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यूपी के लोक नृत्य - भाग 2

उत्तर प्रदेश, उत्तर भारत का एक राज्य है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, और यहाँ कई लोक नृत्य हैं जो इस क्षेत्र के भीतर लोकप्रिय हैं पर अगर बात बुंदेलखंड की जाये तो यह मध्य भारत का एक ऐतिहासिक क्षेत्र, जिसमें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं, जिसके चलते इसके अपने विशिष्ट लोक नृत्य हैं जो इस क्षेत्र की जीवंत सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। बुंदेलखंड के कुछ उल्लेखनीय लोक नृत्य इस प्रकार हैं ।

ख्याल नृत्य 
इस कड़ी में सबसे पहला नाम आता है ख्याल नृत्य का। जैसे ख्याल गायकी होती है उसी तरह ख्याल नाम का एक नृत्य भी होता है। यह नृत्य बुंदेलखंड में पुत्र के जन्म के समय किया जाता है । इस अवसर पर बांस और रंगीन कागजों से बना एक मंदिर सिर पर रखकर नृत्य करने की परंपरा है ।

लट्ठमार नृत्य
इसी कड़ी में अगला नाम आता है लट्ठमार नृत्य का यह लट्ठमार नृत्य बृज क्षेत्र की लट्ठमार होली से बिलकुल अलग है । इसे बुंदेलखंड क्षेत्र में दीपावली के समय किया जाता है जबकि लट्ठमार नृत्य बृज क्षेत्र में होली के समय होती है । इस नृत्य में हर आयु और वर्ग के लोग हाथों में लठ्ठ लेकर एक प्रकार की प्रतिस्पर्धा वाला नृत्य करते हैं ।

सौर या सोहरा
इसी क्षेत्र का एक और प्रसिद्ध नृत्य है सौर या सोहरा । यह नृत्य हमीरपुर झांसी और ललितपुर से जुड़े क्षेत्रों में किया जाता है तथा यह फसल की कटाई से जुड़ा नृत्य होता है । जब युवक और युवतियां फसल काटने जाती हैं हाथ में डंडा लेकर इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए ये नृत्य करती हैं ।

दीवारी पाई डंडा 
बुंदेलखंड क्षेत्र का एक और प्रसिद्ध नृत्य है दीवारी पाई डंडा। यह एक बहुत ही प्राचीन नृत्य है और यह नृत्य भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ा हुआ है । इसमें नर्तक भगवान कृष्ण का भेष बनाकर ग्वालों के संग डंडे लड़ाकर नाचते हैं । इस नृत्य को प्रायः अहीर समुदाय के लोगों के द्वारा ही किया जाता है । यह नृत्य दिवाली के समय से शुरू होकर संक्रांति के समय तक चलता रहता है ।

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