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लखनऊ में शुरू होगा 'रोजगार अधिकार अभियान', स्वास्थ्य और शिक्षा पर सरकार को घेरेंगे युवा

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लखनऊ में जल्द ही एक व्यापक रोजगार अधिकार अभियान शुरू किया जाएगा, जिसमें कॉर्पोरेट टैक्स बढ़ाने, स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार से संबंधित कई महत्वपूर्ण मांगों को उठाया जाएगा। इस अभियान का नेतृत्व छात्र और युवा संगठनों द्वारा किया जाएगा, जो इन मुद्दों पर सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए संकल्पित हैं। इस अभियान के लिए 13 सदस्यीय संयोजक मंडल का गठन किया गया है। एसएफआई के अब्दुल वहाब की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में इस अभियान की रणनीति और भविष्य में इसके विस्तार पर चर्चा की गई।

आर्थिक नीतियों में जरूरी बदलाव-

युवा मंच के संयोजक राजेश सचान ने बैठक में रोजगार और राजनीतिक अर्थनीति पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी की समस्या का समाधान संभव है, बशर्ते आर्थिक नीतियों में जरूरी बदलाव किए जाएं। सचान ने बताया कि विशेषज्ञों का मानना है कि अमीर वर्ग पर 2% संपत्ति कर और उचित उत्तराधिकार कर लगाकर शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के मुद्दों के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाए जा सकते हैं।

सरकारी विभागों में खाली हैं 1 करोड़ पद-

राजेश सचान ने बताया कि सरकारी विभागों में करीब एक करोड़ पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकारें इन्हें भरने के प्रति गंभीर नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 10 लाख पदों को मिशन मोड में भरने का वादा भी आज तक अधूरा है।

रोजगार गारंटी कानून की मांग-

डीवाईएफआई के प्रदेश सचिव गुलाब चंद ने कहा कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के चलते बेरोजगारी की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बजट का हिस्सा लगातार घट रहा है। उन्होंने शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार गारंटी कानून की मांग की। एसएफआई के अब्दुल वहाब और डीवाईएफआई के दीप डे ने बताया कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है। नई शिक्षा नीति के नकारात्मक प्रभावों को भी इस अभियान में प्रमुखता से उठाया जाएगा। भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की आकांक्षा आजाद ने कहा कि पेपर लीक और रोजगार संकट के कारण युवाओं में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं।

महिलाओं पर निजीकरण का गहरा असर-

शिक्षा के निजीकरण का सबसे बुरा असर गरीबों और महिलाओं पर पड़ा है। महंगी शिक्षा के चलते बड़ी संख्या में छात्राएं पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो रही हैं। नौजवान भारत सभा के लालचंद ने कहा कि सरकार बेरोजगारी का दोष लोगों पर मढ़ रही है और कह रही है कि भारत में कुशल लोगों की कमी है, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है।

रोजगार अधिकार अभियान-

एनएसयूआई के प्रदेश सचिव अहमद राजा खान चिश्ती ने कहा कि केंद्र सरकार युवाओं की एकजुटता को कमजोर करने का हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन अब इसमें सफल नहीं हो पाएगी। लखनऊ यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेता इमरान राजा ने कहा कि रोजगार अधिकार अभियान को लखनऊ के जमीनी स्तर पर फैलाने की जरूरत है। युवा अधिवक्ता ज्योति राय ने सुझाव दिया कि राजधानी के हर यूनिवर्सिटी और कॉलेज में छात्रों से जनसंपर्क किया जाए और समाज के विभिन्न तबकों से संवाद स्थापित किया जाए। यह अभियान लखनऊ में युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा, और स्वास्थ्य के अधिकारों की लड़ाई को मजबूत करेगा। इसके जरिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा कि वह अपने वादों को पूरा करे और युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए।

संविदा प्रथा पर चिंता-

मजदूर नेता प्रमोद पटेल ने प्रदेश में सरकारी नौकरियों में बढ़ रही संविदा प्रथा पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसे समाप्त करने की मांग की। दिशा छात्र संगठन के मृत्युंजय ने कहा कि देश में रोजगार को संवैधानिक अधिकार बनाने की जरूरत है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शैली ने ट्रांसजेंडर समुदाय की उपेक्षा पर भी चिंता जताई।

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