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एक खतरनाक साइबर अटैक, जिससे सावधान रहने की है बेहद जरूरत, ऐसे करें बचाव

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टेक्नोलॉजी के इस दौर में जहां एक ओर एडवांस डिवाइस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने लोगों के जीवन को सुविधाजनक बनाया है, वहीं दूसरी ओर साइबर अपराध भी तेजी से बढ़े हैं। इनमें से एक खतरनाक साइबर अटैक है - व्हेल फिशिंग स्कैम। यह स्कैम मुख्य रूप से बिजनेस या उच्च पदस्थ लोगों को निशाना बनाता है, और इसकी योजना बेहद सावधानीपूर्वक बनाई जाती है। आइए समझते हैं कि यह साइबर अपराध कैसे काम करता है और इससे बचने के क्या उपाय हैं।

व्हेल फिशिंग स्कैम क्या है?

व्हेल फिशिंग एक प्रकार का सोशल इंजीनियरिंग अटैक है, जिसमें साइबर अपराधी उच्च पदस्थ अधिकारियों, जैसे कि सीईओ, सीएफओ, या अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को अपना शिकार बनाते हैं। इसका उद्देश्य उनकी संवेदनशील जानकारी, वित्तीय डेटा या पहचान को चुराना होता है।

कैसे काम करता है व्हेल फिशिंग स्कैम?

इस प्रकार के हमले में अपराधी सबसे पहले अपने टारगेट की प्रोफेशनल और पर्सनल जानकारी जुटाते हैं। सोशल मीडिया, प्रोफेशनल नेटवर्क और इंटरनेट पर उपलब्ध अन्य डेटा के माध्यम से अपराधी यह जानकारी एकत्रित करते हैं। इसके बाद, वे एक बेहद प्रामाणिक और विश्वसनीय संदेश भेजते हैं, जो दिखने में ऐसा लगता है मानो किसी सहयोगी या महत्वपूर्ण व्यक्ति ने भेजा हो।अक्सर यह संदेश किसी लिंक या डॉक्यूमेंट को खोलने का अनुरोध करता है, जिसके बाद साइबर हमले की शुरुआत होती है। इन संदेशों में वित्तीय लेन-देन या संवेदनशील डेटा मांगने की चालाकी भरी होती है। अगर व्यक्ति इस जाल में फंस जाता है और मांगी गई जानकारी साझा कर देता है, तो स्कैमर्स इसे तुरंत अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं।

व्हेल फिशिंग स्कैम के आम तरीके:

  • फर्जी ईमेल और मैसेज:

अपराधी प्रामाणिक दिखने वाले ईमेल भेजते हैं, जिसमें फर्जी लिंक होते हैं। जैसे ही शिकार उन पर क्लिक करता है, उसकी जानकारी चुरा ली जाती है।

  • कॉल या मैसेज के जरिए:

 अपराधी फोन कॉल्स या मैसेज के माध्यम से व्यक्ति को धोखा देने की कोशिश करते हैं। वे ऐसे पेश आते हैं मानो वह कोई विश्वसनीय व्यक्ति हों और संवेदनशील जानकारी मांगते हैं।

  • संवेदनशील डेटा की चोरी:

अक्सर स्कैमर्स का उद्देश्य टारगेट की पहचान चुराना होता है, जिसे वे किसी अवैध काम में उपयोग कर सकते हैं या फिर पैसों की मांग कर सकते हैं।

व्हेल फिशिंग स्कैम से बचने के उपाय-

  1. संदिग्ध ईमेल और लिंक से सावधान रहें: अनजान स्रोत से आए किसी भी ईमेल या मैसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक करने से बचें। ईमेल के भेजने वाले की प्रामाणिकता की जांच करें।

  2. वेरिफिकेशन जरूर करें: किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज में मांगी गई जानकारी देने से पहले उस व्यक्ति या कंपनी की प्रामाणिकता की जांच करें। आधिकारिक स्रोतों से संपर्क कर जानकारी को वेरिफाई करें।

  3. सिस्टम को अपडेट रखें: अपने डिवाइस को हमेशा नवीनतम सॉफ़्टवेयर और सुरक्षा फीचर्स से अपडेट रखें। यह आपकी डिवाइस को किसी भी संभावित साइबर हमले से बचाने में मदद करता है।

  4. सोशल मीडिया पर सीमित जानकारी साझा करें: अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अपनी व्यक्तिगत या प्रोफेशनल जानकारी को अत्यधिक साझा करने से बचें। इससे अपराधियों को आपके बारे में अधिक जानकारी जुटाने का मौका मिलता है।

  5. संवेदनशील जानकारी शेयर करने से पहले सोचें: कोई भी जानकारी देने से पहले दो बार सोचें। अक्सर अपराधी इमरजेंसी का बहाना बनाकर या आपको दबाव में डालकर जानकारी मांगते हैं, ऐसे में शांत रहें और सूझबूझ से काम लें।

  6. साइबर क्राइम रिपोर्ट करें: अगर आपको लगता है कि आप साइबर अपराध का शिकार हुए हैं, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें या साइबर पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। समय पर शिकायत दर्ज कराने से आपको होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

बड़े व्यवसायों को निशाना बनाते हैं व्हेल फिशिंग स्कैम-

टेक्नोलॉजी के इस युग में, जहां सुविधा है, वहीं साइबर अपराध का खतरा भी मौजूद है। व्हेल फिशिंग स्कैम जैसे हमले खासतौर पर बड़े व्यवसायों और महत्वपूर्ण पदस्थ लोगों को निशाना बनाते हैं। इसलिए, सतर्क रहना और साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। किसी भी संदिग्ध संदेश, ईमेल या कॉल पर बिना सोच-विचार किए प्रतिक्रिया न करें और हमेशा सतर्क रहें। याद रखें, आपकी जानकारी आपकी सबसे बड़ी संपत्ति है, उसे सुरक्षित रखना आपकी जिम्मेदारी है।

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