इसरो ने अपने 100वें ऐतिहासिक मिशन के तहत जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट के साथ सैटेलाइट एनवीएस-02 लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर ली है। 27 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, और यह प्रक्षेपण 29 जनवरी को सुबह 6:23 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से किया जाएगा।
नए अध्यक्ष वी. नारायणन के कार्यकाल का पहला मिशन
इसरो के नव-नियुक्त अध्यक्ष वी. नारायणन के लिए यह पहला बड़ा प्रक्षेपण है। इस ऐतिहासिक मिशन की सफलता भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में एक और मील का पत्थर साबित होगी।
भू-स्थिर कक्षा में स्थापित होगा एनवीएस-02
जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट, एनवीएस-02 सैटेलाइट को भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा में स्थापित करेगा। 27.30 घंटे की उल्टी गिनती मंगलवार सुबह 2:53 बजे शुरू हुई थी।
NavIC: भारत का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम
NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कंस्टीलेशन) भारत का क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली है, जो भारत और भारतीय सीमा से 1,500 किलोमीटर तक के क्षेत्र में सटीक पोजीशनिंग, गति और समय सेवाएं प्रदान करता है।
एनवीएस-02 की विशेषताएं
- वजन: लगभग 2,250 किलोग्राम
- नेविगेशन पेलोड: एल1, एल5 और एस बैंड
- रेंजिंग पेलोड: सी-बैंड
यह उपग्रह यूआर सैटेलाइट सेंटर द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है। इसकी तकनीक एनवीएस-01 के समान उन्नत पेलोड से लैस है।
एनवीएस सीरीज का दूसरा सैटेलाइट
एनवीएस-02, दूसरी पीढ़ी का दूसरा सैटेलाइट है। एनवीएस-01 को 29 मई 2023 को जीएसएलवी-एफ12 के जरिए सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। यह सीरीज नेविगेशन सेवाओं की निरंतरता बनाए रखने के लिए डिजाइन की गई है।
बहुआयामी उपयोग
एनवीएस सैटेलाइट के निम्नलिखित प्रमुख उपयोग होंगे:
- स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन
- सटीक कृषि कार्य
- मोबाइल उपकरणों के लिए लोकेशन आधारित सेवाएं
- उपग्रह कक्षा निर्धारण
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) अनुप्रयोग
- आपातकालीन सेवाएं
इस मिशन से भारत की नेविगेशन प्रणाली को नया आयाम मिलेगा और स्वदेशी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को वैश्विक मानचित्र पर नई पहचान मिलेगी।