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लखनऊ हाईकोर्ट में चाइनीज लहसुन सील, योगी सरकार को 15 दिन में देनी होगी रिपोर्ट

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लखनऊ हाईकोर्ट में चाइनीज लहसुन को लेकर आज यानी शुक्रवार को एक अहम सुनवाई हुई, जिसमें याची वकील मोतीलाल यादव ने खुद कोर्ट में आधा किलो चाइनीज लहसुन पेश किया। कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए इसे सील करने का आदेश दिया और राज्य सरकार से 15 दिनों में पूरी जांच रिपोर्ट मांगी। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने कोर्ट में लहसुन को सील किया और सुनवाई की अगली तारीख 1 अक्टूबर तय की गई है।

10 साल पहले हुआ था चाइनीज लहसुन पर प्रतिबंध-

केंद्र सरकार ने 2014 में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हुए चाइनीज लहसुन पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बावजूद, चाइनीज लहसुन तस्करी के जरिए भारतीय बाजारों में प्रवेश कर रहा है। वकील मोतीलाल यादव ने जनहित याचिका दायर कर इसे रोकने के लिए अदालत से हस्तक्षेप की मांग की थी। याचिका में कहा गया कि चाइनीज लहसुन सस्ता है और इसलिए उसकी अवैध बिक्री जारी है।

बैन के बाद भी कैसे बिक रहा है चाइनीज लहसुन?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से पूछा कि प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज लहसुन खुलेआम बाजार में कैसे बिक रहा है। सरकारी वकीलों ने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, जिससे कोर्ट का रुख और सख्त हो गया। कोर्ट ने खाद्य एवं सुरक्षा विभाग को जल्द से जल्द इस मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

स्वास्थ्य पर चाइनीज लहसुन का खतरा-

विशेषज्ञों के मुताबिक, चाइनीज लहसुन में भारी मात्रा में कीटनाशक और सिंथेटिक केमिकल होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं। इसका सेवन लीवर, किडनी और नसों को प्रभावित कर सकता है, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक इसके उपयोग से आंखों की रोशनी में भी कमी आ सकती है।

सस्ता होने के कारण बढ़ी चाइनीज लहसुन की मांग-

भारत के प्रमुख मंडियों जैसे लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, और गोरखपुर में चाइनीज लहसुन की बढ़ती मांग ने स्थानीय उत्पादकों को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। देसी लहसुन की तुलना में यह काफी सस्ता बिकता है। मंडियों में जहां देसी लहसुन 25,000-30,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, वहीं चाइनीज लहसुन 18,000-20,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जिससे व्यापारियों और किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।

कोर्ट ने सुरक्षा उपायों पर जताई चिंता-

कोर्ट में उपस्थित खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने बताया कि विभाग ने टोल फ्री नंबर (180 1805533) जारी किया है, जिससे जनता चाइनीज लहसुन की अवैध बिक्री की सूचना दे सके। हालांकि, अभी तक जांच के दौरान मंडियों में चाइनीज लहसुन मिलने के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। कोर्ट ने विभाग को मंडियों और सीमाओं पर सख्त निगरानी करने के निर्देश दिए हैं।

स्टॉक करने वाले व्यापारियों पर पड़ी भारी

चाइनीज लहसुन की अवैध एंट्री ने मंडी व्यापारियों और लहसुन उत्पादकों को भारी नुकसान पहुंचाया है। व्यापारियों के अनुसार, उन्हें प्रति क्विंटल 5,000-7,000 रुपये का नुकसान हो सकता है। किसानों को भी चिंता है कि उनकी उपज सस्ते दामों पर बिकने लगेगी, जिससे उनकी आमदनी पर बुरा असर पड़ेगा।

चाइनीज लहसुन की पहचान कैसे करें?

साइज में अंतर: देसी लहसुन के मुकाबले चाइनीज लहसुन की गांठें बड़ी होती हैं।

रंग में फर्क: चाइनीज लहसुन सफेद और चमकदार होता है, जबकि देसी लहसुन हल्का पीला या क्रीमी रंग का होता है।

खुशबू में भिन्नता: देसी लहसुन की गंध तेज होती है, जबकि चाइनीज लहसुन की गंध हल्की होती है।

छीलने में अंतर: चाइनीज लहसुन को छीलना आसान होता है, जबकि देसी लहसुन की पतली कलियों के कारण उसे छीलना कठिन होता है।

चाइनीज लहसुन का वैश्विक उत्पादन और भारत में उसकी आपूर्ति-

चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक देश है, जहां से दुनिया के दो-तिहाई लहसुन की आपूर्ति होती है। 2021 में, चीन में 20.45 मिलियन टन से ज्यादा लहसुन का उत्पादन हुआ था। भारतीय बाजारों में चाइनीज लहसुन की आपूर्ति बढ़ने से स्थानीय उत्पादकों और व्यापारियों को गंभीर आर्थिक नुकसान हो रहा है।

एसटीएफ और अन्य एजेंसियां जुटीं जांच में-

लखनऊ में चाइनीज लहसुन की बिक्री की रिपोर्ट सामने आते ही राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और खाद्य सुरक्षा विभाग की टीमें सक्रिय हो गई हैं। मंडियों में छापेमारी कर लहसुन के नमूने जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। साथ ही राज्य के विभिन्न जिलों में चौकसी बढ़ा दी गई है ताकि चाइनीज लहसुन की अवैध तस्करी को रोका जा सके।

अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को, रिपोर्ट अनिवार्य-

लखनऊ हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों से 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को होगी, जिसमें इस मामले पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

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