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रंगों, तहज़ीब और ऐतिहासिक विरासत से सजा लखनऊ केवल नवाबी शान के लिए नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में अपनी खास भूमिका के लिए भी जाना जाता है। इसी धरती ने महात्मा गांधी का कई बार स्वागत किया, जब उन्होंने यहां स्वाधीनता की अलख जगाई। महात्मा गांधी जी ने कई बार लखनऊ आकर यहां के लोगों में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जोश भरा। साल 1936 में 28 मार्च से 12 अप्रैल तक उनका लखनऊ प्रवास यादगार रहा, जहां उन्होंने लखनवी तहज़ीब और राष्ट्रप्रेम का संदेश भी दिया।
लखनऊ की शिक्षा और स्वास्थ्य सुधारों पर विशेष ध्यान
1916 से 1939 के बीच गांधीजी का लखनऊ आना-जाना लगा रहा। उन्होंने यहां शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया। 28 सितंबर 1929 को चिनहट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की आधारशिला रखी। इससे पहले 1920 में एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय भी स्थापित किया। इस प्रकार के कई योगदान उन्होंने इस शहर को दिए। इनमें सबसे दिलचस्प है, हुसैनगंज में एक स्कूल की नींव रखा जाना। आइए विस्तार से जानते हैं इस किस्से को...
गांधी जी ने एक चुटकी आटे से रखी शिक्षा की नींव-
जब देश स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था, तब महात्मा गांधी ने सिर्फ स्वतंत्रता ही नहीं, शिक्षा का भी अलख जगाने का बीड़ा उठाया। लखनऊ के हुसैनगंज में स्थित चुटकी भंडार स्कूल इसका जीता-जागता उदाहरण है। 1921 में गांधीजी के आह्वान पर यहां के लोगों ने एक अनोखा तरीका अपनाया-महिलाएं रोज़ अपने चूल्हे से चंदा जुटाने लगीं, लेकिन पैसों से नहीं, बल्कि एक चुटकी आटे से। हर दिन चुटकी-चुटकी आटा इकट्ठा हुआ, जिसे बेचकर 64 रुपये चार आना जमा किए गए। इसी धन से नागपंचमी के शुभ अवसर पर चुटकी भंडार स्कूल की नींव रखी गई। यह केवल एक स्कूल नहीं, बल्कि भारतीय एकता और त्याग की प्रेरणादायक गाथा है।
त्रिलोकनाथ हॉल में ऐतिहासिक संबोधन
17 अक्टूबर 1925 को गांधीजी ने लखनऊ में त्रिलोकनाथ हॉल में सार्वजनिक सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर उनके साथ मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और सैयद महमूद मौजूद थे। नगर निगम मुख्यालय के बाहर लगा शिलापट आज भी इस घटना की याद दिलाता है।
गोखले मार्ग पर रोपा गया पौधा बना विशाल वृक्ष
मार्च 1936 में गांधीजी ने गोखले मार्ग पर एक पौधा रोपा, जो आज विशाल वृक्ष बन चुका है। यह स्वतंत्रता संग्राम की यादों को जीवंत बनाए हुए है।
चिनहट का पुनर्निर्मित विद्यालय
चिनहट का स्कूल, जिसकी आधारशिला 1920 में गांधीजी ने रखी थी, अब नई शक्ल ले चुका है। कभी यह इलाका घने जंगलों से जुड़ा था, जहां बापू ने शिक्षा की अलख जगाई।
लखनऊ के अन्य ऐतिहासिक दौरे
गांधीजी ने कई महत्वपूर्ण अवसरों पर लखनऊ का दौरा किया:
लखनऊ की धरती पर बापू के कदमों की गूंज आज भी शिक्षा, स्वाधीनता और सामाजिक सुधार की प्रेरणा देती है।
Baten UP Ki Desk
Published : 30 January, 2025, 2:43 pm
Author Info : Baten UP Ki