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भारतीय नौसेना ने देश की सामरिक क्षमता को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाते हुए के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से किया गया, जो भारत के रणनीतिक सैन्य अभियान में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ।
के-4 मिसाइल: सामरिक शक्ति का नया आयाम-
के-4 बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता 3500 किलोमीटर है, जो इसे भारत की अब तक की सबसे उन्नत मिसाइलों में शामिल करती है। मिसाइल के सफल परीक्षण से नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
यह पहली बार है कि किसी पनडुब्बी से के-4 मिसाइल का परीक्षण सफल रहा है।
चीन के खिलाफ बढ़ा भारत का दबदबा-
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह परीक्षण भारत की परमाणु क्षमता के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। अब भारत समुद्र से लंबी दूरी तक परमाणु हमला करने में सक्षम हो गया है।
आईएनएस अरिघात: भारतीय नौसेना की नई ताकत-
आईएनएस अरिघात को स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड द्वारा संचालित किया जाता है।
अब आईएनएस अरिघात से के-4 मिसाइल का सफल परीक्षण यह दिखाता है कि भारत की नौसेना चीन के बढ़ते दबाव का प्रभावी जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है।
भविष्य की ओर: आईएनएस अरिदमन और के-5 मिसाइल
एशिया में नई रणनीतिक स्थिति-
इस सफलता के साथ भारत एशिया का दूसरा देश बन गया है, जो पनडुब्बी से परमाणु हथियारों के उपयोग में सक्षम है। चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल कर भारत ने अपनी सामरिक स्थिति को और मजबूत किया है। यह परीक्षण भारत की समुद्री सुरक्षा नीति और परमाणु त्रय (Nuclear Triad) को मजबूत करता है।
आत्मनिर्भर भारत की मिसाइल शक्ति-
के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण भारत की आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक का प्रमाण है।
यह सफलता न केवल भारतीय नौसेना को अधिक सक्षम बनाती है, बल्कि यह चीन और अन्य पड़ोसी देशों के संदर्भ में भारत की सामरिक स्थिति को एक नई मजबूती प्रदान करती है।
आईएनएस अरिघात और भविष्य में आने वाली पनडुब्बियों के साथ, भारत अपनी समुद्री सीमाओं को और अधिक सुरक्षित और शक्तिशाली बनाएगा।
Baten UP Ki Desk
Published : 28 November, 2024, 1:50 pm
Author Info : Baten UP Ki