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हमशक्ल बच्चों के लिए मशहूर है यूपी का यह गांव

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एक-आध परिवार में जुड़वा बच्चों का होना आम बात हो सकती है लेकिन अगर एक गांव में एक ही शक्ल के कई जुड़वा बच्चे आपको खेलते-कूदते दिखें, तो क्या यह आम बात होगी। फिल्मों में तो ऐसी कई कहानियां हमने देखी है पर उत्तर प्रदेश का एक गांव भी ऐसा है जहां 50 से ज्यादा जुड़वा बच्चे हैं। यूपी के गाजियाबाद में हिंडन नदी के किनारे बसा अटौर नंगला गांव कई हमशक्ल बच्चों की कहानी के लिए जाना जाता है। शहर से कुछ दूरी पर बसा यह गांव अपनी मेहनत और विकास के क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए भी मशहूर है।

60 घरों में हैं जुड़वा बच्चे

गाजियाबाद के अटौर नंगला गांव में करीब 750 परिवार रहते है। जिसमें 75 फीसदी जाट हैं, बची आबादी में ब्राह्मण और वाल्मीकि समाज के लोग रहते हैं। जुड़वा बच्चों की कहानी का यह सिलसिला किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि जाट, ब्राह्मण और वाल्मीकि  सभी के घर में जुड़वा बच्चे हैं। यहां गांव के करीब 60 घरों में जुड़वा बच्चे हैं जिसमें ज्यादातर की शक्ल एक दुसरे से मिलती है। शक्ल भी इस हद तक मिलती है कि कई बार उनकी पहचान करना भी मुश्किल हो जाता है। इसी विशेषता के कारण इस गांव को अधिकांश लोग जुड़वा गांव भी कहते हैं।

विकास कार्यों में काफी आगे है यह गांव

शहर से काफी दूर होने के बावजूद भी यह गांव कई मायनों में विकसित है। बिजली विभाग की तरफ से यहां बिजली आपूर्ति के लिए पावर हाउस स्थापित किया गया है। यहीं से गांव समेत कई घरों में बिजली की सप्लाई होती है। इसके अलावा गांव में बैंक, पोस्ट ऑफिस और पानी की सप्लाई जैसी कई चीजें उपलब्ध हैं। क्योंकि यह गांव नदी के किनारे बसा हुआ है इस वजह से यहां की जमीन उपजाऊ है, इस वजह से यहां के लोग खेती भी करते हैं। गांव में क्रिकेट और कबड्डी स्टेडियम भी है। यहां क्रिकेट स्टेडियम से दो महिला क्रिकेटर नेशनल लेवल पर भी खेल चुकी हैं और कबड्डी खिलाडियों को प्रो कबड्डी के लिए चुना जा चुका है।

कैसे होते हैं जुड़वा बच्चें

एक से ज्यादा बच्चों को जन्म देने की कंडीशन को मेडिकल टर्म में मल्टीपल प्रेगनेंसी (Multiple Pregnancy) कहा जाता है। आम भाषा में इसे किसी महिला के गर्भ में दो या उससे ज्यादा बच्चों का होना कहते हैं। इसमें भी दो तरह के मामले पाए जाते हैं। पहली प्रक्रिया के तहत जुड़वा बच्चे एक ही फ़र्टिलाइज एग से जन्म लेते हैं। ऐसे बच्चों को आइडेंटिकल किड कहा जाता है, जो दिखने में बिलकुल एक जैसे होते हैं। हालांकि ऐसे मामलों की संख्या कम होती है। और दूसरी प्रक्रिया में अलग-अलग एग से जुड़वा बच्चों का जन्म होता हैं। ऐसे बच्चे फैटरनल ट्विन (Fraternal twins) कहलाते हैं। इसमें ख़ास बात यह भी है कि अगर परिवार में पहले से ही फैटरनल ट्विन हैं तो इसकी संभावना और भी बढ़ जाती है।

ह्यूमन रिप्रोडक्शन रिपोर्ट 2021 में हुआ खुलासा

दुनिया में जुड़वा बच्चों के पैदा होने का ट्रेंड हमेशा से रहा है। साल 2021 में ट्विन बेबीज पर आई पहली ह्यूमन रिप्रोडक्शन रिपोर्ट ने कई ज़रूरी बातों ने  सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। रिपोर्ट में पाया गया कि दुनिया भर में ट्विन बेबी पैदा होने का ट्रेंड 33 फ़ीसदी बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार, हर 1 हज़ार डिलीवरी पर 12 बच्चे जुड़वा पैदा होते हैं। दुनिया भर में हर साल करीब 16 लाख बच्चे जुड़वा पैदा होते हैं और-तो-और भारत में भी इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है।

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