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बिजली निजीकरण के खिलाफ निर्णायक संघर्ष की हुंकार, कर्मचारी मनाएंगे "काला दिवस"...

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गोरखपुर में आयोजित बिजली पंचायत ने निजीकरण के खिलाफ एकजुटता और संघर्ष का नया अध्याय लिखा। प्रदेशभर से जुटे बिजली कर्मियों और अभियंताओं ने इस मंच से ऐलान किया कि निजीकरण की हर कोशिश को वे अपनी ताकत और प्रतिबद्धता से नाकाम करेंगे। इस ऐतिहासिक पंचायत ने संघर्ष की रणनीति तय करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वे उपभोक्ताओं और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार हैं।

1 जनवरी को काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन-

बिजली कर्मियों और अभियंताओं ने निर्णय लिया है कि 1 जनवरी को "काला दिवस" के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन सभी कर्मचारी काली पट्टी बांधकर निजीकरण के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करेंगे। यह विरोध राज्य सरकार और पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन के खिलाफ उनकी आवाज को और बुलंद करेगा।

निजीकरण से तीन गुना तक महंगी हो सकती है बिजली-

संघर्ष समिति के नेताओं ने निजीकरण के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्युत वितरण निगम घाटे में रहते हुए भी सस्ती बिजली उपलब्ध कराते हैं। लेकिन निजी कंपनियां केवल मुनाफे के लिए काम करती हैं। मुम्बई का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि निजीकरण लागू होने पर बिजली की दरें तीन गुना तक बढ़ सकती हैं, जिससे घरेलू उपभोक्ता बुरी तरह प्रभावित होंगे।

पॉवर कारपोरेशन पर लगाए गंभीर आरोप-

नेताओं ने पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन पर निजीकरण की एकतरफा कार्रवाई कर औद्योगिक अशांति फैलाने का आरोप लगाया। समिति ने खुलासा किया कि निजीकरण के मसौदे में करोड़ों की संपत्तियों को 1 रुपए प्रति वर्ष की लीज पर निजी कंपनियों को सौंपने की साजिश रची जा रही है।

मुख्यमंत्री पर भरोसा, प्रबंधन के रवैये की आलोचना-

संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर विश्वास जताते हुए कहा कि वे इस साजिश को रोकने में अहम भूमिका निभाएंगे। साथ ही, पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों पर कर्मचारियों को डराने-धमकाने का आरोप लगाते हुए इसे भय का माहौल बनाने की साजिश बताया।

आने वाले कार्यक्रम: झांसी और प्रयागराज में पंचायतें-

गोरखपुर के बाद बिजली पंचायत का आयोजन 29 दिसंबर को झांसी और 5 जनवरी को प्रयागराज में होगा। इन सभाओं में संघर्ष समिति निजीकरण के विरोध में अपनी रणनीति को और मजबूत करेगी।

अंतिम चेतावनी: गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहें-

नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण के प्रयासों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो इसका परिणाम गंभीर हो सकता है। बिजली कर्मियों ने स्पष्ट कर दिया कि यह आंदोलन केवल शुरुआत है, और वे अपने अधिकारों के लिए निर्णायक संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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