बड़ी खबरें

लखनऊ में इंडिया गठबंधन ने की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अखिलेश यादव रहे मौजूद 13 घंटे पहले IRCTC लखनऊ से धार्मिक और हिल स्टेशनों की कराएगा सैर, चार स्पेशल ट्रेनों से कर सकेंगे भ्रमण 13 घंटे पहले 1500 फीट ऊपर से गिराया पोर्टेबल हॉस्पिटल,आगरा में एयरफोर्स का सफल ट्रायल, दुर्गम इलाकों में 8 मिनट में मिलेगा इलाज 13 घंटे पहले 1500 फीट ऊपर से गिराया पोर्टेबल हॉस्पिटल,आगरा में एयरफोर्स का सफल ट्रायल, दुर्गम इलाकों में 8 मिनट में मिलेगा इलाज 13 घंटे पहले श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई आज, ईदगाह कमेटी और वक्फ बोर्ड के वकील रखेंगे दलीलें 13 घंटे पहले यूजीसी नेट परीक्षा के लिए आवेदन का आखिरी मौका आज, ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर कर सकतें हैं आवेदन 13 घंटे पहले UPSSSC ने जारी किया वन रक्षक भर्ती परीक्षा शेड्यूल, 709 पदों पर होगी भर्तियाँ 13 घंटे पहले भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में समर वर्कशॉप आज से शुरू, 2 साल के बच्चों से लेकर 93 वर्ष तक के बुजुर्ग हो सकते हैं शामिल 13 घंटे पहले लखनऊ के नेशनल कॉलेज में 2 नए कोर्स शुरू, होटल और हॉस्पिटल मैनेजमेंट की होगी पढ़ाई 13 घंटे पहले

यूपी के लोक नृत्य - भाग 3

अवध, उत्तर भारत का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है। यह वर्तमान में उत्तर प्रदेश स्थित है। इस क्षेत्र में वर्तमान के लखनऊ, फैजाबाद, बाराबंकी, सुल्तानपुर, अम्बेडकरनगर, मिर्जापुर जिले के कुछ हिस्से, प्रतापगढ़ और जौनपुर जैसे कई जिले शामिल हैं। इस अवध की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और यह अपने विशिष्ट संगीत, कविता और नृत्य रूपों के लिए जाना जाता है। अवध संगीत और नृत्य के अपने शास्त्रीय रूपों के लिए अधिक प्रसिद्ध है, इस क्षेत्र से जुड़े कुछ लोक नृत्य के बारे में आज हम जानेंगे।

जोगिनी 
जोगिनी नृत्य आमतौर पर पुरुष नर्तकों के द्वारा किया जाने वाला नृत्य है। पुरुष इस नृत्य में महिलाओं के भेष धारण कर लेते हैं। इस नृत्य को रामनवमी की संध्या पर किया जाता है।

कलाबाजी
कलाबाजी में नर्तक एक नकली घोड़े पर बैठकर नृत्य करता है। इस नकली घोड़े को कच्छी कहते हैं । कच्छी पर बैठकर नर्तक मोरबाजा नामक एक वाद्ययंत्र भी बजाता रहता है।

ठेठिया या ढेढ़िया
ऐसा माना जाता है की जब भगवान राम 14 बरस का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे तो यह नृत्य किया गया था। इस नृत्य के दौरान नर्तक अपने सिर पर दीपकों से भरा हुआ एक छिद्रदार मिट्टी का बर्तन रखते हैं और इस बर्तन को ही ढेढिया कहा जाता है।

अन्य ख़बरें