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लखनऊ मेट्रो के फेज-1B को केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के साथ ही राजधानी में तेज़ और सुगम यातायात की उम्मीदें फिर से जग गई हैं, लेकिन इसके साथ ही राजनीतिक श्रेय की लड़ाई भी शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में चारबाग से वसंतकुंज तक के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर को हरी झंडी मिल गई। यह 11.165 किमी लंबा रूट पुराने लखनऊ के भीड़भाड़ वाले इलाकों—अमीनाबाद, चौक, ठाकुरगंज, केजीएमयू, और सिटी रेलवे स्टेशन—को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ेगा।
अखिलेश बनाम योगी सरकार – श्रेय का संग्राम
सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मंजूरी को लेकर योगी सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि मेट्रो का सपना सपा सरकार में पूरा होना शुरू हुआ था, ट्रायल भी उनके कार्यकाल में हो चुका था, लेकिन आगे बढ़ने में 8 साल से ज़्यादा का समय लग गया। उन्होंने वाराणसी मेट्रो की धीमी प्रगति पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि “प्रधाननगरी हो या मुख्यनगरी, मेट्रो की रफ्तार सरकार के वादों जैसी है—धीमी और इंतजार से भरी।”
परियोजना का खाका और तकनीकी डिटेल
कुल लंबाई: 11.165 किमी
लागत: ₹5801 करोड़
स्टेशन: 12 (7 भूमिगत, 5 एलिवेटेड)
मुख्य भूमिगत स्टेशन: चारबाग, अमीनाबाद, पांडेयगंज, सिटी रेलवे स्टेशन, केजीएमयू, चौक
मुख्य एलिवेटेड स्टेशन: ठाकुरगंज, बालागंज, सरफराजगंज, मूसाबाग, वसंतकुंज
चारबाग इंटरचेंज: ईस्ट-वेस्ट और नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर का जुड़ाव बिंदु
क्या होगा कनेक्टिविटी का बड़ा फायदा?
ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के बन जाने से लखनऊ मेट्रो नेटवर्क की लंबाई 23 किमी से बढ़कर 35 किमी हो जाएगी। यह न केवल पुराने शहर के जाम से राहत दिलाएगा, बल्कि प्रदूषण कम करने और ट्रैवल टाइम घटाने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
मेट्रो का राजनीतिक सफर – टाइमलाइन
2013: अखिलेश सरकार में मेट्रो की घोषणा और DPR तैयार
2014-2016: नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर का निर्माण, ट्रायल रन
2017 के बाद: विस्तार की फाइल केंद्र और राज्य स्तर पर घूमती रही
2024-2025: DPR अनुमोदन और केंद्र से अंतिम मंजूरी
क्या होगी आगे की चुनौती?
मंजूरी के बाद भी सबसे बड़ी चुनौती होगी निर्माण कार्य की समयसीमा। पुराने लखनऊ की संकरी गलियां, भूमिगत स्टेशन निर्माण, और यातायात प्रबंधन प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने की सबसे बड़ी कसौटी साबित होंगे। लखनऊ मेट्रो फेज-1B को मंजूरी मिलने से राजधानी में आधुनिक परिवहन का सपना एक कदम और आगे बढ़ा है, लेकिन जिस तरह श्रेय की राजनीति शुरू हो गई है, यह साफ है कि मेट्रो सिर्फ ट्रांसपोर्ट का नहीं, बल्कि इलेक्शन कैम्पेन का भी अहम हिस्सा बनने वाली है।
Baten UP Ki Desk
Published : 13 August, 2025, 7:25 pm
Author Info : Baten UP Ki