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उत्तर प्रदेश के विकास की चुनौतियाँ और रणनीति

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केन्द्र सरकार की भाँति उत्तर प्रदेश सरकार भी 'सबका साथ-सबका विकास' की तर्ज पर कार्य कर रही है। समाज के सभी वर्गों और राज्य के प्रत्येक नागरिक व क्षेत्र के विकास के लिए सरकार कृत संकल्प है। प्रदेश के समग्र सामाजिक एवं आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विभिन्न सेक्टरों के अंतर्गत चुनौतियों को चिन्हित करते हुए विकास की रणनीति बनाया जाना अपेक्षित है। विकास में प्रदेश की समस्त जनता की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए राज्य सरकार का लक्ष्य प्रदेश को उत्कृष्ट एवं प्रभावी जनसेवाएं उपलब्ध कराना है।

इसके अन्तर्गत एक ओर जहाँ प्रदेश के वित्तीय संसाधनों को बढ़ाये जाने के साथ-साथ भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं एवं कार्यक्रमों के अन्तर्गत अधिकाधिक केंद्रीय सहायता प्राप्त करके उसको सही ढंग से लागू किया जाना सम्मिलित है, वहीं दूसरे ओर प्रदेश सरकार द्वारा महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के निर्माण हेतु रणनीति, निजी निवेश अर्जित करने का प्रयास, जनसामान्य के लिए विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं का सृजन, कृषि, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, नगरीय सुविधाएं, श्रम एवं ग्राम विकास सेक्टरों के विशिष्ट कार्य बिन्दुओं समाज के कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा तथा प्रशासन तंत्र को प्रभावी बनाए जाने के साथ कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में पारदर्शिता लेने के लिए तंत्र विकसित करने का प्रयास अपेक्षित है। समग्र विकास हेतु विभिन्न सेक्टरों के अन्तर्गत चिन्हित चुनौतियों तथा प्रदेश विकास की रणनीति निम्नवत प्रस्तुत हैं:

चुनौतियाँ

कृषि तथा सम्वर्गीय क्षेत्र

  • कृषकों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी किया जाना।
  • किसानों की आय में वृद्धि कर उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाना।
  • किसानों को गुणवत्तायुक्त कृषि निवेशों की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
  • मृदा स्वास्थ्य में गिरावट को रोकना।
  • विभिन्न फसलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में वृद्धि करना।
  • कृषि उत्पादों की उत्पादन लागत को कम करना।
  • छोटी जोतों को लाभकारी बनना।
  • कृषि पर निर्भरता कम करने हेतु रोजगार सृजन के लिए कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना।
  • कृषि उत्पादों विशेषकर औद्योगिक फलों का समुचित भण्डारण।
  • औद्यानिक फसलों के आच्छादन, उत्पादन आदि का आंकड़ा आधार खाता तैयार करना ।
  • प्रदेश में वन क्षेत्र का विस्तार तथा वृक्षारोपण का आच्छादन बढ़ाना प्रमुख चुनौती है।
  • प्रदेश में वनों के अवैध कटान की रोकथाम चुनौतीपूर्ण कार्य है।

पशुपालन तथा सम्वर्गीय क्षेत्र

  • पशु आहार / पशु चारा का उत्पादन बढ़ाना।
  • कुक्कुट तथा मत्स्य उत्पादन में वृद्धि करना ।
  • अतिहिमीकृत वीर्य का उत्पादन बना।
  • सहकारी क्षेत्र की डेयरियों का सुदृद्दीकरण एवं विस्तार करना।
  • दुग्ध उत्पादन एवं विपणन व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण।

उद्योग

  • निजी पूँजी निवेश को आकर्षित करना।
  • औद्योगिक विकास हेतु आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना।
  • निर्वाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना।
  • संसाधन का विकास करना।
  • औद्योगिक उत्पादों के निर्यात को बना देना।
  • हस्तशिल्प तथा दस्तकारी इकाइयों को जीवनक्षम बनाना।
  • सम्यक रूप से औद्योगिक वातावरण में सुधार।

सेवा क्षेत्र

  • विभिन्न सेवाओं के मूल्य वर्धन का आंकलन।
  • सेवा क्षेत्र के अन्तर्गत विभिन्न आर्थिक क्रिया-कलापों में संलग्न इकाइयों का आंकड़ा आधार तैयार करना।
  • सेवा क्षेत्र में संलग्न श्रम शक्ति का कौशल विकास।

अवस्थापना, ऊर्जा एवं संचार तथा परिवहन

  • प्रदेश में सड़क घनत्व को राष्ट्रीय स्तर तक लाना।
  • नये विद्युत उत्पादन इकाइयों के निर्माण की बाधाओं को दूर करना ।
  • पारेषण लाइनों का विस्तार।
  • विद्युत आपूर्ति में सुधार।
  • लाइन हानियों में कमी लाना।
  • क्रियाशील विद्युत उत्पादन इकाइयों को क्षमता में वृद्धि।
  • वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देना।
  • नगरीय यातायात को सुविधाजनक एवं सरल बनाना।

ग्राम्य विकास

  • पंचायती राज को करना
  • ग्रामीण समाज के समस्त वर्गों की पंचायती राज संस्थाओं में भागीदारी सुनिश्चित करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता हेतु जागरूकता उत्पन्न करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थापना संसाधनों का निर्माण।
  • ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना।
  • योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ लक्षित जनसामान्य समूह को पहुंचाना।
  • योजनाओं के कार्यन्वयन में पारदर्शिता लाना।

शिक्षा

  • 6 से 14 आयु वर्ग के सभी बालक-बालिकाओं को शिक्षा प्रदान करना।
  • विभिन्न वर्गो में साक्षरता अन्तराल को कम करना।
  • ड्राप आउट दर को कम करना।
  • प्राथमिक शिक्षा की पहुँच में सुधार करना।
  • विद्यालय के प्रबन्धन में समुदाय को सक्रिय भागीदारिता सुनिश्चित करना ।
  • शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक, शैक्षिक तथा लैंगिक भेद को समाप्त करना।

माध्यमिक शिक्षा

  • प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र क्षेत्रीय विषमता को दूर करना।
  • प्रत्येक विकास खण्ड में बालिकाओं हेतु कम से कम एक हाईस्कूल स्तर का विद्यालय खोला जाना।
  • समग्र शैक्षिक गुणवत्ता की अभिवृद्धि।

उच्च शिक्षा/प्राविधिक शिक्षा

  • शिक्षण संस्थाओं की स्थापना एवं विस्तार
  • शिक्षा को रोजगार से जोड़ना
  • ई- लर्निंग / स्मार्ट क्लासेस
  • समग्र शैक्षिक गुणवत्ता की अभिवृद्धि

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार।
  • जन्मदर मृत्युदर, शिशु मृत्युदर तथा मातृत्व मृत्युदर में कमी लाना।
  • सुरक्षित प्रसव।
  • प्रदेश में उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थानों की स्थापना।
  • चिकित्सा क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करना।
  • लिंगानुपात को बढ़ावा।
  • टीकाकरण का विस्तार।

सामाजिक कल्याण

  • छात्रवृत्ति तथा पेंशन सम्बन्धी लाभार्थी परक योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता लाना।
  • सुरक्षा उपलब्ध कराना।

लोक निधि

  • सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों तथा लघु एवं सीमान्त किसानों को फसली ऋण माफी योजना आदि के कारण राज्य सरकार पर बड़े वित्तीय व्यय भार के फलस्वरूप प्राथमिक घाटा, राजस्व घाटा एवं राजकोषीय घाटा आदि वित्तीय संकेतकों को नियंत्रण में रखना कठिन चुनौती है।
  • प्रदेश में निवेश हेतु बेहतर माहौल उपलब्ध कराया जाना।
  • प्रदेश में रोजगार के अवसर सृजित करना।

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