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लखनऊ में 40 से कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के बढ़ते खतरे पर डॉक्टरों का अलर्ट,गोल्डन ऑवर से जान बचाने का तरीका

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'उत्तर प्रदेश में 15-20 प्रतिशत हार्ट अटैक 40 साल से कम उम्र के लोगों को हो रहे हैं। हार्ट अटैक के बारे में जागरूकता की कमी के कारण कई बार इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम में देरी होती है, जिससे कई मामलों में जान का नुकसान होता है।' हृदय रोग आज के समय में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनकर उभर रहा है, जो तेजी से बढ़ती जा रही है। अब यह खतरा केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि युवा पीढ़ी भी इसकी चपेट में आ रही है। हर साल लाखों लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का शिकार होते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या उन लोगों की होती है जो 30 साल से कम उम्र के होते हैं। कोरोना महामारी के बाद से इस समस्या का जोखिम और भी अधिक बढ़ गया है, जिससे लोगों में चिंता की लहर दौड़ गई है।

हार्ट अटैक के लक्षणों की पहचान जरूरी-

डॉक्टरों के अनुसार, लोगों को लगता है कि हार्ट अटैक का दर्द केवल दाईं तरफ होता है, जबकि वास्तविकता में यह दर्द सीने के बीच में होता है।' इसके साथ ही उन्होंने CPR (Cardiopulmonary Resuscitation) के महत्व और गोल्डन ऑवर की जानकारी देने पर जोर दिया।

गोल्डन ऑवर: जीवन बचाने की कुंजी-

गोल्डन ऑवर वह समय होता है जो दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले 60-90 मिनट के बीच का होता है। इस दौरान दी गई आपातकालीन चिकित्सा जान बचा सकती है। डॉ. सरन बताते हैं, 'हार्ट अटैक की स्थिति में यदि तुरंत CPR दी जाए और गोल्डन ऑवर में इलाज शुरू हो जाए, तो मरीज की जान बचने की संभावना 70% तक बढ़ जाती है।'

लखनऊ के स्कूलों में CPR ट्रेनिंग-

गोल्डन ऑवर और CPR के महत्व को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के कई स्कूलों में छात्रों को CPR की ट्रेनिंग दी गई। इस अभियान के तहत कुनस्काप्सकोलन, दिल्ली पब्लिक स्कूल शहीद पथ और एमिटी इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों ने CPR तकनीक सीखी।

खराब जीवनशैली से बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले-

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि गलत खान-पान, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और बढ़ते तनाव जैसे जीवनशैली के कारण हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट फेल्योर के मामले बढ़ रहे हैं। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हार्ट की समस्याएं अधिक हो जाती हैं।

कैंट क्षेत्र में भी जागरूकता कार्यक्रम-

लखनऊ के कैंट में मध्य कमान के अस्पताल द्वारा 'रन फॉर हार्ट' कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें दिल से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व पर चर्चा की गई।

कोरोना के बाद हार्ट अटैक का बढ़ा खतरा-

कोरोना महामारी के बाद से हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हृदय रोगों के कारण युवाओं में भी हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं।

जिम में वर्कआउट के दौरान हार्ट अटैक के बढ़ते मामले-

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट अटैक के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं, खासकर जिम करते समय। युवा पीढ़ी में यह समस्या अधिक देखी जा रही है, जहां वर्कआउट के दौरान अचानक हार्ट अटैक हो जाता है।

समय पर पहचान से बचाई जा सकती है जान-

हार्ट अटैक के लक्षणों को नजरअंदाज न करना ही जान बचाने का तरीका हो सकता है। यदि किसी को सांस लेने में कठिनाई, छाती में दर्द, अत्यधिक थकान, चक्कर आना, या पसीना आना जैसे लक्षण महसूस हों, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

गोल्डन ऑवर और सीपीआर: जान बचाने का तरीका-

गोल्डन ऑवर के दौरान अगर CPR दी जाए और तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट अटैक जैसी आपातकालीन स्थितियों में CPR सबसे प्रभावी तरीका है।

जीवनशैली में बदलाव से बचा जा सकता है हार्ट अटैक-

हार्ट अटैक से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि लोग अपनी जीवनशैली में बदलाव करें। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, तनाव को नियंत्रित करना, और समय पर ब्लड प्रेशर तथा कोलेस्ट्रॉल की जांच कराते रहना जरूरी है।

हृदय स्वास्थ्य के प्रति रहें सजग-

हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है ताकि हृदय रोगों और इसके जोखिमों के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। हृदय को स्वस्थ रखना और समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करना ही हृदय रोगों से बचने का उपाय है।

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