भारत ने ओडिशा के चांदीपुर रेंज से एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है। शुक्रवार को सतह से हवा में मार करने वाली घातक मिसाइल का सफल परीक्षण कर भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत किया। खास बात यह है कि दो दिन में लगातार दूसरे सफल परीक्षण ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को और भी अभेद्य बना दिया है। 80 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के हथियारों को ध्वस्त करने में सक्षम इस मिसाइल ने उम्मीदों से बढ़कर प्रदर्शन किया है। इस शानदार उपलब्धि पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ की टीम को हार्दिक बधाई दी है।
सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल-
इस बार डीआरडीओ द्वारा परीक्षण की गई मिसाइल वीएलएसआरएसएएम (वर्टिकली लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल) है, जो दुश्मन के किसी भी हवाई खतरे को पलक झपकते ही नष्ट करने की क्षमता रखती है। इसकी खासियत यह है कि यह दुश्मन की रडार की पकड़ में नहीं आती और अत्यधिक सटीकता से निशाना साधने में सक्षम है। मिसाइल की मारक क्षमता 80 किलोमीटर तक है, जो इसे बेहद घातक बनाती है।
स्वदेशी तकनीक का अद्वितीय उदाहरण-
डीआरडीओ द्वारा विकसित यह मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। भारतीय वैज्ञानिकों के कुशल ज्ञान और तकनीकी दक्षता का यह बेहतरीन नमूना है। मिसाइल का सफल परीक्षण देश की रक्षा ताकत में बढ़ोतरी का संकेत है, जो दुश्मन की किसी भी हवाई चुनौती का प्रभावी रूप से मुकाबला कर सकती है।
नौसेना के जंगी जहाज और जमीन से उपयोग की क्षमता-
इस मिसाइल को वर्टिकल लॉन्च सिस्टम में लगाया जाता है, जिससे यह नौसेना के जंगी जहाजों के साथ ही जमीन पर भी प्रभावी रूप से उपयोग की जा सकती है। इस परीक्षण के जरिए डीआरडीओ ने भारतीय सेना की जल, थल और वायु शक्ति को और भी प्रबल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। डीआरडीओ समय-समय पर नई और पुरानी मिसाइलों का आधुनिकरण कर भारतीय सेना की क्षमताओं में इजाफा करता है।
ओडिशा के चांदीपुर में सटीक परीक्षण-
इस परीक्षण को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से अंजाम दिया गया। मिसाइल को वर्टिकल लॉन्चर से दागा गया और इसने तेज गति से आते हवाई लक्ष्यों को सटीकता से भेदा। परीक्षण के दौरान 6 गांवों के करीब 3100 निवासियों को सुरक्षा के मद्देनजर अस्थायी शिविरों में रखा गया, ताकि परीक्षण के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो।
डीआरडीओ टीम को बधाई-
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी. कामत ने इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ की पूरी टीम को बधाई दी है। यह परीक्षण भारतीय रक्षा प्रणाली के निरंतर सशक्तिकरण का प्रतीक है, जो भविष्य में किसी भी चुनौती से निपटने के लिए सेना को और भी सशक्त बनाएगा। इस तरह के परीक्षण से न केवल भारत की सुरक्षा क्षमताओं में वृद्धि होती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि भारतीय सेनाएं हर मोर्चे पर पूरी तरह से तैयार हैं।