लखनऊ में छाया जनजातीय संस्कृति का रंग! 13–18 नवंबर तक ‘Tribal Participation Festival 2025’— ढोल, नृत्य और हस्तशिल्प से महकेगी राजधानी
लखनऊ | बातें यूपी की — नवंबर की शुरुआत के साथ ही राजधानी लखनऊ एक अनोखे सांस्कृतिक उत्सव की मेज़बानी कर रही है। जहाँ इस बार सिर्फ़ तहज़ीब ही नहीं, बल्कि ढोल-नगाड़ों की थाप, जनजातीय नृत्य और हस्तशिल्प की महक राजधानी को रौशन करने वाली है। 13 से 18 नवंबर तक आयोजित होने जा रहा है। “Tribal Participation Festival 2025”, एक ऐसा आयोजन जिसे UP में अब तक का सबसे बड़ा जनजातीय संस्कृति महोत्सव माना जा रहा है।
भारत की जड़ों का असली उत्सव
यह फेस्टिवल भारत की उस संस्कृति को सामने लाता है जो किताबों में कम और परंपराओं में ज़्यादा जीवित है। देशभर के 20+ राज्यों के 250+ जनजातीय कलाकार यहाँ अपने नृत्य, कला, गीत-संगीत और परंपराओं को पेश करेंगे। आयोजक मंडल के अनुसार— “यह आयोजन आदिवासी समुदाय की आवाज़, कला और संघर्ष को मंच देने का प्रयास है।”
भारत की विविधता एक मंच पर — नृत्य जो कहानी कहते हैं
फेस्टिवल में हर दिन होगा सुपर-एनर्जेटिक प्रदर्शन:
- 🪘 छत्तीसगढ़ का गौर नृत्य
- 🎭 झारखंड का छऊ नृत्य
- 🌿 नागालैंड का बाँस नृत्य
- 🔥 ओडिशा का सांबलबुरी नाच
- 🌾 गोंड समुदाय का पारंपरिक नृत्य
- 🎶 असम का बगा नाच
हर नृत्य अपने साथ लाता है— प्रकृति, संघर्ष, त्योहार और संस्कृति की कहानी।
हस्तशिल्प प्रदर्शनी — कला जो मिट्टी से जन्म लेती है
यहाँ प्रदर्शित होगी भारत की सबसे सुंदर जनजातीय कलाएँ:
- डोकरा आर्ट
- वॉरली पेंटिंग
- गोंड पेंटिंग
- बाँस-लकड़ी शिल्प
- जनजातीय मनकों के आभूषण
- ऑर्गैनिक/मिलेट आधारित उत्पाद
हर खरीदारी सीधे कलाकार को सशक्त करेगी — Vocal for Tribal India!
Tribal Food Plaza — जंगल की खुशबू वाली थाली
फूड कोर्ट इस फेस्टिवल की सबसे बड़ी आकर्षण है। जहां पर स्वाद मिलेगा—
- झारखंड का धुस्का-घुगनी
- ओडिशा का महुआ लड्डू
- छत्तीसगढ़ का फरा और चीला
- नागालैंड का Bamboo Chicken
- मध्यप्रदेश का कुटकी खिचड़ी
- महाराष्ट्र का मिलेट-आधारित Tribal प्लैटर
यह खाना सिर्फ़ स्वाद नहीं— संस्कृति + प्रकृति + परंपरा का संगम है।
कहाँ हो रहा है फेस्टिवल?
📍 इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमती नगर, लखनऊ
⏱️ समय: रोज़ाना सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक
यहाँ होंगे—
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मेगा स्टेज शो
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Tribal Fashion Walk
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कला कार्यशालाएँ
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Tribal Startup Expo
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Cultural Parade
बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को समर्पित
2025 का फेस्टिवल एक विशेष कारण से और भी महत्वपूर्ण है — यह आयोजन बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को समर्पित है।
- उनकी जीवनी पर आधारित नाटक
- उलगुलान आंदोलन पर डॉक्यूमेंट्री
- Tribal Leadership Talks
“बिरसा मुंडा सिर्फ़ योद्धा नहीं, आदिवासी अस्मिता का प्रतीक हैं।”
रोजगार और स्टार्टअप अवसर — Tribal Entrepreneurship Meet
यहाँ आदिवासी युवाओं को मिलेगा मौका—
- अपने प्रोडक्ट
- अपनी कला
- अपने संगीत
- अपने फूड ब्रांड
को निवेशकों, मार्केटिंग एजेंसियों और सरकारी योजनाओं से जोड़ने का। यह कार्यक्रम ‘Vocal for Local’ से भी आगे — ‘Vocal for Tribal India’ को रंग देने वाला है।
💬 लखनऊ की जनता की प्रतिक्रिया
वाराणसी से आई प्रतिभा देवी का कहना है— “यह उत्सव बता रहा है कि भारत की असली आत्मा गाँवों और जंगलों में ज़िंदा है।” झारखंड के कलाकार रवि मुंडा कहते हैं— “इतनी बड़ी पहचान पहली बार मिली है। यह सम्मान हमारे लिए ताकत है।”
‘बातें यूपी की’ की राय
“लखनऊ इस नवंबर भारत की सांस्कृतिक राजधानी बन गया है। Tribal Participation Festival 2025 यह साबित करता है कि भारत की ताक़त उसकी विविधता और जड़ों में है।”