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टूथपेस्ट, बर्तन और कपड़े होंगे सस्ते? इतने फीसदी GST स्लैब घटाने की तैयारी में है सरकार

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क्या रोज़मर्रा की ज़िंदगी सस्ती होने जा रही है? केंद्र सरकार ऐसी तैयारी कर रही है जिससे आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ेगा — और वो भी पॉजिटिव तरीके से। सूत्रों की मानें तो सरकार 12% GST स्लैब को खत्म कर 5% स्लैब में मर्ज करने पर विचार कर रही है। अगर यह बदलाव लागू होता है, तो टूथपेस्ट, जूते, बर्तन, कपड़े जैसे ज़रूरी सामान सस्ते हो सकते हैं — यानी सीधा फायदा मिडिल क्लास और लोअर इनकम फैमिली को।

सीधा असर जेब पर – पर सरकार पर भी असर

सरकार को इस फैसले से शुरुआती तौर पर 40,000 से ₹50,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व नुकसान झेलना पड़ सकता है। लेकिन योजना यह है कि सस्ती कीमतों से खपत बढ़ेगी, जिससे लॉन्ग टर्म में टैक्स कलेक्शन में ग्रोथ होगी।सरकार इसे "easy-to-comply GST" की दिशा में भी एक कदम मान रही है, जिससे टैक्स सिस्टम सरल और उपयोगकर्ता के अनुकूल हो जाएगा।

GST काउंसिल की मुहर अभी बाकी, राज्यों में मतभेद

GST में दरों का बदलाव तभी संभव है जब GST काउंसिल की मंजूरी मिल जाए। यहाँ हर राज्य का मत जरूरी होता है। लेकिन फिलहाल पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्य इस कदम पर सहमत नहीं हैं। अब नजरें टिकी हैं 56वीं GST काउंसिल मीटिंग पर, जो इस महीने के आखिर में हो सकती है।

क्यों खास है ये बदलाव आम आदमी के लिए?

12% GST स्लैब में वे वस्तुएं आती हैं जो न तो लग्ज़री हैं, न ही ज़रूरत से बाहर — बल्कि "रोजमर्रा के जरूरी लेकिन थोड़े महंगे सामान" की कैटेगरी में आती हैं।
इनमें शामिल हैं:

  • टूथपेस्ट और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स

  • स्टील व एल्यूमिनियम बर्तन

  • रेडीमेड कपड़े

  • लो-रेंज जूते-चप्पल

अगर इन पर टैक्स 12% से घटकर 5% हो जाता है, तो दुकानों में मिलने वाली फाइनल कीमतों में सीधा 6-7% तक की गिरावट आ सकती है।

नतीजा क्या होगा?

अगर ये बदलाव पास हो जाते हैं, तो यह सरकार की एक और "मिडिल-क्लास फ्रेंडली" नीति के रूप में देखा जाएगा। और अगर राज्यों के साथ सहमति बन गई, तो जल्द ही आम आदमी को हर सुबह का ब्रश और हर शाम की चप्पल थोड़ी और सस्ती लग सकती है।

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