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उत्तर प्रदेश में नहरें भाग-2

उत्तर प्रदेश में गंगा एवं उसकी सहायक नदियों का विस्तृत जाल पाया जाता है। यह नदियाँ हिमालयी तथा मानसून जल प्राप्त करने के कारण सततवाहनी है। प्रदेश में इन नदियों पर नहरों का विकास कर सिंचाई की उचित व्यवस्था की गयी है। उ.प्र. में 75063 किमी. लंबी नहरों का विस्तार है। नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र में उ.प्र. का प्रथम स्थान है। आज हम उत्तर प्रदेश को सींचने वाली कुछ अन्य नहरों के बारे में चर्चा करेंगे।

आगरा नहर
इसमें पहला नाम आता है-आगरा नहर। आगरा नहर तंत्र का निर्माण 1878 में यमुना नदी पर दिल्ली के पास ओखला में किया गया है। इससे हरियाणा के फरीदाबाद और गुड़गांव जिले तथा उत्तर प्रदेश के मथुरा और आगरा जिले तथा राजस्थान के भरतपुर जिले को लाभ मिलता है। यह नहर उत्तर प्रदेश की एक प्रमुख नहर है और इनकी कुल लंबाई 1600 किलोमीटर के आस पास है।

शारदा नहर
इसी कड़ी में अगला नाम आता है- शारदा नहर। यह नहर प्रदेश की सबसे बड़ी नहर है और इसका निर्माण 1928 में किया गया था। यह नैनीताल के पास से शारदा नदी से निकलती है। इस नहर की कुल लंबाई 9961 किलोमीटर के आस पास है। पीलीभीत, बरेली, लखीमपुर, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, जौनपुर, आजमगढ, गाजीपुर और प्रयागराज इस नहर से जल प्राप्त करते हैं। शारदा नहर से कई छोटी छोटी और भी नहर निकाली गई हैं। 

बेतवा नहर
इसी कड़ी में अगला नाम आता है- बेतवा नहर। बेतवा नहर से उत्तर प्रदेश के झांसी, हमीरपुर, जालौन जिलों व मध्यप्रदेश के टीकमगढ़, दतिया, और ग्वालियर जिलों को लाभ मिलता है। बेतवा नहर में जल पहुंचाने के लिए धुलवा बांध माताटीला बांध और परीक्षा बांध निर्मित किए गए हैं। कुछ और नहर जैसे केन नहर और धसान नहर भी उत्तरप्रदेश के क्रमशः बांदा और हमीरपुर जिलों को जल प्रदान करती हैं ।

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