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अब यूपी की अदरक का स्वाद चखेगी पूरी दुनिया

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जी हां आपने सही सुना अब यूपी की अदरक का स्वाद पूरी दुनिया चख सकेगी। झांसी के बरुआसागर में उगने वाली अदरक का स्वाद अब विश्वभर के लोग चख सकेंगे ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बरुआसागर की अदरक को जल्द ही जीआई टैग मिलने जा रहा है। जीआई टैग मिलने के बाद यहां के किसानों को अदरक के अच्छे दाम मिलने शुरू हो जाएंगे। नाबार्ड द्वारा इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जीआई टैग मिलने के बाद अदरक की प्रोसेसिंग  और उसे एक्सपोर्ट करने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।  इससे किसानों को अपनी अदरक की फसल की दोगुनी कीमत मिलेगी।

 
बरुआसागर की अदरक की है काफी डिमांड-

आपको बता दें कि झांसी के बरुआसागर के आसपास के इलाके में पैदा होने वाली अदरक की डिमांड काफी है। यहां उगने वाली अदरक को काफी अच्छा माना जाता है। वर्तमान में दिल्ली, महाराष्ट्र समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में यहां से अदरक भेजी जाती है। बरुआसागर में हर साल करीब 75 हजार क्विंटल अदरक की पैदावार होती है। यह अदरक पूरी तरह जैविक होती है। लेकिन, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग की सुविधा न होने से किसानों को इसका पूरा फायदा नहीं मिल पाता है।

10 हजार किसानों को होगा फायदा-

आपको बता दें कि आंकड़ों के मुताबिक बरुआसागर बेल्ट में करीब 10 हजार किसान हल्दी के उत्पादन से जुड़े हुए हैं। प्रोसेसिंग की सुविधा न होने की वजह से इन किसानों को उनकी पैदावार की वाजिब कीमत नहीं मिल पाती है। लेकिन, अब इससे किसानों को अच्छे बाजार और सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। अब अदरक की प्रोसेसिंग करके किसान मालामाल हो जाएंगे। नाबार्ड के अधिकारियों ने जीआई टैग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए उन्होंने कंसल्टेंट चुन लिया है। जल्द ही यह काम पूरा कर लिया जाएगा। उद्यान विभाग के उपनिदेशक विनय कुमार यादव के मुताबिक बरुआसागर की अदरक की खास पहचान है इसको जीआई टैग मिलते ही किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। साथ ही व्यापार को भी इससे बढ़ावा मिलेगा।


क्या होता है  GI टैग-

आपको बता दें कि GI टैग यानी Geographical Indication या भौगोलिक संकेत एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो जीआई टैग बताता है कि विशेष उत्पाद किस जगह पैदा होता है या इसे कहां बनाया जाता है। अभी हालही में यूपी के कई उत्पादों को जीआई टैग दिया गया है।

 

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