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उपराष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी के बीच विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने एक बड़ा कदम उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। न्यायमूर्ति रेड्डी का नाम आते ही राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि उनका करियर न्यायपालिका के सर्वोच्च स्तर तक फैला हुआ है। रेड्डी का मुकाबला एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन से होगा। सरकार की कोशिश उपराष्ट्रपति के नाम पर सहमति बनाने की थी, लेकिन बात नहीं बन पाई। एनडीए ने 2 दिन पहले सीपी राधाकृष्णन के नाम की घोषणा की थी। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सभी दलों से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
बी. सुदर्शन रेड्डी ने करीब 16 साल तक देश की संवैधानिक अदालतों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं। उनका जन्म 8 जुलाई 1946 को आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले के अकुला मायलाराम गांव में हुआ था। कृषक परिवार से आने वाले रेड्डी ने पढ़ाई-लिखाई हैदराबाद में पूरी की और 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। उसी वर्ष उन्होंने अधिवक्ता के रूप में अपना करियर शुरू किया और वरिष्ठ अधिवक्ता के. प्रताप रेड्डी के चैंबर से जुड़े।
करियर और सरकारी जिम्मेदारियां
न्यायिक सेवा में आने से पहले बी. सुदर्शन रेड्डी ने वकील के तौर पर कई अहम मुकदमों में पैरवी की। 8 अगस्त 1988 को उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में सरकारी वकील नियुक्त किया गया। इस दौरान वे राजस्व विभाग के प्रभारी भी रहे और 1990 तक इस पद पर बने रहे। इसके अलावा उन्हें केंद्र सरकार का अतिरिक्त स्थायी वकील भी बनाया गया।
न्यायिक नियुक्तियां
उनका करियर 2 मई 1995 को नई ऊँचाइयों पर पहुंचा, जब वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। लगभग एक दशक बाद, 5 दिसंबर 2005 को उन्हें गौहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। यहां उन्होंने न्यायिक सुधार और प्रशासनिक पारदर्शिता पर जोर दिया। इसके बाद 12 जनवरी 2007 को वे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और 8 जुलाई 2011 तक इस पद पर रहे। सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की और संवैधानिक मुद्दों पर अपने स्पष्ट विचार प्रस्तुत किए।
शिक्षा और सामाजिक जुड़ाव
न्यायमूर्ति रेड्डी केवल अदालत तक सीमित नहीं रहे। वे एवी एजुकेशन सोसाइटी द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों से भी जुड़े रहे और सचिव तथा संवाददाता की भूमिका निभाई। 1993-94 में वे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष चुने गए। इसके अलावा, वे उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील भी रहे।
2011 में सेवानिवृत्ति
लंबे और प्रतिष्ठित करियर के बाद बी. सुदर्शन रेड्डी 2011 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे शिक्षा और सामाजिक मुद्दों में सक्रिय रहे।
राजनीति में नई पारी
अब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर राजनीति के केंद्र में ला दिया है। माना जा रहा है कि उनकी साफ-सुथरी छवि और न्यायपालिका का गहरा अनुभव विपक्ष के लिए एक मजबूत संदेश हो सकता है। बी. सुदर्शन रेड्डी का जीवन एक मिसाल है कि कैसे एक साधारण कृषक परिवार से निकला व्यक्ति मेहनत और ईमानदारी के बल पर देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच सकता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि राजनीति में उनकी यह नई पारी किस तरह से आगे बढ़ती है।
Baten UP Ki Desk
Published : 19 August, 2025, 3:51 pm
Author Info : Baten UP Ki