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नए संसद भवन की शोभा बढ़ाएगी भदोही की कालीनें

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देश के नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भवन का उद्घाटन करेंगे। इस खूबसूरत बिल्डिंग को लेकर देश में सियासत तो हो ही रही है। लेकिन इसी बिच एक खबर आई है कि नए संसद भवन की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए मिर्जापुर-भदोही की कालीनें लगाई गई है। बावन में सिर्फ हस्तनिर्मित उच्च क्वालिटी की कालीन को ही बिछाया गया है। भदोही की एक कालीन बनाने वाली कंपनी ने इस टेंडर को लेकर सेंट्रल विस्टा में लगभग 5000 स्क्वायर यार्ड से अधिक एरिया कवर किया है। आपको बता दें कि भदोही-मिर्जापुर की कालीनें विश्व प्रसिद्ध मानी जाती है। 

हाल ही टीईई सूची में किया था शामिल

आपको बता दें कि हाल ही में मिर्जापुर-भदोही के हाथ से बुनी जाने वाली कालीन को टीईई की सूची में शामिल किया गया था। मिर्जापुर की हाथ से बुनी जाने वाली कालीन व दरी की काफी डिमांड है। टीईई की सूची में इन उत्पादों के शामिल होने से इनकी विश्वनीयता बढ़ने के साथ -साथ विश्व स्तर पर इसको बढ़ावा मिल रहा है।

 टीईई क्या होता है ?

इसका पूरा नाम टाउन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सिलेंस है। विदेश व्यापार नीति के तहत विभिन्न शहरों के उत्पादों को इसमें शामिल किया जाता है। यह ऐसा समूह है जो उत्पाद को निर्यात के आधार पर मान्यता देता है। आद्योगिक समूहों की छमता का अधिक उपयोग करने और उसके विकास के लिए ये मान्यता दी जाती है। 39 शहरों की सूची में मिर्जापुर जिले की हस्तनिर्मित कालीन और दरी को शामिल किए जाने से अब इसको नई पहचान मिलने वाली है। टीईई सूची में शामिल किए जाने के बाद सरकार के तरफ से उद्योग को बढ़ावा देने के लिये सहायता दी जाती है। सरकार उद्योग को प्राथमिकता के आधार पर बाजार उपलब्ध कराने, निर्माण व औद्योगिक सेवाओं के लिये निर्यात प्रोत्साहन परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता की व्यवस्था करती है। यही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली व्यापार प्रदर्शनियों एवं मेले में भाग लेने के लिए मदद करने के साथ वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

मिल चुका है जीआई टैग 

उत्तर प्रदेश का भदोही-मिर्ज़ापुर क्षेत्र भारत में और भारत के बाहर भी कालीन के लिए प्रसिद्ध है। यहां निर्मित कालीन मुख्य रूप से निर्यात आधारित हैं। भारत में कालीन का उत्‍पादन मुगल काल में पनपा और आज इसे आकर्षक तरीके से विकसित किया जा रहा है। मिर्ज़ापुर के कालीन बनाने की पूरी प्रक्रिया है। सबसे पहले इसकी डिज़ाइनिंग होती है। उसके बाद इसकी रंगाई,बुनाई और धुलाई के बाद इसकी पैकेजिंग की जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की मिर्जापुर दरी को जीआई का टैग मिला हुआ है। मिर्जापुर के मशहूर इस कालीन को साल 2020 में जर्मनी में सबसे बड़े कालीन मेले में प्रदर्शित किया गया था। अब टाउन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सिलेंस में शामिल होने से इस कालीन को वैश्विक स्तर पर सशक्त पहचान मिल सकेगी।

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