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1857 की क्रांति के गवाह हंसवर स्टेट की कहानी

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उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले में स्थित हंसवर स्टेट 1857 की क्रांति का गवाह रहा है। इस स्टेट में स्थित हवेली का काफी हिस्सा अब परिवर्तित हो चुका है लेकिन इसके मुख्य स्वरूप में परिवर्तन न हो इसके लिए महल के मुख्य द्वार और कुछ हिस्से के वजूद को लौटाने की कोशिश की गई है। अम्बेडकरनगर का यह किला हंसवर साम्राज्य के शाही परिवार का निवास स्थान था। यह किला चमकीले रंग का है जिसमें शेरों और मछलियों की सुंदर नक्काशी परिवार का मुख्य प्रतीक कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां सात बड़े-बड़े आंगन और सात बड़े-बड़े कुएं हुआ करते थे। यहां शासन करने वाले अंतिम शासक राजा निपेंद्र बहादुर सिंह थे। हंसवर का महल अब शॉपिंग कांप्लेक्सहंसवर साम्राज्य के वर्तमान मुखिया राजा नरेंद्र मोहन सिंह उर्फ़ संजय सिंह हैं। उन्होंने हवेली की खाली ज़मीन पर लगभग 150 कमरों को शॉपिंग कांप्लेक्स के रूप में परिवर्तित कर दिया है। इन दुकानों से यहां के लोगों को रोजी-रोजगार तो मिलेगा ही साथ ही हंसवर स्टेट की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। इन दुकानों से तीन लाख रुपए प्रतिमाह की आय प्राप्त हो रही है। अब इस हवली का लगभग एक तिहाई भाग ही बचा है। पिछले तीन दशकों से धीरे-धीरे यह महल गिर रहा है जिसके स्थान पर कांप्लेक्स बनाए भी जा रहें हैं। बता दें कि संजय सिंह लगातार तीसरी बार बसखारी से ब्लाक प्रमुख चुने गए हैं।   
बंटवारे में हरवंत सिंह को मिला हंसवर स्टेट-
बताया जाता है कि 1857 की क्रांति के बाद इस हवेली का निर्माण किया गया। उस दौर में राजा माधव प्रसाद अंग्रेजों से युद्ध में पराजित हो गए थे। रॉयल्टी देने के बाद उन्हें दो टापा (मैदान) और 52 गांव मिले थे। इसे माधव प्रसाद ने अपने बेटे गोपाल शरण सिंह और हरवंत सिंह को सौंप दिया था। बेटे गोपाल शरण के हिस्से में मकरही और हरवंत सिंह के हिस्से में हंसवर स्टेट आया। हंसवर स्टेट में अयोध्या के रिकाबगंज का करीब 200 वर्ष पुराना आचार्य देव संग्रहालय भी शामिल था।

वीरगति को प्राप्त हुए राजा रणविजय रानी जयराज कुमारी-
मुग़ल साम्राज्य को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले हंसवर साम्राज्य के पूर्वज राजा रणविजय सिंह ने 28 हज़ार सैनिकों वाली बाबर की सेना से युद्ध किया था। युद्ध में अपने अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए थे। इसके बाद महारानी जयराज कुमारी ने महिला वीरांगनाओं के साथ तीन वर्ष तक बाबर के साथ युद्ध किया और अयोध्या के राम मंदिर को आज़ाद कराते हुए शहीद हो गई। राजा माधव का यह महल आज भी हंसवर के गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित करता रहा है। महल के 60 कमरों को तोड़ा जा रहा है जबकि 20 कमरे और मुख्य द्वार में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

अम्बेडकर नगर में और क्या है ख़ास- 
इसके अलावा अम्बेडकर नगर में स्थित मकरही हवेली भी एक सुंदर हवेली के रूप में प्रसिद्ध है। जो न केवल अपनी सुंदरता बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। अम्बेडकर नगर में अन्य पर्यटन स्थलों के तौर पर गोविंद साहब और किछौछा शरीफ है। जिले में अन्य तीर्थ स्थलों में पराशर ऋषि को समर्पित पराशर तपोस्थली, श्रृंगी ऋषि आश्रम, शिव बाबा धाम मंदिर और नर्वदेश्वर महादेव मंदिर है। घाघरा नदी के तट पर बना कम्हरिया घाट भी घूमने के लिहाज से बेहतरीन स्थल है।

 

 

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