफसेट नीति में सुधार किए गए हैं।
उद्योग आधारित अनुसंधान एवं विकास के लिए अनुसंधान तथा विकास बजट का 25% निर्धारित करके रक्षा बलों के तकनीकी आधुनिकीकरण के लिए रक्षा बजट के आवंटन में उत्तरोत्तर वृद्धि की गयी है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत के रक्षा बजट आवंटन 13 प्रतिशत बढ़ाकर 5.94 लाख करोड़ रुपये किया गया जो वित्त वर्ष 2022-23 में दिए गये 5.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
देश के भीतर हमारे सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक रक्षा उपकरणों के निर्माण में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में तेजी से प्रगति हुई है। स्वदेशीकरण और घरेलू संसाधनों से रक्षा उत्पादों की खरीद पर सरकार के फोकस के साथ, पिछले चार वर्षों में यानी 2018-19 से 2021-22 तक विदेशी स्रोतों से रक्षा खरीद पर खर्च 46% से घटकर 36% हो गया है।
निष्कर्ष:
रक्षा अनुप्रयोग आवश्यकताओं वाली अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के विकास के लिए समय, धन और मानव संसाधन में काफी निवेश की आवश्यकता है। भारतीय उद्योग को भारत के रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़ा निवेश करने की आवश्यकता है। भविष्य के युद्ध क्षेत्र को प्रौद्योगिकी द्वारा आकार दिया जाएगा। तकनीकी श्रेष्ठता भविष्य की युद्धों के नतीजे तय करेगी। इसलिए यह आवश्यक है कि तकनीकी आत्मनिर्भरता भविष्य का मंत्र बनी रहे जिसे जल्द से जल्द हासिल करने के लिए एक सामूहिक राष्ट्रीय प्रयास शुरू किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तकनीकी विकास हमारी वांछित सैन्य क्षमता के अनुरूप हो।
Baten UP Ki Desk
Published : 5 July, 2023, 4:36 pm
Author Info : Baten UP Ki