लखनऊ में सोमवार को वन विभाग की टीम ने हथिनी सुलोचना और डायना के साथ बाघ की तलाश शुरू की। जब बाघ दिखाई दिया, तो टीम ने नेट लगाकर उसे घेरने की कोशिश की, लेकिन बाघ बच निकला। इससे पहले सुबह 8 बजे बाघ ने एक पड़वा मारकर उठा ले गया।
बाघ को पकड़ने के लिए नई रणनीति-
वन विभाग ने अब बाघ को पकड़ने के लिए नई योजना बनाई है। मंगलवार से बाघिन की दहाड़ की रिकॉर्डिंग लाउडस्पीकर के जरिए सुनाई जाएगी, ताकि बाघ मेटिंग के लिए आकर्षित होकर आवाज की ओर आए।
दुधवा से मंगाया गया बाघिन का पेशाब-
DFO डॉ. सितांशु पांडेय के अनुसार, दुधवा नेशनल पार्क से मादा बाघ की पेशाब मंगाई गई है। इसे पिंजरे में डालकर बाघ को आकर्षित करने की योजना बनाई गई है। बाघ के पिंजरे के पास आने पर विशेषज्ञ डॉक्टर उसे ट्रैंकुलाइज करेंगे।
ट्रैंकुलाइज करने की तैयारी-
बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे के बाहर एक पड़वा बांधा जाएगा। पिंजरे को केमोफ्लाइज किया जाएगा, और विशेषज्ञ डॉक्टर अंदर बैठकर सुरक्षित तरीके से बाघ को ट्रैंकुलाइज करेंगे।
पुराने पद चिह्नों के आधार पर खोज-
हथिनियां बाघ के संभावित इलाकों में पुरानी पद चिह्नों के सहारे कॉम्बिंग कर रही हैं। इस क्षेत्र में बाघ ने पहले भी शिकार किया था, जिससे यह इलाका बाघ की उपस्थिति के लिए संभावित माना जा रहा है।
कोहरे के कारण देर से शुरू हुई कॉम्बिंग-
सोमवार सुबह घने कोहरे के कारण कॉम्बिंग सुबह 10 बजे शुरू हुई। दोनों हथिनियां, सुलोचना और डायना, महावत और विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ मीठे नगर जाने वाले मार्ग के आसपास कॉम्बिंग करती रहीं। करीब दो घंटे बाद वे लौट आईं।
हनीट्रैप की तरह काम करेगी रणनीति-
इस तरह से बाघ को पकड़ने की यह रणनीति पूरी तरह से हनीट्रैप की तरह काम करेगी, जहां बाघिन की आवाज और पेशाब का इस्तेमाल किया जाएगा।